शीर्षक - अनहोनी
शीर्षक - अनहोनी
बहुत ही दुखती रग पर हाथ रख दिया आज के विषय ने ,अपने में तो फिर भी थोड़ी दूरी हो जाती है मैंने तो अपनी जान से भी ज्यादा अपने प्यारे भाई को खोया है।
मैं और मेरा छोटा भाई एक दिन छत पर टहल रहे थे तो अचानक वह छत की मुंडेर पर पैर लटका कर बैठ गया मैंने उसे देख कर जोर से चिल्लाई !!
"यह क्या हरकत है तुम्हारी" और मैं रोने लगी।
भाई बोला "अरे जीजी इतनी सी बात पर रो रही हो अगर मैं सचमुच मर गया तो?"
मुझे ऐसा लगा कि जैसे मानो किसी ने कोई तेज नश्तर चुभा दिया हो और किसी अनहोनी आशंका से मेरा दिल धड़क उठा।उस दिन की इस हरकत के बाद ठीक पन्द्रहवें दिन मेरा भाई इस दुनिया को छोड़ कर चला गया।उसके जाने का गम किस तरह मुझे अंदर तक तोड़ता चला गया यह शब्दों में नहीं बयान कर सकती।लोगों के असली चेहरे सामने आते हैं जब अपने ऊपर दर्द होता है तब।पता नहीं वह कौन सी दुनिया है जहां लोग इस तरह छोड़ कर चले जाते हैं ,अपनों को रोते बिलखते हुए।
