Bhawna Kukreti

Drama

4.8  

Bhawna Kukreti

Drama

शायद-9

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तन्वी ने आज से ऑफिस जॉइन करना था सो वह जल्दी ऑफिस आ गयी थी । ऑफिस अभी खुला ही था। खाली पड़े उस बड़े से हाल में वह अपनी डेस्क पर आई ही थी कि पीछे से "हैलो " सुन कर घबरा गई ।उसके हाथ से पर्स छूट कर गिर गया और पर्स का आधे से ज्यादा समान आस पास फैल गया।तन्वी को लगा कि ये मयंक ही होगा,उसने जोर से डांटते हुए कहा "हर वक्त मजाक ठीक नही लगता ...!! " लेकिन बाकी शब्द उसके मुँह में रह गए । सामने प्रियम सर थे!!!



प्रियम सर ने तुरंत फर्श पर गिरे लिप ग्लॉस, वाइप्स पैक, छोटा सिक्कों का पर्स, कीस, मेडिसिन स्ट्रिप्स, वैसलीन ,पॉकेट डायरीज वगैरह उठा कर उसके पर्स में रख दीं। तन्वी ने भी "सॉरी सर मुझे लगा मयंक होगा इसलिए.." कहते हुए पैंस, कॉम्पैक्ट, काजल उठाने लगी।


"वाह वाह क्या सीन है... सर टकराये की नहीं?!! हहहह ", मयंक आ गया था । प्रियम और तन्वी उठ गए। प्रियम सर ने मयंक की ओर देखते हुए कहा ,"तुम्हारी मेहरबानी से सुबह सुबह डांट..","सॉरी सर" तन्वी शर्मिंदा होते हुए बोली। सर ने उसे उसका पर्स पकड़ाया और बोले"सेटल हो जाओ तो बात करते है ,कुछ कवरस की डिजाइनिंग हैं..।"



" तुम्हारा और रुचिर का सीन न होता तो तुम्हारे आस पास इस प्रियम को फटकने न देता " मयंक उसकी डेस्क के कोने पर बैठा च्युइंगम चबाते हुए बोला।"जो मुहँ में आता है वो बोल देते हो,बुरी तरह पिटोगे किसी दिन","हहहहह कब वो दिन आएगा जब तुम हाथ लगाओगी डियर" आज मयंक पूरा मसखरी पर उतर हुआ था। "अच्छा लीव इट .. कॉफ़ी लाऊं तुम्हारे लिए, बगल में नया कैफ़े खुला है, कैपुचींनो इस..ऑसम" मयंक ने उसकी तरेरी आंखें देखते हुए कहा। "नो थैंक्स"।और वह प्रियम सर के केबिन की ओर बढ़ गयी।



सर ने कुछ स्केचेज़ उसके सामने रखे थे, और उसकी ओपिनियन पूछ रहे थे। सब एक से बढ़ कर एक थे। उन्हें देखते देखते तन्वी किसे चुने किसे रखे बड़ी उलझन में थी।"सर.." उसने सर को देखा वे अपनी सीट पर नहीं थे। प्रियम सर अपने कैनवास पर कुछ कर रहे थे। "सर ये तो सब एक से बढ़ कर एक हैं।","हम्म , कोई एक फाइनल करो" ,"कैसे करूं सर मुझे तो...","उधर क्रक्स रखा है, उसे पढो और तब सोच कर बताना।" सर ने उन कैनवास पर झुके झुके कहा।"कॉफीsss वाला कॉफीsss" कहता मयंक चला आया। "थैंक्स मयंक ,जरूरत थी!" प्रियम सर अपनी सीट पर चले आये।



मयंक तीन कॉफी लेकर चला आया था।मयंक ने तन्वी के बगल की चेयर खींची और बैठ गया।"और डार्लिंग कौन सा चुना?!" वो धीमे से फुसफुसाया। "समझ नही आ रहा, सर ने क्रक्स पढ़कर चुनने को कहा है।" "तन्वी कॉफी ले लो पहले" प्रियम ने कहा। "जी सर" तन्वी ने कहा तो मयंक फिर फुसफुसाया"वो बोले तो जी सर और मैं कहूँ तो ...सही है बेटा, नोट किया जाएगा।" तन्वी ने डेस्क के नीचे से मयंक के पैर पर जोर का मारा। मयंक "आउच" करके रह गया।



लौटते वक्त मयंक तन्वी के साथ घर आया। तन्वी की माँ ने दोनों को दरवाजे पर देखा तो मुस्कराती हुई बोली "कितने सुंदर लगते हो दोनो एक साथ !"तन्वी ने मां को घूरते हुए देखा।"मां जी वही तो , मुझे भी हम दोनो साथ अच्छे लगते हैं लेकिन अपनी कुंडली मे राहू-केतु साथ लगे हैं, कमबख्त मेरे चाँद के पीछे पड़े रहते हैं।" ,"यार तुम ऐसे मत करो..प्लीज़!, यु नो कि तुम मेरे सबसे प्यारे दोस्त हो ..मां की गलतफहमी को और मत बढ़ाओ।" तन्वी ने मयंक को टोकते हुए कहा। मयंक मुस्करा कर अपनी कीज घुमाने लगा "चिल यार , यू नो.. मै तुम्हारे साथ ऐसे ही मजाक करता रहता हूँ।"


तन्वी को अपने कमरे में जाता देख मयंक बोला"चल फिर...मैं घर निकलता हूँ","बेटा चाय पी कर जाओ"तन्वी की मां ने तन्वी का पर्स रखते हुए कहा।"अरे रुको साथ चाय पियेंगे " तन्वी ने पलट कर कमरे से बाहर आते हुए कहा। " मां, सुबह पक्का..अभी देर हो गयी।"मयंक तेज़ी से सीढ़ियों पर नीचे उतर गया। तन्वी की माँ उसे जाता देख बोलीं" दिल का साफ ,हंसमुख और बहुत केयरिंग भी है ये, ऐसे लोगों के साथ जीवन बहुत सरल बीतेगा, किस्मत वाली होगी जो इसे चुनेगी।"," माँssss ही इज माय बेस्ट बडी और कुछ नहीं ...प्लीज़।" तन्वी ने उखड़ते हुए कहा।



तन्वी को मयंक की आवाज में आया बदलाव परेशान कर रहा था,मयंक की आवाज में खनक खो गयी लगती थी।



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