शायद-5
शायद-5
नहीं सर !! उसने शुरु किया था छेड़ना , हमेंशा छेड़ता है तो मैने भी आज थोड़ा सा ... " , तन्वी ने एकदम से संभल कर कहा " ओके,ओके मैं ऐसे ही कह रहा था। ऐसे ही रहा करो, खुश हैप्पी ओके?!", " जी सर ।"
सब लोग एक पहाड़ी रेसोर्ट में पहुंचे। वहाँ की ओनर प्रियम शाह से बडी गर्म जोशी से मिलीं।सबको उनके कॉटेज में एन्ट्री करा कर प्रियम शाह कुछ देर उनके साथ जंगल की ओर टहलने चले गये।मयंक ने तन्वी के पास का कॉटेज लिया।
" जानती हो यहां रात को बाघ घूमता है ।" मयंक ने तन्वी के कॉटेज में आकर कहा ।तन्वी अलमीरा में कपड़े सेट कर रही थी, उसके ऐसे अचानक पीछे से चले आने और बोलने से चौंक गयी।" तुमको सच में किसी दिन पीट दूँगी मैं, ये कोई तरीका होता है, बिना नॉक किये बड़बड़ करते घुस आते हो कभी भी कहीं भी ।" मयंक को तन्वी से ऐसी डांट की उम्मीद नहींं थी । " अबे !! ऐसा क्या गुनाह कर दिया , कमाल है!! " कह कर वह वहीँ बेड पर बैठ गया।और कमरे को देखने लगा। " तुम्हारा रुम कुछ अलग नहींं है ?" तन्वी अपने कपड़े रख चुकी थी।" कैसे ?" , " खुद देखो।" तन्वी ने नजर दौडाई फिर मयंक को पिल्लो से मरते हुए बोली " चलो , ज्यादा ड्रामा नहीं !! तुम्हारा और सबका रुम देखते हैं ।" मयंक और तन्वी , प्रियम शाह के सीनियर ट्रैनी थे । बाकी ट्रैनी अपने ग्रुप में जंगलों की ओर चले गये। तन्वी ने देखा सर और ओनर मैम वापस आ रहे थे।
" तन्वी तुम चाहो तो मेंरे साथ मेंरे घर में रह सकती हो ।" ओनर मैम ने बड़े प्यार से उसके कन्धे पर हाथ रखते हुए कहा। मयंक ने ओनर मैम के पीछे से ना ना का इशारा किया।" चलिये अब सब चाय पीते हैं।" ओनर मैम ने सबको अपने घर इन्वाईट किया। कोट्टेज के सामने जो पहाड़ी थी उसके टॉप पर उनका बंगलो था। बेहद ही खूबसूरत। तन्वी और मयंक आँखें फैलाये दीवारों पर सजी बडी बडी पैंटिंग देखते जा रहे थे ।उन्हे पता ही नहीं चला कब उन पेंटिंग के जादू में वे ओनर और प्रियम शाह से कॉरिडोर में आगे निकल आये थे ।हर पेंटिंग के कोने पर कलात्मक 'एन' लिखा था।"एन?!" मयंक ने देखा और कहा ," हाँ मेंरी बेटी निवेदीता की बनाई है।" , तन्वी ने पलट कर प्रियम शाह को देखा। वो बाहर पहाड़ों को देख सिग्रेट पी रहे थे।उन्होने सिग्रेट को पैर तले बुझाया और कहा " चलें ? चाय पीछे रह गई।"
चारों चुप-चाप चाय पी रहे थे।"मयंक आप कहां से हैं ?" ओनर मैम ने खामोशी तोड़ी। मयंक अपने पंजाब का बैकग्राउंड बताने लगा।" और तुम तन्वी?" , " तन्वी, प्रियम सर की और निवेदीता की सोच में थी , उसने सुना नहीं।" तन्वी लखनऊ से हैं, मां और भाई हैं, पहले इवेंट मैनेजमेंंट में थी कुछ समय से मेंरे साथ है, पेंटिंग का रॉ टलेंट है, निखर रहा है ।" प्रियम सर ने तन्वी की तरफ से जवाब दिया ।" ओफ्कोर्स तुम जिसे चुन लो उसे सोना बनना ही है।" ओनर मैम ने कहा।मयंक ने टेबल के नीचे से तन्वी को पैर मारा। तन्वी चैतन्य हो गई।" जी ?!" तीनो हँसने लगे। तन्वी ने अपने दोनो होंठ अन्दर दबा लिये और चाय के कप में झांकने लगी।
"सुन प्रियम सर का रुम कौन सा है ? " मयंक ने बंगलो से लौटते हुए तन्वी के कान में फुसफुसाया " वो क्यूँ कॉटेज में रहेंगे पागल, ससुराल है उनकी!"
" ससुराल???"
" हाँ वो जो पेंटिंग थी न उनकी मंगेतर निवेदीता ने बनायी थीं, देखा नहीं हर पेंटिंग के बैकग्राउंड में बडा सा मगर हल्का सा 'प' हाइड था !!"," वॉव , तुमने ये देख लिया!, ग्रेट यार "।
रात में सारे बोन्फायर के इर्द गिर्द बैठे थे, ठण्ड भी थी और आग की तपन भी , अपने अपने शाल, दुशालों , ब्लन्केट, जैकेट में बैठे सब गाना बजाना और अपनी अपनी बातें शेयर कर रहे थे। एक यंग कॉलेज से अभी अभी पास आउट ट्रैनी ने पूछा ।" प्रियम सर हम सब में से आपका फवरेट कौन है?", प्रियम सिर जोर से हँसे" कुछ और पूछो भाई, ये क्या सवाल है।" प्रियम सर ने एक नजर निवेदीता की ओर देखा फिर मयंक को कहा " हाँ भाई मयंक तुम से शुरु करते हैं , तुम बताओ।" , "सर जो मुझे पसंद कर ले वो मेंरा फ़ेवरेट " कह कर वो जोर से हँसा।उसकी हंसी इतनी कन्टेजीयस थी की सब हँस पड़े।तन्वी ने उसके सर पर थपकी दी " पागल !", " अबे ठीक तो है ऑप्शंस ओपेन रखने चाहिये।" , सब अपने अपने फवरेट बताने लगे ।ज्यादातर प्रियम सर को ही बता रहे थे। प्रियम सर हँसे जा रहे थे , एक दम अलग शख्सियत नजर आ रहे थे। तन्वी की बारी आने वाली थी की तन्वी के फोन पर कॉल आया।
कॉल रुचिर की थी, तन्वी ने इग्नोर कर दिया, कुछ ही देर में फिर कॉल आया।" किसका है ? रीसीव कर लो ।किसी को ऐसे इग्नोर नहीं करते " प्रियम सर ने कहा । तन्वी फोन को लेकर उठ गयी और कुछ दूर जा फोन रीसीव किया और बस एक मिनट में ही वापस बोंन फायर की ओर आने लगी।प्रियम सर उसे कुछ बुझा बुझा से सामने से आता देख रहे थे।
इधर अब फिर प्रियम सर की बारी थी।सब जिद कर रहे थे " बताईए सर !!" प्रियम सर ने अपना सिग्रेट का पैक निकला , एक सिग्रेट थोड़ा बाहर निकाली और चेहरे के सामने करके कहा " ये , ये मेंरी फवरेट है।" प्रियम सर ने सिग्रेट के पीछे से सामने आती तन्वी को देखा , तन्वी ने देखा की सर सिग्रेट का पैक सबको दिखा कर कुछ कह रहे हैं । " नोओओ" ,"सर ये गलत है "," ये तो स्मार्टनस है सर " सब अलग अलग शोर करने लगे। तन्वी आकर मयंक के पास बैठ गई।मयंक से पूछा किस बात का शोर कर रहे ।मयंक बोला " सर की फेवरिट पता है कौन है?"," कौन?" तन्वी इस बचपने पर हँसते हुए बोली।" अभी दिखाया था न सर ने ,सिग्रेट!!"।
सब अपने अपने कोट्टेज में चले गये। मयंक ने तन्वी के कॉटेज का डोर नॉक किया ।" तन्वी, तन्वी सो गई क्या ?", " मयंक जाओ सो जाओ, सुबह मिलते हैं।", "यार , सर अपने ससुराल के बंगलो में नहींं हमारे ठीक सामने वाले कॉटेज में हैं।
तन्वी उठी और खिड़की का परदा हटा कर देखा। सामने के कोट्टेज के बाहर सर नाईट सूट में सिग्रेट से छल्ले बनाते टहल रहे थे। "तन्वी, तन्वी?" मयंक अभी भी दरवाजे के बाहर था।"मयंक जाओ सो जाओ, मुझे नींद आ रही है ",तन्वी ने डांटते हुए कहा।" ओके यार जाता हूं "
तन्वी अपने कॉटेज में लेटे-लेटे निवेदीता की पेंटिंग के बारे में सोचने लगी। तभी फोन पर रुचिर के मेंसेज एक के बाद एक आने लगे।
"प्लीज टॉक डीयर "
"कान्ट स्लीप यार"
" सिर्फ मेंसेज ही देखोगी ? रिप्लाई नहीं करोगी?
"आई नो तुम कहां हो "
" प्लीज टॉक यार "
"प्लीज"
"ओके, एम कमिंग देयर "
तन्वी उठ कर बैठ गयी ।

