MITHILESH NAG

Drama Inspirational

5.0  

MITHILESH NAG

Drama Inspirational

बीती रात कमल दल फूले

बीती रात कमल दल फूले

6 mins
670


“ याद रखिये जीवन मे कितनी भी बुराई आ जाये आपको तोड़ने के लिए या आप कितने भी गरीब हो लेकिन जहा आपकी ईमादारी और इज्जत करना सीख गए उस दिन आप को ये एहसास होगा कि जिस घर मे हमे दूसरे के दिये लेकर जलना पड़ा एक दिन हम अपने दम पर खुद के दिये जलायेगे ”।

पवई के एक छोटे से गांव में एक छोटा सा परिवार रहता है। तीन छोटे छोटे बच्चे और माँ-बाप रहते है। उस मकान का एक हिस्सा गिर गया था। उस मकान पर पन्नी के मोटे तिरपाल से बाधा गया है।

देव और लोट दोनों भाई है। देव के 3 लड़के और लोटन के 4 लड़के और 1 लड़की है। पहले तो सब सयुक्त परिवार मे रहते थे। लेकिन बाद में रोज के तू तू मैं मैं की वजह से दोनों परिवार अलग हो गया था।

लोटन थोड़ा सम्पन परिवार में था।जब कि देव बहुत ही गरीब था।

कुछ दिन बाद अपनी अपनी दुनिया मे दोनों परिवार खुश थे। लेकिन जैसे जैसे दिन बीतने लगा तो लोटन का परिवर देव को और उसके बच्चो को परेशान करने लगे ।।

देव पान की खेती करते है। एक दिन वो पान की खेती में गए थे। हरि जो सब से बड़े है। जिसकी उम्र 7 साल है। उसको स्कूल जांते समय याद आया कि खाना ले जाना है।

“माई, हमको खाना दो। स्कूल में बहुत भूख लगती है”

हरि की माँ सोचने लगी कि“क्या दू घर मे भी कुछ नही है”।

तब वो गेंहू को मिट्टी के बर्तन में उबाल कर एक पानी में बाध कर देती है।

और हरी का छोटा भाई राम जिसकी उम्र 6 साल है।वो भी बड़े भाई की बीच वाली अंगुली पकड़े धीरे धीरे स्कूल जाते हैं।

स्कूल में-

“गुरु जी आ जाए”। ( दरवाजे के पास रुक कर)

हाँ आ जाओ हरि ,इतना देर क्यो लगा दिया तुम ने”।

एक हाथ से हाफ फटी जगिहा( अंदर पहने वाले कपड़े को बोलते थे) जो पीछे से दिख रहा था । और सब उसको देख कर हँस रहे है।और चिड़ा रहे थे।

“गुरु जी घर मे खाने को कुछ नही था, तो माई पता नही कहाँ से गेंहू लाकर उबल कर खाने को दी इसलिए देर हो गयी”। ( भरे आखो में आँसू से)

“चुप सब के सब, ज्यादा बत्तीसी निकल रही है सब की टी मार मार कर अंदर कर दूँगा” ( छड़ी दिखाते हुए)

शाम को 

जब शाम को खाना बनाना हुआ तो देव ने किसी दूसरे के खेत थोड़ा से गेहूं बिन बिन कर इकठ्ठा कर के एक गठरी बना कर घर लाते है।

“ छोटा भाई माई आज दाल बना कर दो”।

“कल स्कूल में दूसरे की टिफ़िन में देखा था,वो पीले पीले रंग के था।”

( मासूम चेहरे से एक टक देखते हुए)

“ठीक है लेकिन कल बना दूँगी”। ( बातो को टालते )

“अच्छा माई”

धीरे धीरे रात हो गयी। सब के सब वही उबला गेंहू और धनिया की पिसी चटनी से सब के सब खाते है। और फिर रात में ही सब एक फटी रजाई और एक गद्दा जो बहुत पुराना हो चुका था। उसी में तीनों बीच मे और माई और देव किनारे में सो जाते है।

एक दिन 

जब माई मक्के की रोटी बनाती है। और देव 10 किलो मीटर दूर शहर में गए थे कमाने क्यो खेती इस बार खराब हो चुकी थी।पैसे के नाम पर कुछ नही था।

“बेटा हरि मैं तुम्हरे पिता जी के पास जा रहा हूँ शाम को दोनों साथ मे घर आएंगे ठीक है”।

कुछ रोटी और साथ मे थोडी से टूटी कटोरी चटनी रख कर शहर जाती है।

इधर हरि सोच की थोड़ा खेत से सूखी लकड़ी लाकर रख देता हूँ। ताकि माई को रात में लकड़ी लाने नही जाना होगा।

लेकिन जब वापस घर आता है और सोचता है कि भूख लगी है कुछ खा लू।

अरे ! रोटी कहाँ है चटनी भी नही है,सब कहाँ चला गया हूं”।

बहुत इधर उधर खोजने के बाद जब नही मिला तो मायूस हो कर मिट्टी के बर्तन में रखे पानी को उबले गेंहू के साथ मे खा कर सोने लगता है।

पूरी रजाई दोनों भाई को ओडा देता है। और खुद भी उसी में सो जाता है।

जब सुबह नींद खुलती है तो कोई नही आया है अभी तक तो वो बाहर खेत की ओर जाने लगा तो देखता है कि उसकी रोटी और चटनी तो एक गाय खा रही है। और पास में उसके चाचा की लड़की खड़ी हो कर हँस रही है।

मासूम चेहरे में नींद के साथ साथ भूक और आखो में आँसू के साथ आगे बढ़ जाता हैं। हरि समझ जाता है कि कल रात उसका खाना उसकी बहन चुरा लेती है।

दीवाली के दिन

सब के घर पर दिया जल रहा है, और देव के भाई भी अपने घर पर दिए जला रहे है। लेकिन देव के पास इतने पैसे नही थे कि वो दिए या कुछ और खरीद ले ।

“राम भइया सब के घर पर दिए जल रहे है हमारे घर पर कब जलेंगे”।

बेटा हम भी दिया जलायेगे लेकिन कुछ देर बाद”।

हरि गांव में देखता है कि जिस घर पर दिए बुझ गए है उसके तेल को इकठ्ठा कर लाता है। और साथ मे उस दिए को भी ।ऐसे करते करते लगभग 20 दिए इकठ्ठा कर लेता है।

अब माई उस दिए को पूरे घर मे जलाती है। अब उनका पूरा घर रोशन हो गया।लेकिन कुछ देर के लिए सब घर के अंदर थे तो जब बाहर देखते है तो पूरे के पूरे दिए गायब थे। लेकिन जानते हुए भी ये सब कुछ नही कर सके ।

एक दिन शहर में-

जिस जगह देव रहते थे। वो सड़क के किनारे था। तो एक दिन हरि की माई थोड़े से बर्तन किसी के धूल रही थी। क्यो वो वही बर्तन धुलने के पैसे मिलते थे।

लेकिन उन्ही के आगे एक ट्रक खड़ी थी। वो ड्राइवर पीछे बैक कर रहा थ। वो ट्रक उनके पूरे शरीर को कुचलकर आगे बढ़ जाती है।

उनकी मौत हो चुकी थी। फिर देव उनकी लाश को लेकर गांव आते है।

सब के सब रोने लगते है। पूरा गांव भी रोने लगा था। 

कुछ दिन बाद 

देव अब बूढे हो चुके थे और तीनों अभी भी छोटे थे। कुछ रिश्तेदार अलग अलग तीनो को अपने अपने घर पालने के लिए ले जाते हैं। लेकिन कुछ दिन बाद हरि अपने भाइयों को लेकर अपने घर वापस आ जाता है। 

“पिता जी कुछ भी होगा लेकिन मैं अपने छोटे भाई को कभी अकेले नही रहने दूँगा”। और सब के सब रोने लगे ।

20 साल बाद -

अब हरि बड़ा हो चुका है। दोनों भाई भी गाँव मे रहते थे। हर शहर में ही काम करता था। लेकिन एक दिन देव की तबियत बहुत खराब थी । सब के सब उनको तुलसी और गंगा जल मुँह में डालते है ।लेकिन जान रह जाती हूं।

शाम को जब हरि घर आता है तो देव उनसे एक वचन लेते है

“बेटा हरि तुम मेरे साथ थे ,तुम कभी भी अपने भाई को अलग नही करोगे।”

हरि और दोनों भाई रोते रोते वचन देते है। और देव बोलते है एक दिन आएगा जब तुम सब खुशियो का दीप जाओगे वो भी अपने दम पर मैं ऐसा आशीर्वाद देता हूँ।” और उनकी जान निकल जाती है।

लेकिन कुछ समय बीत गए आज तीनों भाई अपने चाचा से कहीं सम्पन और सुखी भी है। आज वही बहन उनके घर रिश्ता रखना चाहती है। लेकिन अब वो सब बहुत आगे निकल चुके है क्योंकि ये एक सच्ची कहानी है।


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