सच्चा स्नेह
सच्चा स्नेह
मेरे घर की बालकनी में एक पिंजड़े में छोटा सा तोते का बच्चा चहचहा रहा था, उसकी आवाज से सुबह-सुबह सबकी नींद खुल जाती। समझ नहीं आता पर ऐसा प्रतीत होता, कि वह कुछ बोलता रहता है। घरवालों की बातें सुन सुनकर अपने रर्टू स्वभाव के कारण वह कुछ शब्दों को रोज दोहराता रहता।
समय बीतता गया वह कुछ ही हफ्तों में बड़ा दिखने लगा। मेरी बालकनी के ठीक सामने एक पीपल का पुराना पेड़ था, जिसके झोंके उस पिंजड़े को हिलाते रहते।
एक दिन सुबह अचानक ध्यान आया कि आजकल बेटू का चहचहाना बंद सा हो गया है। "हाँ हमने उसका नाम बेटू रखा था"। मैंने जाकर देखा तो आश्चर्य हुआ, जहाँ रोज सुबह वह घरवालों को जगाने में अपनी पूरी ताकत लगा देता था।आज वह एकटक उस पेड़ की तरफ देख रहा था, जैसे किसी का इंतजार कर रहा हो और थोड़ी देर बाद वो खुशी से फड़फड़ाने लगा।
मैंने उसे शांत करने के लिए उसके खाली बर्तन को पानी और दाने से भर दिया, बिना कुछ खाए पिए ही थोड़ी देर में खुद ही शांत हो गया। मुझे कुछ समझ नहीं आया। ऐसा अब रोज सुबह शाम होने लगा।
एक दिन मैं कमरे में बैठी पीपल के पेड़ की ओर देख रही थी, तो मानो ऐसा लगा जैसे कोई वहाँ से मेरी बालकनी की ओर देख रहा हो! तभी एक तोती उड़ते उड़ते मेरी बालकनी की रेलिंग पर आ बैठी और बेटू की ओर एकटक देख रही थी बेटू भी बहुत खुश लग रहा था। मैंने दो-तीन दिन गौर किया तो यह रोज का सिलसिला हो गया था।
इन प्रेमी जोड़ों को अलग रखना अच्छा नहीं, यह सोच मैंने एक सुबह पिंजड़े का दरवाजा खोल दिया। तोती उसे लेने आई और दोनों ने एक साथ उड़ान भरी। बेटू को जाते देख थोड़ी तकलीफ हुई पर उसके लिए खुश थी। जन्म से पिंजरे में रहने की वजह से बेटू उड़ना भूल गया था और पेड़ तक पहुँचने से पहले ही वह जमीन पर गिर पड़ा। यह देख तोती छटपटाई, मैं भी अपनी बालकनी से देख भागी उसे उठाने कि इसके पहले किसी और जानवर की नजर उसपर न पड़े।
बेटू को लाकर फिर पिंजडे में रखा पानी पिलाया,वह सो गया पर मैंने पिंजड़े का दरवाजा खुला रखा, तोती दूर से उसको देख रही थी । सच्चे प्यार को कोई बांध नहीं सकता, यह उस दिन एहसास हुआ। दूसरे दिन सुबह तोती भी पिंजडा में आ बैठी यह देख खुशी से मेरी आँखें भर आई कि मेरे बेटू को जीवन साथी मिल गई । सारा दिन दोनों बहुत खुश थे पर शाम होते होते तोती कुछ उदास लग रही थी मानव वह थक गईं हो। खुले आसमान में उड़ने वाली आज पिंजड़े में बंद है ना पंख खुली ना हरे खेतों के दाने खाएं वह कुछ मुरझा सी गई थी। पर दोनों एक दूसरे के प्रेम में त्याग करने को तैयार थे।
तीसरे दिन सुबह-सुबह दोनों की बहुत आवाज आ रही थी मैं डर के भागी कि पिंजड़े का दरवाजा खुला है कहीं कोई और तो नहीं आ गया में।जाकर मैंने जो नजारा देखा मैं दंग रह गई, बेटू तोती को धक्के मार के पिंजड़े से बाहर निकाल रहा था,यह प्रेमी जोड़ा पति-पत्नी की तरह कब से लड़ने लगे! तोती पिंजड़े के बाहर गिरी और उड़ गई और बेटू उसकी तरफ देखता रहा थोड़ी देर बाद तोती पिंजड़े के ऊपर आकर बैठ गई। तब मुझे समझ में आया कि बेटू तोती को बांधकर नहीं रखना चाहता था। खुले आसमान में उड़ने वाली कैसे पिंजड़े में रह पाती। "प्यार तो प्यार होता है, उसमें बंधन कैसा यह तो एक दिल का दूसरे दिल से रिश्ता होता है।" तोते के लिए खुला आसमान छोड़ पिंजड़े में रहना चाहती थी, पर तोता उससे उसकी आजादी नहीं छीनना चाहता था।
उनका प्यार ऐसे ही चलता रहा तोती खुले आसमान की कहानी सुनाती, नदियों- तालाबो का पानी ला बेटू को चखाती, हरे खेतों की हरियाली उसे सूंघाती और बेटू भी जो कुछ खाता उसे थोड़ा पिंजड़े से बाहर गिरा देता कि तोती भी उसका स्वाद ले सके। ऐसे ही दोनों का प्यार अपनी अपनी दुनिया में रहकर बना रहा। दोनों बहुत खुश रहते दोनों अपने अपने बसेरे में बैठे एक दूसरे को देखते मानो आँखों में ही इनकी बातें होती। महीनों बीत गए इस तरह पिंजरे और खुले आसमान का प्यार चलता रहा।
एक दिन बेटू बहुत सुस्त सा लग रहा था, आज तोती भी सुबह से दिखाई नहीं दी। क्या हुआ? मन में कई तरह के ख्याल उठ रहे थे। बेटू खाना पीना सब छोड़ चुका था, थोड़ी चिंता हुई पर समय पर छोड़ दिया कि कल तक शायद सब ठीक हो जाए। अगली सुबह बेटू की आवाज आई सुन मैं खुश हुई कि लगता है आ गई उसकी खुशी!मैं एक मुस्कान लिए सोई रही, जब मेरी सुबह हुई और मैं अपने काम निपटा चाय की प्याली ले बालकनी में गई तो, जो देखा वह देख मेरे होश उड़ गए। "जीवन का अंत हो गया था पर प्यार का नहीं" दोनों एक ही पिंजड़े में एक दूसरे को देखते हुए यह दुनिया छोड़ चले थे।
शरीर ने उम्र पूरी कर ली थी पर प्यार ने नहीं। ऐसा सच्चा स्नेह कहीं और न दिखा ना दिखेगा। मैंने उसी पीपल के नीचे दोनों की समाधी बना दी।