बेनाम रिश्ता
बेनाम रिश्ता
कपिल और नीलिमा दोनों एक दूसरे को बिन कहे समझ जाते थे।
कपिल कभी उसका सहारा नहीं बना पर हर मोड़ पर साथ और हौसले में कोई कमी न रखी। मन ही मन दोनों एक दूसरे को चाहते थे, पर कभी बयाँ नहीं किया कि कही खो न दे। एक दूसरे के लिए होना ही दोनों को सुख देता था।जुबां से कभी बयाँ नहीं किया पर लोगो ने पढ़ ली और परिवार ने सिकंजा कसा।
इधर कपिल का सपना पूरा हुआ और फौज में भर्ती हुआ। ओह ख़ुश था कि अब तो सरकारी नौकरी होगी तो नीलिमा के पिता मना नहीं कर पाएँगे और वो अपनी ट्रेनिंग के लिए चला गया।
छ: महीने बाद ज़ब वह लौटा तो बहुत ख़ुश था कि अब वो नीलिमा से प्यार का इजहार कर सकेगा। पर कुदरत ने तो कुछ और ही सोच रखा था!उसकी मोहब्बत वो शहर छोड़ चुकी थी, कहा गई किसी को पता नहीं?
यह सुन उसके पैरौ तले से जमीन निकल गई, वो जिस प्यार को पाने के लिए ट्रेनिंग में हाथो के छालो को देख मुस्कुराता कि नीलिमा इसके बाद मेरी होगी आज वही गुम होगई थी। बहुत कोशिश की पर उसका कोई पता न चला अंत में उसने खुद को ये समझा लिया कि ब्याह कर चली गई इंतजार भी न किया। पर नीलिमा के लिए प्यार कम न हुआ।
मायूस हो वापस अपनी नौकरी पे लौट गया। आपने जीवन का कोई मतलब न लगता था, इसलिए उसने बॉडर पर पोस्टिंग लेली।
पागलो की तरह काम करता। उसके ऑफिसर देख परेशान रहते की ए इतना क्यों पागल है देश के लिए। "ए पागलपन तो दिल का है "। जब भी कोई आपने प्यार और परिवार की बात करता तो वो वहाँ से चला जाता। "रात को लेट घंटो चाँद को ताकता मानो चाँद में अपनी नीलिमा को ढूंढ रहा हो। "दिमाग़ ने तो साथ छोड़ दिया था पर दिल दिलासा देता कि वो मिलेगी।
धीरे धीरे सात साल बीत गए। कपिल जब इस बार छुट्टी आया तो उसके पिता ने सादी का दबाव बनाया और माँ ने भी साथ दिया, कपिल ना न कर सका। सादी भी बड़े धूमधाम से हुई, सारे सगे संबंधी बहुत खुश थे ! कपिल के दिल ने भी अब मान लिया कि नीलिमा उसकी नहीं थी।
एक साल के बाद कपिल बाप बन गया, आपने अंश को देख वह बहुत ख़ुश था और अब तो उसे नीलिमा नाम भी याद न रहा। सांसारिक जीवन से वह संतुष्ट था।
यह जीवन का पहिया है जो मिलता है वो बिछड़ता है और जो बिछड़ता है तो एक न एक दिन मिलता जरूर है पर कब और कहाँ ए ऊपर वाला ही जाने।
रविवार था और कपिल यूँ ही बैठे -बैठे फोन देख रहा था कि अचानक उसने फोन में जाने ऐसा क्या देखा कि अपने बिस्तर से उठ खड़ा हुआ !
क्या हुआ सर !
उसके आस पास के लोगो ने पूछा ।
वह कुछ जवाब न दे पाया और कमरे से बाहर चला गया।
फेसबुक में उसने नीलिमा की तस्वीर देखी ! वापस उन्ही पलो में चला गया था
उसे खोने कादर्द आज फिर से जाग उठा था।
उसने ज़िंदगी का आधा पड़ाव पर कर लिया था पर नीलिमा की तस्वीर देख वो बीस की उम्र में पहुँच गया था।
पूरी रात वो करवटे बदलता रहा।
दूसरे दिन सुबह सुबह ही उसने नीलिमा को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी और हर दो मिनट में फोन देखता कि कोई मैसज आया या नहीं और गुस्सा भी करता शाम होगई पर कोई जवाब न मिला दोस्ती के प्रस्ताव का।
"अपने पति के डर से नहीं किया होगा "
ए ही सोच वो खुद को संभालने की कोशिश में लगा रहा पर नींद कहाँ अब।
एक सप्ताह बाद उसका प्रस्ताव कबूल हुआ था, उसकी खुशी का ठिकाना न रहा।
जब भी उसे वक्त मिलता वो नीलिमा की तस्वीर को ही देखता और मुस्कुराता रहता ।
अचानक उसके चेहरे पर एक प्रश्न चिन्ह दिखने लगा, जैसे किसी सवाल का जवाब नीलिमा के प्रोफाइल मैं ढूँढ रहा था !
"उसके पति और बच्चो की कोई तस्वीर क्यों नहीं "?
यही सवाल उसके मन मैं चल रहा था,
"क्या इसने शादी नहीं की?
नहीं नहीं शादी के लिए ही तो शहर छोड़ा था !"
इन सवालों से परेशान वह नीलिमा को मैसज भेजता, पर कोई जवाब नहीं मिलता।
दो हप्तों तक कोई जवाब नहीं आया और कपिल खुद ही सवालों में उलझा रहता।
"कैसे हो तुम? "
कपिल के फोन पे एक मैसज आया,
उसने अनमने से फोन को देखा और चेहरे पर एक चमक सी छागई।
"ए तो उसी का मैसज है "
"मैं ठीक हूँ तुम कैसी हो?
अभी कहाँ हो?
कपिल ने लिखा।
कुछ देर तक नीलिमा का जवाब न आया,
कपिल बहुत कुछ पूछना चाहता था, पर नीलिमा की ख़ामोशी को समझ न पा रहा था।
हर रोज कपिल नीलिमा के मैसज का इंतजार करता पर नीलिमा बस हाँ या ना में ही उत्तर देती, कपिल से अब बर्दास्त न होरहा था।
"आखिर वो बात क्यों नहीं कर रही क्या भूल गई मेरे प्यार को "।
कपिल ने मन ही मन सोचा,
"मैंने तो कभी कहा ही नहीं था कि मैं कितना चाहता हूँ !"
तो क्या उसे कभी मेरे प्यार का एहसास न हुआ? "
कपिल ये भूल चूका था कि वो शादी शुदा हैऔर एक बच्चे का बाप भी है, वो नीलिमा को यूँ ही पाने की कोशिश कर रहा था जैसे बीस साल पहले।
कपिल ने छुटटी की अर्जी दी और छुटटी मिल गई। इस बार वह घर न गया फेसबुक पे दिए नीलिमा के शहर पहुँच गया।
दो दिनके बाद आखिर नीलिमा जहाँ काम करती थी, उसका पता चला तो वहाँ पहुँच गया।
नीलिमा को देख उसे लगा कि आज ही वह ट्रेनिंग पूरी कर के लौटा है ! दुनिया की सारी दौलत मिल गई और वह नीलिमा की तरफ बड़ा उसे अपनी बाहों में भरने को, नीलिमा ने हाथो जोड़ नमस्ते किया।
उसे अंदाजा न था कि कपिल यहाँ तक पहुँच जायेगा बीस साल बाद उसे यूँ देख वह घबरा गईं ।
नीलिमा का यूँ हाथ जोड़ना उसे झकझोर के आज में खड़ा कर दिया। अब वो दोस्ती नहीं।
कपिल और नीलिमा एक नदी किनारे जा बैठे। नीलिमा ने कपिल के मन के सारे सवाल पढ़ लिए थे।
"तुम्हारी शादी होगई "
नीलिमा ने पूछा
हाँ " कपिल ने धीरे से कहा।
"बच्चे? "
"एक बेटा है" कपिल ने जवाब दिया।
दोनों की आँखो में सवाल थें।
तुम आये क्यों नहीं?
तुमने इंतजार क्यों नहीं किया?
कपिल ने नीलिमा से पूछा "तुम्हारे कितने बच्चे है "?
नीलिमा मुस्कुरा कर बोली "पहले शादी तो करने दो !"
यह सुन कपिल अबाँक सा रह गया!
"तुम्हारे जाने के बाद पापा ने नौकरी बदली तो शहर भी बदलना पड़ा, वही से मैंने अपनी ऍम ए की पढ़ाई पूरी की।
फिर शादी का दबाव देने लगे, मैंने शादी से मना किया तो बड़े भाई ने पढ़ाई छुड़वा दी।
मेरे मन को किसी का इंतजार था पर.....। "
कहते कहते नीलिमा चुप होगई।
नीलिमा कम बोलती थी पर ख़ुश मिजाज लड़की थी पर आज खुशी उस के चेहरे से रूठ गई थी।
"तो तुमने शादी नहीं की "?
धीमे स्वर में कपिल ने पूछा।
"पिता के देहांत के बाद बड़े भाई ने अपनी जिम्मेदारी पूरी की और चालीस साल के एक आदमी से मेरी शादी मंदिर में करवा दी। "
तुमने मना क्यों नहीं किया?
कपिल ने गुस्से से कहा!
"भाई पर जिम्मेदारियाँ बहुत थी "!
मेरे पति पहली रात जब पी के आये और मुझे छूना चाहा तो मैंने छूने न दिया।
तो उन्होंने अपनी शक्ति मेरी पिठ पर बेल्ट से दिखाई !"
नीलिमा ने निगाहें नीचे करली.
कपिल की आँखों में पानी था।
"एक दिन रात को उन्होंने मुझे घर से बाहर निकल दिया।
"तो स्टेशन चली गई कि आज ये दर्द खत्म करती हूँ। "
यह सुन कपिल ने नीलिमा का हाथ पकड़ लिया।
"रात भर स्टेशन पर बैठी रही और सुबह मैं अपनी सहेली उमा के पास गई उसके पति कुछ दिनों के लिए बाहर गए थे, तो मैं उसके साथ रही।
उसने ही मुझे इस यन जी ओ का पता दिया जहाँ मैं अपना गुजारा कर रही हूँ पिछले तीन सालो से । "
मैंने अपनी पढ़ाई भी जारी की साल के अंत तक मेरी पढ़ाई पूरी हो जाएगी तो मैं ये शहर छोड़ दुँगी। "
नीलिमा का गला भर आया था।
कपिल को आज खुद पे इतना गुस्सा आरहा था कि कास "मैंने ये कोशिश पहले की होती तो तुम्हारे चेहरे पे ये उदासी न होती। "
"जिसे मैं जान से भी ज्यादा चाहता था उसे इतने कष्टसहने पड़े "।
कपिल मन ही मन बुदबुदाया।
नीलिमा ने कपिल की तरफ देखते हुए कहा..
"मैंने फेसबुक पे जब तुम्हारे बीवी बच्चे को देखा तो जी में आया कि अब जी के क्या फायेदा और तुमसे दूर जाने की सोच ली। "
कपिल ने नीलिमा का दोनों हाथ पकड़ लिया !
नीलिमा हिचकिचाई, पर कपिल ने न छोड़ा।
"क्या कर रहे हो तुम अब किसी के पति और पिता हो !"
नीलिमा ने हाथ खींचते हुए कहा।
"उससे पहले किसी का दोस्त था" और कपिल ने फिर हाथ पकड़ लियाऔर बोला।
"तुम्हे याद है जब हम कॉलज में मिले थे तुम भीड़ में पीछे ख़डी थी.....
हाँ..... नीलिमा ने सर हिलाया।
उस वक्ततो मैं न कह पाया पर मेरी हर साँस में तुम थी और रहोगी मैंने अपने बेटे को नीलू कह के बुलाता हूँ "।
नीलिमा को कपिल अकेले में नीलू कहता था।
"हमारे रिश्ते को कोई नाम तो न दे पाऊँगा पर अब कभी साथ न छोडूँगा। "
छ महिने बाद नीलिमा को एक बड़े स्कूल में नौकरी मिल गई और कपिल भी उसी शहर में था।
जिस दोस्ती को जहाँ छोड़ा था वही से शुरू किया, कपिल नीलिमा का हमेशा साथ देता, उसे पढ़ने के लिए प्रेरित करता और
आज नीलिमा, डॉ.नीलिमा बन चुकी है।
कुछ रिश्ते बिना नाम के ही सारी ज़िंदगी साथ निभाते है।