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Niru Singh

Children Stories

4  

Niru Singh

Children Stories

दादी

दादी

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खाने की थाली माँ के हाथ में देख "मुझे नहीं खाना" कहता हुआ कुश दादी के पीछे छुप जाता है, 

"जब नहीं खा रहा तो क्यों जिद कर रही हो बच्चे के साथ "।  कुश की दादी उसकी माँ को कहती है।  

"आप चुप रहिए! आपने तो और इसे बिगाड़ रखा है "। माँ गुस्से में बोलते हुए, मेज पर थाली रख कर चली जाती है। 

माँ के जाने के बाद दादी कुश को कहती है "कहानी सुनोगे", कुश उछल कर दादी के सामने आ बैठता है। 

" हाँ! हाँ !"

दादी कहनी शुरू करती है और एक - एक निवाला उसके मुँह में डालती है, कहानी खत्म होने से पहले ही उसका खाना खत्म हो जाता है, दादी कहानी भी रोक देती है। "फिर क्या हुआ बोलो ना दादी " कुश ने कहा।

"आगे का तो मैं भूल गई जब याद आयेगा तो सुनाऊँगी "। दादी इसी चालाकी के साथ उसे खाना खिलाती थी। 

"तुम बहुत भुलक्ड हो "। कूदता हुआ कुश वहाँ से चला जाता है और अपने खेल में लग जाता है। 

अगले दिन कुश जब विद्यालय जाता है तो लंच ब्रेक में वह और उसका दोस्त टीनू दोनों एक साथ टिफिन करने बैठते हैं,टीनू थोड़ा सा खाकर खाना कूड़े दान में फेंक देता है। 

"अरे तुम रोज-रोज टिफिन फेंक देते हो मेरी दादी कहती है खाना बर्बाद नहीं करना चाहिए।"कुश टीनू को समझाता है।  "क्या करूँ मेरी मम्मी रोज-रोज वही नूडल्स ही देती है"। टीनू मुँह बनाते हुए कहता है। 

" तुम्हें पता है मैं कभी मम्मी के हाथ से नहीं खाता हूँ!"

 “भला ऐसा क्यों! "

टीनू आश्चर्य से पूछता है। “ जब दादी खिलाती है तो वह बहुत अच्छी अच्छी कहानियाँ भी सुनाती है। "

"अच्छा!तुम्हारी दादी तुम्हारे साथ रहती है।"चकित हो कर टीनू बोला । 

हाँ ! क्यों तुम्हारी दादी कहाँ रहती है? "कुश ने पूछा। 

"मेरी दादी बूढ़ी है वो अपना काम खुद नहीं कर पाती"

"मम्मी कहती है दादी रहती है तो काम बढ़ जाता है वो ऑफिस भी टाइम से नहीं पहुँच पाती है। "टीनू ने थोड़े रुवासे मन से कहा। 

"तो अभी कहाँ है तुम्हारी दादी? " कुश ने पूछा। 

"पता नहीं मैं जब भी मम्मी से पूछता हूँ वो मुझे डांट देती है और कहती है अपना काम करो।पर मैंने मम्मी पापा को बात करतें सुना था की वो गाँव में है। "

टीनू ने कहा। 

"अच्छा तो उनका काम कौन करता है? कुश ने पूछा। 

"पता नहीं मुझे, पर मैं जब बड़ा हो जाऊंँगा तो दादी कोअपने साथ रखूँगा उनके सारे काम में कर दूँगा अभी तो मैं छोटा हूँ ना। "टीनू के इस बात से उस गंभीर माहौल को तोड़ा और दोनों के चेहरे पे एक चमक आई। 

"हाँ ये ठीक रहेगा " चहकते हुए कुश ने कहा। स्कूल की घंटी बजती है और दोनों अपनी क्लास की तरफ भागते है। 

उस दिन विद्यालय से घर आने के बाद कुश शांत था, घर में रोज की तरह उछल कूद नहीं था, मम्मी को लगा कि"आज लगता है डाँट पड़ी है टीचर से "। 

रोज जब शाम को पापाऑफिस से आते तो, कुश स्कूल की सारी खबर पापा को सुनाता। पर आज कुश एक दम शांत था। पापा ने इशारे में मम्मी से पूछा "क्या हुआ इसे? "

"क्या हुआ डाँट पड़ी होगी टीचर से और क्या स्कूल में भी की होगी कोई शैतानी ".मम्मी कुश की तरफ इसरा करतें हुए कहती है। 

"क्या हुआ कुश ? मम्मी ठीक कह रही हैं क्या !"पापा भौ चढ़ाते हुए कुश से पूछते है। 

कुश पापा के पास आता है,उनकी गोद में बैठ जाता हैऔर कहता है, "पापा मैं दादी के सारे काम कर दूँगा, आप उनको कही और मत भेजना, बुढ़ी हो जाएँगी तो मैं उनका ख्याल रखूँगा मम्मी को नहीं करना होगा पर उनको कहीं और न भेजना। "

और कुश रोने लगता है। 

 पापा को लगता है कि मम्मी ने आज दादी को कुछ कहा है, जिसका असर बच्चे पर पड़ा है। गुस्से से मम्मी की तरफ देखते हैं। फिर वह दादी से पूछते हैं कि "क्या हुआ है आज। "मम्मी और दादी दोनों चकित हो ना में सर हिलाते हुए पापा की तरफ देखती है। 

 "पापा टीनू की दादी बूढ़ी हो गई है वह अपना काम नहीं कर पाती इसलिए उसके मम्मी पापा ने उन्हें कहीं भेज दिया है। आप दादी को कहीं मत भेजना"। 

 पापा को सारा मांजरा समझ में आ जाता है और वह कहते हैं। 

 "जैसे तुम मेरे बेटे हो वैसे ही मैं दादी का बेटा हूँ, तुम मेरे बिना नहीं रह सकते तो मैं दादी के बिना कैसे रह सकता हूँ, इसलिए दादी यही और हमेशा हमारे साथ रहेगी कहीं नहीं जाएगी।  टीनू के मम्मी पापा ऑफिस जाते हैं दादी अकेले घर में रहती थी उनका ख्याल कौन रखता इसलिए उन्होंने, उन्हें टीनू के चाचा के पास रखा है, जो उनका ख्याल रखते हैं।"

यह सुन कुश कहता है "सच्ची तो कल मैं टीनू को बताऊंगा उसकी दादी कहाँ है। " और फिर कुश की सारे दिन की खबर शुरू हो जाती है। 



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