मोटू और पतली
मोटू और पतली
मोटू आलू इतराते हुए चला जा रहा था।
पतली भिंडी ने पीछे से पूछा "क्या बात है मोटू कहाँ जा रहे हो?"
पतलू ने भौंहें चढ़ाकर और गर्दन को बिना घुमाएँ आँख की पुतलियों को घुमा कर कहा "मैं राजा हूँ, जरा इज्जत से बात करो! सुबह-सुबह टहलने जा रहा हूँ।"
पतली ने धीरे से मुँह चिढ़ाते हुए कहा "उउहूहूँ, मैं राजा हूँ! बड़े आए राजा बनने! "
" कुछ कहा तुमने? " मोटू ने पतली को घूरते हुए कहा।
"नहीं! नहीं! मैं क्या कहूँगी , मैंने कहा मैं भी आपके संग चलूँ टहलने"।
मोटू ने हँसते हुए कहा "तुम क्या टहलोगी ! तुम तो वैसे ही बहुत पतली हो, मेरा वजन आजकल बढ़ गया है, तो मैंने सोचा थोड़ा टहल आऊँ, वैसे चलो साथ, मेरा भी टाइम पास हो जाएगा।" कहते हुए मोटू और पतली साथ चल दिए।
मोटू धीरे-धीरे चल रहा था और पतली तेजी से "अरे! तुम कहाँ आगे-आगे भागी जा रही हो, तुम मेरे साथ रहो या फिर मेरे पीछे चलो, तुम्हें कहा ना मैंने मैं तुम सब का राजा हूँ!"
पतली रुक गई और दोनों हाथों को आगे की तरफ इशारा करते हुए कहा "ओके राजा जी! आइए आप आगे" और दोनों साथ-साथ चलने लगे।
"मोटू तुम राजा कैसे हुए?" पतली ने पूछा
"अरे! तुम्हें नहीं पता मैं बारह महीने मिलता हूँ और हर सब्जी के साथ रहता हूँ, मेरे बिना तो कोई सब्जी पूरी ही नहीं होती।"
अच्छा! वह कैसे तो क्या हम अधूरे सब्जी हैं? "पतली ने चिढ़कर कहा।
“देखो अभी गर्मी का मौसम है तो तुम पटल, कटहल, नेनुआ हो इस खेत में। थोड़ी ठंड आते ही गोभी, मटर, पालक, सेम आ जाएंगे पर मैं तो यही रहूँगा और सब सब्जियों के साथ पकाया जाता है मुझे।”
“तो उससे क्या हुआ उन्हें गर्मी पसंद नहीं इसलिए वो ठंड में आते हैं और मुझे ठंड नहीं पसंद तो मैं और पटल गर्मी में आते हैं।” दोनों हाथ कमर पर रख पतली बोली।
“अरे! हर सब्जी के साथ मुझे जाना पड़ता है, मेरे बिना वह पूरा ही नहीं होते। " मोटू ने घमंड में कहा।
“देखो कितना कुछ बनता हूँ मैं आलू पराठा, चिप्स, आलू टिकिया। कभी सुना है भिंडी पराठा भिंडी टिकिया और तुम्हारा चिपचिपा पन कोई खाए भी तो कैसे।” यह कह मोटू जोर जोर से हँसने लगा।
"पतली को गुस्सा आ रहा था उससे रहा न गया “हाँ हाँ! कभी सुना है, भिंडी से कोई बीमारी होते, शुगर में भिंडी नहीं खाते, मैं तो विटामिन और प्रोटीन देती हूँ और तुम खुद मोटे हो और मोटापा बाँटते हो, नहीं जाना मुझे तुम्हारे साथ!"
यह कह पतली पैर पटकते हुए चली जा रही।
“जाओ जाओ मैं राजा हूँ! मुझे किसी की जरूरत नहीं” कहता हुए मोटू आगे चला।
कुछ दिनों बाद मोटू और पतली एक ही किचन में एक ही टोकरी में मिले टोकरी से सारी सब्जियाँ चली जा रही थी। प्याज, टमाटर, मिर्च,अदरक, लहसुन और मोटू को कोई पूछता ही न था। पतलू भी अपनी बारी का इंतजार कर रहा था।
“क्या हुआ! राजा जी इतने उदास क्यों बैठे हो।" पतली ने हाल पूछा
मोटू ने बिना सर उठाए ही कहा “थक गया हूँ! यहाँ बैठे-बैठे सब चले गए मुझे नहीं ले जा रहे हैं।"
तभी टोकरी की तरफ एक हाथ बढ़ा मोटू के ऊपर मोटू खुश हो गया आज मेरी बारी उसे हाथ में तो लिया फिर वापस रख दिया। आवाज आई “रोज-रोज आलू खा कर उब गए हैं! कुछ दूसरा बनाओ।
वैसे भी पापा को शुगर है डॉक्टर ने आलू मना किया है। " फिर वह हाथ पतली की तरफ बड़ा “छोड़ो आज दाल बना लेते हैं सबको पसंद है" पतली भी रह गई।
पतली ने मोटू का मजा लेते हुए कहा “ क्या हुआ राजा जी आज भी रह गए। "
“ तुम भी तो रह गईं। " मोटू गुस्से में था।
“मुझे आज नहीं तो कल बना ही लेंगे मेरा रस सूखने से पहले। " पतली मुस्कुरा के बोली।
अब तो पतली को भी तरस आने लगा था मोटू का उदास चेहरा देख़ कर।
“देखो मोटू तुम सब्जियों के राजा हो बेशक, हर सब्जी के साथ तुम चले जाते हो पर एक ही चीज रोज-रोज कोई क्यों खाए हम हरी सब्जियाँ विटामिन और प्रोटीन देती हैं इसलिए हमें ज्यादा खाते हैं। राजा तभी राजा है जब उसकी प्रजा हो राजा का महत्व उसकी प्रजा से बढ़ता है अकेले रहने में नहीं।"
मोटू को एहसास हो गया था कि घमंड बुरी बात है। “सही कहा तुमने पतली आज यहाँ पड़े पड़े मैं उब गया हूँ। तुम सब के बिना तो अधूरा ही हूँ। मुझे घमंड नहीं करना चाहिए। "
तभी एक हाथ मोटू की तरफ बढ़ता है “ थोड़े से आलू - फ्राई बना लेते हैं बच्चों को पसंद है। "
मोटू खुश हो जाता है “ अच्छा पतली मैं चला फिर मिलेंगे कही, तुम अपना ध्यान रखना बाय। "
पतली भी ख़ुशी ख़ुशी मोटू को बाय कहती है।