हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance

सौतेला : भाग 40

सौतेला : भाग 40

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जब से शिवम घर आया था उसका चेहरा हमेशा की तरह खिला खिला नहीं था । तहसीलदार जैसा बड़ा पद और पिंकी को मंत्री का दरजा मिलने से उसके चेहरे पर जो स्वाभाविक निखार होना चाहिए था, वह सुमन को नजर नहीं आया था । दो साल का था शिवम तब वह इस घर में आया था । एक तरह से उसे सुमन ने ही पाला था । बाद में नेहा भी आ गई थी तो दोनों को पालने में ज्यादा मुश्किल नहीं लगी । इकलौते बच्चे को पालना अधिक कठिन है । जब एक बच्चा और आ जाता है तब दोनों बच्चे आपस में खेलते रहते हैं और मां बाप अपना काम करते रहते हैं । 

शिवम और नेहा खूब लड़ते झगड़ते थे पर हमेशा साथ ही रहते थे । शिवम बहुत भोला भाला और शर्मीला लड़का था । लड़ना तो जानता ही नहीं था । वो तो नेहा उससे लड़ती झगड़ती थी इसलिए अपने बचाव में लड़ना पड़ता था शिवम को । कभी कभी तो सोनू और नेहा एक हो जाया करती थीं और शिवम बेचारा अकेला पड़ जाया करता था । तब सुमन उन दोनों लड़कियों को खूब डांटती थी । शिवम कभी झूठ भी नहीं बोलता था मगर सोनू और नेहा झूठ बोलने में झिझकते नहीं थे । सुमन इन तीनों की रग रग से वाकिफ थी इसलिए शिवम पर कभी कोई गंभीर संकट नहीं आया था जबकि नेहा और सोनू अक्सर डांट खाती रहतीं थीं । 

सुमन को बीते दिन याद आने लगे । नेहा की शादी हो रही थी । नेहा की शादी जरा जल्दी ही हो गई थी । उस समय नेहा केवल 19 साल की थी लेकिन रत्नेश जी जैसा लड़का रोज़ रोज़ कहां मिलता है ? नेहा जैसे तूफ़ान को संभालने वाला कोई शिवजी जैसा ही होना चाहिए ना ? रत्नेश जी शिवम का अवतार हैं । एकदम शांत । कम से कम बोलने वाले । नेहा बोलते बोलते थकती नहीं और रत्नेश जी की जुबान कभी खुलती नहीं । काश ! सभी लड़कियों को ऐसा पति मिल जाये तो सबके भाग्य खुल जायें । सोनू को पता नहीं कैसा मिलेगा ? सुमन सोचती थी ।  

नेहा की शादी के समय शिवम 23-24 का हो गया था । अच्छी कद काठी और खूबसूरत चेहरा मोहरा दिया था भगवान ने उसे । शिवम के चेहरे से नूर टपकता था । आस पड़ोस की लड़कियां शिवम को देखने , उससे बातें करने उनके घर किसी भी बहाने से आ जाती थीं लेकिन शिवम अपने कमरे से बाहर ही नहीं निकलता था । बहुत इंतजार करने के बाद बेचारी निराश होकर लौट जाती थीं । 

नेहा की शादी में नेहा की सहेलियां, उनके रिश्ते की कुछ लड़कियां और मौहल्ले की लड़कियां इसके चारों ओर घूमा करती थीं । लेकिन ये पठ्ठा किसी की ओर आंख उठाकर भी नहीं देखता था । कभी कभी तो लड़कियों को शक होने लगता था कि वह लड़का है भी या नहीं ? लड़कों जैसी हरकतें करता ही नहीं था शिवम । न किसी को सीटी मारना और न लड़ाई झगड़ा । इसलिए लड़कियों ने इसका नाम "विश्वामित्र मुनि" रख दिया था । अब तो मेनका का इंतजार था । 


एक दिन पड़ोस में रहने वाली दिव्या उसे देखने सुबह 10 बजे ही घर आ गई । नेहा से बात करने के बहाने से वह आंगन में पड़ी चारपाई पर बैठ गई और नेहा , सोनू और अन्य स्त्रियों से बातें करने लग गई । उसका ध्यान शिवम के कमरे की ओर ही था । पता नहीं और किसी ने यह बात नोटिस की या नहीं , लेकिन सुमन ने इसे खूब नोटिस किया । दिव्या की बेताबी देखकर सुमन दिव्या को अपने कमरे में लेकर आ गई और उसके पास बैठकर बोली 

"कब से चाहती है तू शिवम को" ? 

इस तरह अचानक कोई ऐसा प्रश्न पूछ ले तो बंगलें झांकने के अलावा और कोई क्या कर सकता है । दिव्या अपना सिर नीचा करके चुपचाप ऐसे बैठी रही जैसे उसने मौन व्रत रखा हुआ हो । 

"बोल, बोलती क्यों नहीं है तू ? कबसे चाहती है शिवम को ? क्या शादी करेगी उससे" ? सुमन ने प्रश्नों की झड़ी लगा दी थी । 

वह फिर भी चुपचाप बैठी रही , कुछ नहीं बोली । 

"देख दिव्या, अब जमाना बदल गया है । आजकल तो जो कोई भी लड़का या लड़की किसी को पसंद आ जाता है तो वह तुरंत ही उनको "आई लव यू" बोल डालते हैं । उन्हें लगता है कि यदि आई लव यू नहीं बोला तो क्या पता कोई और लेकर उड़ जाये उसके प्रेमी / प्रेमिका को ? अब शरमाने से काम चलने वाला तो है नहीं । उधर शिवम भी बहुत शरमाता है । यदि दोनों ऐसे शरमाते रहोगे तो फिर दोनों में से पहल कौन करेगा इजहार की" ? सुमन दिव्या की आंखों में झांक कर बोली। 

"बुआ जी , वो मुझे बहुत अच्छे लगते हैं । उनका भोला सा चेहरा मेरी आंखों में बस गया है । अब बाकी बातें आप जानो और आपका काम जाने" । इतना कहकर वह अपने घर भाग गई । 

सुमन अवाक खड़ी रह गई । सच में दिव्या तो चाहती है शिवम को पर संकोची है । और शिवम तो ठहरा भोले भंडारी । दोनों संकोची हैं तो आपस में बात करेंगे नहीं । फिर बात कैसे बनेगी ? चलो , शिवम का दिल टटोलते हैं" । सुमन ने सोचा। 

सुमन शिवम के कमरे में आ गई । सुमन को देखकर शिवम उठकर खड़ा हो गया और सुमन बुआ के पैर छूने लगा । 

सुमन उसे मना करती रह गई लेकिन शिवम अपना काम करके ही माना । सुमन ने बिना भूमिका बनाये बात शुरू कर दी 

"वो अपने घर के पास वाली लड़की दिव्या है ना , कैसी है वह ? सुंदर तो है ना" ? 

शिवम ने आश्चर्य पूर्वक सुमन की ओर देखा और धीरे से बोला 

"मैं क्या जानूं दिव्या को ? कौन है ये लड़की" ? 

"अरे , तू अपने पड़ोसियों को भी नहीं जानता है ? सेठ मुरारीलाल की इकलौती बेटी है । मौहल्ले की सबसे खूबसूरत लड़की है दिव्या । उसके पीछे मौहल्ले के सारे लड़के पड़े हुए हैं और तू उसे जानता तक नहीं ? पैसे वाले बाप की इकलौती बेटी है वह । खूब खाता पीता परिवार है । तू कहे तो तेरी शादी की उन लोगों से बात करूं" ? सुमन उसका मन टटोलने लगी । 

"पता नहीं आप क्या बोल रही हो बुआ जी ? मैं तो उसे जानता भी नहीं हूं । और ये शादी वादी की बातें मुझसे क्यों कर रही हो ? मुझे नहीं करनी है शादी वादी" । शिवम शरमाते हुए बोला । 

"शादी के नाम से ऐसे शरमा रहा है जैसे कोई लड़की शरमाती है । तू चाहता है क्या उसे" ? 

"आप भी गजब करती हैं बुआ । मैं जिसे जानता ही नहीं उसे चाहूंगा कैसे" ? 


सुमन ने अपनी सारी कलाकारी लगा दी उसका मन टटोलने में लेकिन उसे कुछ नहीं मिला । बेचारी दिव्या मन मसोस कर रह गई और एक दिन उसके बाप ने उसकी शादी कहीं और कर दी । काश ! दिव्या से हो जाती उसकी शादी ? पर होनी को जो मंजूर होता है, वही होता है । जब से पिंकी मंत्री बनीं है तब से शिवम सुस्त रहने लगा है । उसकी उदासी का राज पिंकी में ही लग रहा है । शिवम आयेगा तो वह बात करेगी उससे । सुमन उसी का इंतजार करने लगी । 



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