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Kunda Shamkuwar

Abstract

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Kunda Shamkuwar

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सौदा

सौदा

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आज बहुत दिनों के बाद कबाड़ी वाले की आवाज सुनाई दी।

अचानक मेरे जहन में इतने दिनों से इकठ्ठी हुयी न्यूज़पेपर की रद्दी कौंध गयी।

झट से बालकनी में आकर मैंने कबाड़ी वाले को आवाज दी।ऊपर आकर नमस्ते करते हुए वह कहने लगा, "काफी दिनों के बाद बुलाया है आपने मैडम। "

पानी देते हुए मैंने उसे रद्दी कैसे लोगे पूछा। उसने 10रु किलो की बात की, मैंने कहा,क्यों 10रु?पिछले बार तो 11रु लिया था,मैं11रु ही लूँगी।उसके साढ़े दस कहने पर मैंने टिपिकल लेडीज के अंदाज में 11रु पर अड़ी रही।अनमने पन से उसने हामी भरी और मेरे कहने पर पेपर्स उठाने लगा।

पेपर्स रखते रखते मैंने उसे पूछा,"आजकल काम कैसे चल रहा है?"

वह कहने लगा,"मैडम,आजकल काम बड़ा मंदा चल रहा है।"

मुझे लगा कि Demonetization और poor GST implementation के कारण ये कह रहा है।मैंने उससे कहा, "Demonetization तो पुरानी बातें हो गयी है और सरकार तो उससे किसी नुकसान की बात नही करती है। पता नही तुम मेरे से क्यों इतनी सस्ती रद्दी ले रहे हो?"

वह कहने लगा,"मैडम, उनके अलावा शहर के इन दिनों हुए दंगों के कारण कोई घर से बाहर ही नही निकल रहा है।बहुत नुकसान हुआ है मैडम।मैं भी बड़ी मुश्किल से बचा हूँ।"

मेरे आँखों के सामने टीवी में दिखायी जाने वाली सारी खबरें आयी।मैंने उसे पूछा,"क्या तुम मुस्लिम हो?" उसने नजरें चुराते हुए हामी भरी।मेरे आँखों के सामने दंगों में जले हुए घर और दुकानें की तस्वीरें आयी।मैं आसमाँ से ज़मीं पर आयी।मुझे बहुत मलाल हुआ की मै यह क्या कर रही हुँ।मैंने कहा,"मैं 10रु ही लुंगी। तुम मुझे 10रु से ही देना। "

उसने रद्दी का पूरा काम करके मुझे पैसे दिए। मैंने पैसे लेते हुए उसे घर मे रखी हुयी मिठाई दी।

उसकी आँखों की चमक बहुत कुछ गयी।

शायद पहली बार मैंने इस तरह का कोई मीठा सौदा किया ......


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