साजिश
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"देखो दोस्त हमे तुम्हारे बड़े भाई और उसके परिवार को ठिकाने लगाने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन एक्सीडेंटल डेथ वाली शर्त लागू न करो।" -कलवा ने धीरज को घूरते हुए कहा।
"पैसा दे रहा हूँ तुम्हारी मर्जी के तो काम मेरी मर्जी का होना चाहिए।" -धीरज ने थोड़ा झल्ला कर कहा।
"दोस्त एक्सीडेंट प्लान करने में थोड़ा वक़्त लगता है, तुम एक दिन का टाइम दे रहे हो इतने टाइम में तो केवल सीधे गोली मार कर हत्या ही की जा सकती है।" -कलवा धीरज से परे देखता बोला।
"देख भाई तू इस काम को मेरे हिसाब से अंजाम दे सकता है तो बोल नहीं तो पैसा वापस कर। -धीरज भड़क कर बोला।
"पैसा वापिस नहीं मिलेगा और यहाँ ज्यादा भड़कने की जरूरत नहीं है, हम सिर्फ सीधे गोली मार कर अपना कॉन्ट्रैक्ट पूरा करेंगे, तुम्हारी हाँ हो तो बोलो नहीं तो दफा हो जाओ। -कलवा गुर्रा कर बोला।
"भड़कता क्यों है भाई, तू काम अपने हिसाब से कर और कल ही कर।" -कहते हुए धीरज उठ खड़ा हुआ।
आधे घंटे बाद धीरज ने एक ऑनलाइन किलर को पूरी फीस भरते हुए निर्देश दिए कि उसके भाई, उसकी पत्नी और बेटी की हत्या इस तरह हो कि लगे की किसी आंतकवादी हमले में मारे गए हो और ये आंतकवादी हमला उस समय हो जब वो तीनों बाजार में खरीददारी कर रहे हों। और यदि कोई उनपर हमला करता मिले तो वो भी इस आंतकवादी हमले में मारा जाना चाहिए।
ऑनलाइन किलर का पोसिटिव रेस्पोंस मिलने के बाद धीरज बहुत खुश था। आखिर वो इस रिश्ते की पोटली को कब तक ढोता रहता, मरे तीनों के तीनों आखिर वो पुश्तैनी सम्पत्ति में बड़े भाई की बेटी का हिस्सा रखकर अपने बेटे के हिस्से को कैसे कम कर सकता था।