मानव सिंह राणा 'सुओम'

Classics Inspirational

4.5  

मानव सिंह राणा 'सुओम'

Classics Inspirational

आँखों की रोशनी

आँखों की रोशनी

2 mins
382


शाम का समय था। हल्की ठंड पड़ रही थी। रजत तेजी से घर की तरफ बढ़ा चला जा रहा था। उसे आज माँ के हर वो कष्ट याद आ रहे थे जो उन्होंने झेले थे। घरों में खाना बनाने जाती थी माँ तब जाके उसकी पढ़ाई पूरी हुई। आज रजत और रजत की पत्नी प्रिया ने कसम खा रखी थी कि माँ की सेवा में कोई कसर नहीं रखेंगे। रजत एक कम्पनी में डेवलपमेंट मैनेजर था। आज माँ की आँख के ऑपरेशन की डेट थी। डॉक्टर ने रात 8 बजे बुलाया था इसीलिए वह जल्दी ही ऑफिस से निकल आया था। 

घर की गली में प्रवेश किया तो दूर से ही देखा घर के दरवाजे पर भीड़ थी। रजत को पता था मोहल्ले वाले माँ को विदा करने आये होंगे हॉस्पिटल के लिए।

पता नहीं था रजत को कि माँ की अंतिम विदाई की भीड़ थी।

आज 3 माह बीत चुके थे माँ को गए हुए। रजत प्रतिदिन की तरह ही चौराहे से घर की तरफ पैदल चल दिय था।अभी थोड़ी ही दूर चला था कि अचानक उसे एक बुढ़िया दिखाई दी बिल्कुल माँ जैसी। शक्ल सूरत भी मिलती थी। वो रो रही थी एक कोने में बैठी। ये देखकर रजत के कदम ठिठक गए। "क्या बात है माता जी ? आप क्यों रो रही हैं?" रजत ने पूछा।

पहले तो वो रोती रहीं फिर जब रजत ने दुबारा पूछा तब रोते हुए ही बोलीं - " बेटा मुझे आंखों से दिखना बन्द हो गया तब मेरे बहु और बेटे ने घर से बाहर निकाल दिया। अब मैं किसी काम की नहीं रही न।"

बुढ़िया फफक कर रोने लगीं। बुढ़िया और बातें रोते हुए बताते जा रही थीं लेकिन जैसे रजत तो कुछ सुन ही नही पा रहा था। वो तो सोच रहा था कैसा बेटा है? जिसने अपनी माँ को घर से बाहर निकाल दिया। 

अचानक अंदर से आवाज आई। 

"बेटे अब तो मेरी आँखों का ऑपरेशन करा दे।"

बेचैन हो गया रजत। उसने बुढ़िया माँ को उठाया और टैक्सी करके सीधे हॉस्पिटल ले गया। उनको हॉस्पिटल में भर्ती कर दिया। दूसरे दिन उनका ऑपरेशन हो गया।

बुढ़िया माँ की आँखों की रोशनी आ गई। बुढ़िया माँ अब केवल माँ बन गई थीं। रजत को अब माँ मिल गई और माँ को बेटा और परिवार।

काश ऐसी सोच हम सबकी हो जाती तो हमारे बुजुर्ग सड़को और वृद्धाश्रम में नजर ना आते।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Classics