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Sheikh Shahzad Usmani

Abstract

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Sheikh Shahzad Usmani

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रोड नॉट टेकन

रोड नॉट टेकन

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एक वैश्विक महामारी के प्रकोप संग अपनी मातृभूमि और आवाम में बढ़ रहे भ्रष्टाचार, भुखमरी, हत्या-आत्महत्या, बलात्कार, मौतों के आँकड़ों के साथ स्वदेशी संसाधनों के चोले में  'सत्तर प्लस का परिपक्व विशाल एशियाई लोकतंत्र' आज अपनी भूमि की सीमाओं पर बलात्कार सा अतिक्रमण करती एक उभरती व इतराती अहंकारी शक्ति की चुनौतियों के मुहाने पर खड़ा हुआ था।

"दो रास्ते हैं… पहला आयात और निर्यात क़ायम रखने के लिये सिर्फ़ और सिर्फ़ दुश्मन से शान्ति वार्तायें जारी रखने का और दूसरा युद्ध कर उसे फ़िर से करारा सबक़ सिखाने का!" यह सोचते हुए उसे आँग्ल-भाषा के कवि रॉबर्ट फ्रॉस्ट की कविता 'रोड नॉट टेकन' का स्मरण हो आया, जो उसके प्रथम प्रधानमंत्री के एक प्रिय कवि भी थे।

"पहला मार्ग तकनीकी और रंग-बिरंगी औद्योगिक तरक़्क़ी वाला है और दूसरा आत्मनिर्भरता के मात्र स्वप्न और आश्वासनों से युक्त अर्थ-व्यवस्था को घोर अंधकार में धकेलने वाला!" यह सोचकर वह दुविधा में फँस कर रह गया।

"जिस राह पर अधिकतर मुल्क चला करते हैं, उस राह पर जाना उचित है या जिस पर कम चला जाता है, उस पर! राजनीति किस पर अच्छी और लम्बी चलेगी और संधियाँ-समझौते किस पर!" फ़िर से उलझ गया वह परिपक्व कहलाया जाने वाला लोकतंत्र!

फ़िर? … फ़िर उसने चुन ही लिया उनमें से एक रास्ता और उस पर चल पड़ा हालात, तज़र्बात, स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता के साथ मातृभूमि की सम्प्रभुता, रक्षा और अवाम के हितार्थ; लेकिन इस चिंता के साथ कि जहाँ वह पहुँँचेगा, वहाँँ उसे उस छोड़े गये रास्ते पर पछतावा तो न होगा !


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