बाहुबली सिकन्दर बवंडर
बाहुबली सिकन्दर बवंडर


"अलेक्जेंडर... सिकन्दर... एस्केन्दर.... या हिंदी नाम अलक्षेन्द्र... कोई भी नाम हो... तुम्हारे मुख से यूँ सुनना मेरे लिये बहुत ही कष्टदायक है प्रिय!" गोपनीय सैर में सुदूर पहाड़ी क्षेत्र में अपने घोड़े से उतरकर महेंद्र बाहुबली ने अवंतिका से कहा।
"तुम्हें उसका नाम सुनना पसंद नहीं... तो सोचिए दुनिया में उसकी विजयपताका के समाचार सुनना मुझे कितना कष्ट देता होगा!" अवन्तिका ने भी घोड़े से उतरकर बाहुबली के कंधे से हथियार उतारते हुए कहा।
"वो कुछ लोगों की दृष्टि में विजेता भले हो... लेकिन जासूसी और धूर्तता से सफलता प्राप्त करने वाले तथाकथित कुशल यौद्धा की पराजय एक दिन सुनिश्चित ही है... धैर्य और सुनियोजित युद्ध की आवश्यकता है।" बाहुबली ने एक चट्टान पर अपना पैर टिकाते हुए कहा।
"मुझे आप पर... आप की कुशल युद्ध रणनीतियों पर पूरा विश्वास है। अलैक्जेंडर कहलाये या सिकन्दर... उसकी पराजय तो महेन्दर के हाथों होनी है और शीघ्र ही!" अवन्तिका ने महेंद्र बाहुबली से कहा, "आपको जन्म से ही पर्वतों में रुचि रही है, सो मैं आपको ऐसे स्थलों पर ही लाकर आपका मनोबल और संकल्प वृद्धि कराती हूंँ। चलिए, अब हम वापस महल में चलते हैं।"
पहाड़ी क्षेत्र और जलप्रपात से गुजरते हुए एक घंटे पश्चात वे दोनों महल में प्रवेश कर ही रहे थे कि एक गुप्त संदेशवाहक ने नज़दीक़ आकर बाहुबली को सूचित किया कि सिकन्दर अपनी सेना के साथ कई देशों पर विजयपताका फहराता हुआ भारत देश की और बढ़ रहा है। जीते हुए राष्ट्रों की सैन्य शक्ति हथियाकर हमें चुनौती दे रहा है।
"अवन्तिका, तुम अपने कक्ष में पहुँँचो। मेरे लिए अब विश्राम अनुचित है। हमारी रणनीति के अगले चरण का क्रियान्वयन आरम्भ करना होगा।" यह कहकर बाहुबली अपने सभागार में पहुँचा और अपनी विशिष्ट शैली में उसने अपने विश्वसनीय सेवक को सेनापति को बुलवाने का आदेश दिया।
"कट्टप्पा के युद्ध कौशल और पिताजी अमरेंद्र जी की व भल्लालदेव की राजनीतिक, कूटनीतिक युद्ध कला का हमें अब सदुपयोग करना चाहिए। हमने अपने विरोधियों व शत्रुओं को समझाकर अपने माहिष्मती साम्राज्य सहित सम्पूर्ण भारत देश की रक्षा के लिए एकजुट कर लिया है।" बाहुबली ने सेनापति से विमर्श आरम्भ करते हुए कहा।
"महाराज, सच तो यह है कि सिकन्दर ने आधी दुनिया नहीं बल्कि विश्व के मात्र पाँच प्रतिशत राष्ट्रों पर विजय नहीं अवैध कब्ज़ा कर रखा है। विश्व की जनता और शासक हमारे ही पक्ष में हैं। अब हमें देर नहीं करनी चाहिए। विजय हमारी ही होगी।" सेनापति ने एक बार फ़िर बाहुबली को तथ्यपरक जानकारी देकर विश्वव्यापी युद्ध में विजय का आह्वान किया।
एक सप्ताह के अंदर भीषण युद्ध हुआ बाहुबली और सिकन्दर की सेनाओं के मध्य पूर्व नियोजित रणनीति के चरणबद्ध क्रियान्वयन से।
सिकन्दर के मशहूर घोड़े भवकपाली अर्थात बुकिफाइलस सहित एक मुठभेड़ में सिकन्दर की भी दर्दनाक मौत हुई महेन्द्र बाहुबली के हाथों। विश्व विजय का उसका दिवास्वप्न भी धरा का धरा रह गया।
पूरे विश्व में 'बाहुबली दि ग्रेट' और 'महान महेन्द्र बाहुबली' के नारे बच्चे-बच्चे की ज़ुबान पर थे।