रिश्ते
रिश्ते
न जाने कौन सी बीमारी ने पैर फैलाया था कि लोग अपने-अपने घरों में बंद हो गये थे। रुचि की सासू माँ कुछ ज्यादा ही परेशान थीं। बेटा-बहू दोनों घर से ही ऑफ़िस का काम कर रहे थे। छोटी आठ साल की मिन्नी के तो मजे ही मजे थे मम्मी-पापा का साथ, मनपसंद खाना और खेलना। स्कूल बंद होने के कारण देर तक सोना। वह दादी के साथ ही सोती थी। रुचि ने रात में पानी लेने के लिए जैसे ही दरवाज़ा खोला दरवाज़े पर छोटी मिन्नी को देखकर चिंतित हो गई।वह बहुत दिनों से यह सब देख रही थी। पहले उसने सोचा कि मिन्नी शायद उसके पास रहना चाहती है लेकिन एक दिन उसने अपनी सासू माँ को मिन्नी के साथ बात करते सुना कि जब मम्मी-पापा अपने कमरे में हों तो छिपकर उनकी बातें सुने और दादी को बताये, दादी ढेर सारी
चॉकलेट देगी। नन्ही मिन्नी इसी लालच में इन दोनों की बातें सुनती थी।
रुचि आवाक थी। वह मिन्नी के बचपन को बर्बाद होते देख रही थी। मनोविज्ञान की पढ़ाई करने के कारण वह समझ रही थी कि कम उम्र में पति को खो देने से शायद सासू माँ को लगता हो कि वह उसके बेटे को बस में कर वह उन्हें बेटे से दूर कर देगी।
रुचि ने कुछ सोचा और अपने पति से सारी सलाह की। दूसरे दिन वह सासू माँ के साथ ही सोई। धीरे-धीरे रुचि की सासू माँ समझ गईं कि उनका बेटा उनका ही रहेगा। एक दिन उन्होंने रुचि से कहा वह अपने कमरे में सोये। रुचि ने हँसते हुए कहा, अब मिन्नी को तो जासूसी करने नहीं भेजेंगी ? और दोनों सास-बहू खिल खिलाकर हँस पड़ी।
रिश्तों का लॉकडाउन हो गया था। और मजबूत।