रिश्ते
रिश्ते
आज फिर रीना पर सास ननद और जेठ की उंगलियां उठीं। आज फिर उसे नीचा दिखाया गया। डराया गया, मायके वालों को भी निशाना बनाया गया।
रोज़ उसकी कोई छोटी सी कमी को पकड़कर घर में फसाद और झगड़ों का विषय बनाया जाता।
रीना जो वाशरूम में बंद वाशबेसिन में मुँह झुकाए बिन आवाज़ के रोए जा रही थी, सोच रही थी "क्या मैं इतनी बुरी हूँ?
डर डर के जीना उसकी फ़ितरत बनती जा रही थी, कुछ भी करते समय कुछ गलत न हो जाए का डर उसके मन मे निरंतर बना रहता।
मगर जब रोनित घर आते यही दुख ख़ुशियों में बदल देते। उन्हीं के प्यार के कारण आज तक रीना ने कोई कदम नही उठाया था।
वह रोनित को कभी कुछ नही बताती थी यही सोच कर कि माँ -बाप भाई -बहनों के लिए , मेरी वजह से रोनित के मन मे ज़रा सी भी घृणा या गुस्सा आ गया तो ये रिश्तों का अपमान ना हो जाए।
लेकिन बहू.. ये रिश्ता तो पहले ही बदनाम है, अपने लिए अब वह स्वयं ही खड़ी होगी।
अपना अस्तित्व बचाने और माँ-बेटे का रिश्ता निभवाने को ,खुद के आंसू पोछ कर रीना अब वही पलट कर जवाब देने का रिश्ता बनाने को विवश थी| जबकि शादी से पहले वह स्वयं जवाब देने वाली बहुओं को बुरा समझती आई थी।