Shubhra Ojha

Inspirational Others

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Shubhra Ojha

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रिश्ता

रिश्ता

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आज तुम पूरे पांच मिनट लेट हो, कहां रह गई थी ?

मेरा चश्मा नहीं मिल रहा था उसे ही ढूंढने में लेट हो गयी, अब इस उमर में भूलने की आदत भी तो आम बात है।

उमर हो गई होगी तुम्हारी मैं तो अभी भी खुद को अठारह बरस की ही समझती हूं।

यह कहकर दोनों सहेलियाँ हंसते हुए मॉर्निंग वॉक पर निकल गयी। रास्ते में एक युगल को दौड़ते हुए देखकर एक सहेली ने दूसरे से कहा -

ये दोनों कितने एक्टिव है, हमेशा दौड़ते हुए दिख जाते है, नहीं तो आज कल के बच्चे सुबह सोना ही पसंद करते है। पता नहीं ये दोनों किस बिल्डिंग में रहते है, शायद इन दोनों के बच्चे बड़े हो गए होंगे इसलिए ये दोनों बच्चों को घर में छोड़कर इतनी सुबह साथ में दौड़ते होंगे।

ये जो महिला है ना, वो मेरे ही बगल वाले बिल्डिंग में रहती है और इसका लगभग तीन साल का एक बेटा है जिसको इसका पति देखता है जब वो जॉब पर जाती है।

अच्छा हो सकता है इस समय उसका बेटा अकेले सो रहा हो इसलिए ये दोनों साथ में दौड़ रहे है।

उसका बेटा अकेला नहीं है उसका पति उसके साथ है।

क्या कहा, इसका मतलब ये जिसके साथ दौड़ रही वह उसका पति नहीं है ?

नहीं।

फिर कौन है ?

एक औरत का किसी पुरुष से बेटा, पिता और पति के अलावा भी एक रिश्ता होता है, और वो

"दोस्ती का रिश्ता" है।


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