शक
शक
अपर्णा अपने बेटी बिट्टू के बर्थडे पार्टी के लिए मेहमानों की लिस्ट बना रही थी, साथ में उसका का पति मोहित भी था। सभी नात रिश्तेदारों का नाम लिखने के बाद अपर्णा ने दोस्तों के नाम लिखने शुरू किए, सबसे पहले मोहित के दोस्तों का नाम लिखा गया, उसमें से कुछ लड़कियों के भी नाम थे, जो मोहित की अच्छी दोस्त थी। अपर्णा ने मेहमानों के लिस्ट को आगे बढ़ते हुए अपने सहेलियों के नाम लिखने शुरू किए, सारे नाम लिखते हुए उसने बोला "राजन"। यह नाम सुनते ही मोहित ने कहा
"राजन को बुलाने की क्या जरूरत है ? उसके पास तो कोई बेबी भी नहीं है।"
"तो क्या हुआ वो अपनी वाइफ के साथ आ जायेगा।"
"क्या, राजन को बुलाना इतना जरूरी है ?"
"हां, राजन मेरा सबसे अच्छा दोस्त है, मेरे साथ काम करता है, उसके साथ हर समय मेरा उठना बैठना है, जब उसे पता चलेगा कि मैंने अपने बेटी के बर्थडे में उसे नहीं बुलाया तो वो बुरा मान जायेगा।
"तो क्या हुआ, तुम्हारी सारी सहेलियां तो आ ही रही है।"
" राजन की बात और दोस्तों से बिल्कुल अलग है।"
क्यों ?
"रोहित, क्या तुम मुझ पर शक कर रहे हो ?"
नहीं तो...
"तो फिर मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि तुम्हे राजन से कुछ प्रॉबलम है, तुम कुछ छुपा रहे हो मोहित।"
"अपर्णा, आज मैं तुम्हे एक बात बता दूं, मुझे राजन बिल्कुल पसंद नहीं है।"
"अच्छा, वो इसलिए कि राजन मुझसे बातें करता है, कभी- कभी घर छोड़ने आ जाता है। मैं अगर कोई काम राजन को बोल दूं, तो वो मुझे मना नहीं करता।"
बस भी करो अपर्णा...
"मैं बस करू मोहित, तुम बंद करो, मुझ पर शक करना। राजन, सिर्फ मेरा अच्छा दोस्त है और कुछ नहीं। आज मैंने यह सब बोल दिया अगली बार इस टॉपिक पर मुझे कोई एक्सप्लेनेशन नहीं देना। वैसे तुम्हारी भी तो कितनी लड़कियां दोस्त है, तुम भी तो बहुतों के साथ बातें करते हो, लंच करते हो, उनमें से कई तो बिट्टू के बर्थडे में भी आ रही, तो हर बात पर हम औरतें को ही अपना कैरेक्टर सर्टिफिकेट क्यों देना पड़ता है ? आखिर हम औरतें कब तक, हर बात पर अग्निपरीक्षा देती रहेंगी।
यह कहते हुए अपर्णा ने राजन का नाम मेहमानों के लिस्ट में एड कर दिया।