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Shubhra Ojha

Drama Fantasy

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Shubhra Ojha

Drama Fantasy

सच्चा श्राद्ध

सच्चा श्राद्ध

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 यह कुछ दिन पहले की बात है, वो अच्छा भला तो था। चल-फिर रहा था, मेरी सारी बातों को मान रहा था। फिर अचानक उसे क्या हो गया कि वह अपनी अंतिम सांसे गिनने लगा, मैंने उसे बहुत बचाने की कोशिश की लेकिन उसने मेरे हाथों में अपनी अंतिम सांसे लेते हुए हमेशा के लिए आंखें मूंद ली।


मैंने यह दुखद खबर अपने पति को बताया, सबसे पहले उन्होंने थोड़ा दुख जताया फिर सांत्वना देते हुए मुझे समझाया कि, "कोई बात नहीं फोन ही था, नया आ जाएगा।"


मुझे उनकी बात सुनकर बहुत गुस्सा आया, फोन ही था, इसका क्या मतलब होता है? आज के समय में फोन, फोन नहीं रहा, वह तो अब घर का सदस्य ही बन गया है, लेकिन अब यह बात पतिदेव को कौन समझाए। खैर, मोबाइल फोन के जाने से मन बहुत उदास था, फिर भी मन में एक आस थी कि शायद मोबाइल फोन के हॉस्पिटल में जाने से फोन जीवित हो जाए, तब मैंने गूगल बाबा से निकट के मोबाइल रिपेयर हॉस्पिटल का एड्रेस सर्च किया और अपने फोन को लेकर हॉस्पिटल पहुंच गई।


वहां जाकर मुझे पता चला की मेरे फोन के कुछ आर्गन को ट्रांसप्लांट करना पड़ेगा, जिसका चार्ज मेरे बजट से बाहर था। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं, फिर मैंने सोचा की क्यों ना जिस कंपनी का मेरा मोबाइल फोन है उस कंपनी को फोन करके अपने मोबाइल फोन की स्थिति से अवगत कराया जाए।


मैंने कॉल किया और बताया अभी तो मेरे फ़ोन को आपके वहां से आये कुछ ही महीने हुए थे फिर कैसे प्राण विहीन हो गया, जबकि यह वारंटी पीरियड में था। मेरी पूरी बात सुनने के बाद उन्होंने कहा कि, आप अपना मोबाइल फोन हमारे पास भेज दें, तो हम उसे देखकर उसका इलाज कर सकते हैं, इलाज न कर पाने की स्थिति में हम आपको एक दूसरा नया फोन भेज देंगे, मुझे उनका यह विचार ज्यादा पसंद आया।


मैंने रोते हुए फोन को अपने हाथों में उठाया फिर बबल वाले रैपर्स मैं लपेटकर उसे आखरी वस्त्र पहनाया। अंत में फेडेक्स के द्वारा मैंने अपने फोन की अंतिम विदाई कर दी। ईमेल के द्वारा मुझे पता चला कि अगले दिन मेरा फोन अपने ईश्वर यानी कि उस कंपनी के पास पहुंच जाएगा, जिसने उसे बनाया था।लेकिन, मेरा मन अपने फोन से बिछड़ जाने के कारण बहुत उदास था।


अगले दिन मेरे फोन के ईश्वर द्वारा मुझे मैसेज प्राप्त हुआ की मेरे फोन को रिपेयर नहीं किया जा सकता इसलिए वह लोग सेम रंग रूप का दूसरा फोन मेरे लिए भेज रहे हैं। मेरा मन थोड़ा खुश हुआ कि चलो वह फोन ना सही उसी के जैसा दूसरा फोन तो मिल जाएगा।


एक दिन इंतजार करने के बाद मुझे दूसरा फोन मिल गया, जो देखने में बिल्कुल मेरे फोन जैसा ही था। मैंने उस नए फोन में प्राण प्रतिष्ठा करते हुए अपना सिम लगा दिया। अब मेरे लिए अगला काम था, अपने फोन के लिए नए वस्त्र यानी कि स्क्रीन गार्ड लेना तो मैंने उसकी भी शॉपिंग ऑनलाइन कर ली।


लगभग सब कुछ मेरे फोन में सेट होने के बाद, मैं अपने फ़ोन में कुछ जरूरी एप्स डाउनलोड करने लगी जिसे देख कर मेरे पति ने मुझसे पूछा,

"तुम यह क्या कर रही हो" 

मैंने कहा, "जो सारे एप्स मेरे पुराने फोन में थे वही सब डाउनलोड कर रही हूं। यही मेरे पुराने फोन के लिए सच्चा श्राद्ध होगा।"



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