लड़के रुलाते नहीं
लड़के रुलाते नहीं
शौर्य, पड़ोस में रहने वाली पीहू के साथ खेल रहा था और उसके पापा न्यूजपेपर पढ़ने में व्यस्त थे, लेकिन बीच-बीच में एक नजर दोनों बच्चों पर भी डाल दे रहे थे।
शाम का वक्त था तो शौर्य की दादी आरती कर रही थी। चार वर्षीय शौर्य अपनी बेस्ट फ्रेंड पीहू के साथ कभी कार रेस तो कभी डायनासोर फाइटिंग गेम खेल रहा था।
डायनासोर फाइटिंग गेम में पीहू के हाथों से शौर्य के सिर पर चोट लग गयी, चोट लगते ही शौर्य जोर-जोर से रोने लगा। इससे पहले कि पापा पेपर छोड़कर बच्चों के पास पहुंचते, शौर्य की दादी ने रोने की आवाज़ सुनकर अपनी आरती छोड़ी और भागते हुए बच्चों के पास आ गई।
शौर्य को रोता हुआ देखकर उसे अपनी गोद में उठा लिया, और पीहू से बोली,
"देख कर नहीं खेल सकती क्या ?? बोल, मेरे लाडले को क्यों मारा ??"
"सॉरी दादी", पीहू ने बोला...
दादी को समझाते हुए शौर्य के पापा बोले,
"अरे, पीहू भी बच्ची है, उसने जानबूझ कर थोड़े ना मारा, खेल- खेल में गलती से लग गया होगा।"
अपने बेटे की तरफ ध्यान ना देते हुए दादी ने शौर्य को गोद में घूमा कर चुप कराने लगी...
"ज्यादा तो नहीं लगी ना मेरे बच्चे को, चुप हो जा, रोते नहीं, तू लड़की थोड़े ना हैं जो रो रहा, लड़के रोते नहीं, बिल्कुल भी नहीं, चुप हो जा मेरा राजा बेटा।"
यह सुन कर शौर्य के पापा ने पीहू को गोद में उठा लिया, फिर शौर्य से कहा, "चोट लगने पर लड़के बिल्कुल रो सकते है, लेकिन इतनी प्यारी लड़की को कभी रुला नहीं सकते।"