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Shubhra Ojha

Children Stories

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Shubhra Ojha

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सौतेली मम्मी

सौतेली मम्मी

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आठ वर्षीय सिया को दादी ने पुचकारते हुए कहा---

"आ जा, मेरी लाडो, इधर आ, अपनी मम्मी के पास बैठ।"


"ये मेरी मम्मी नहीं है। मुझे पता है वो भगवान जी के पास चली गई है, और ये जो आंटी बैठी है वो मेरी सौतेली मम्मी है।"


"नहीं मेरा बच्चा ऐसे नहीं बोलते, ये सब तुम्हे किसने सिखाया।"


"मैंने सब सुन लिया था, जब काम वाली आंटी बुआ से बोल रही थी कि सौतेली मांँ किसी की नहीं होती।"


"ऐसा नहीं कहते सिया, नई मम्मी बहुत अच्छी हैं, तुम्हे बहुत प्यार करेंगी।"


"नहीं, मेरी सिर्फ एक ही मम्मी थी जो अब मेरे पास नहीं है।"


"सिया मेरे बच्चे, तुम मानो या ना मानो लेकिन अब कड़वी सच्चाई यही है, कि ये सौतेली मांँ ही तुम्हारे जीवन में असली मांँ के सारे फर्ज निभायेगी। मुझे पता है, यह सब समझने के लिए तुम्हारी उम्र बहुत छोटी है, लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि यह बात तुम एक ना एक दिन जरूर समझोगी।"


यह बात कहते हुए दादी, सिया के गले लग कर रोने लगी।



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