Shubhra Ojha

Drama Inspirational Children

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Shubhra Ojha

Drama Inspirational Children

पाँच हज़ार

पाँच हज़ार

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“रुपए कोई पेड़ पर नहीं उगते जो इतना अनावश्यक खर्च करती हो, थोड़ा बचत करना भी सीखो।” यह कहते हुए सुरभि के पापा खाना खाकर डाइनिंग टेबल से उठ गए।बारह वर्षीय सुरभि अपनी मम्मी से बोली “ऐसा क्या बोल दिया मैंने जो पापा मुझे इतना सुना कर चले गए।बस, अपने बर्थडे ड्रेस के लिए पैसे माँगे थे।”

“सुरभि जिस ड्रेस की तुम बात कर रही हो न वो पूरे पाँच हज़ार की है और पाँच हज़ार बहुत होते है, समझी।”

“मम्मी सिर्फ़ पाँच हज़ार की ड्रेस है वो पाँच लाख की नहीं जो आप लोग इतना ओवर रीऐक्ट कर रहे।अभी लास्ट वीक ही इशिका का बर्थडे था उसके पेरेंट्स ने फ़ाइव स्टार होटल में उसका बर्थडे मनाया और उसके सभी दोस्तों को बुलाया था। कितना अच्छा डेकोरेशन था वहाँ और इशिका ने भी कितनी प्यारी ड्रेस पहन रखी थी। एकदम परी लग रही थी। मैं तो आप लोगों से सिर्फ़ और सिर्फ़ पाँच हज़ार की ही ड्रेस माँग रही, बस। वैसे भी मम्मी पाँच हज़ार तो पापा मुझे दे ही सकते है उनके पास कौन सी पैसों की कमी है ?” 

यह कहते हुए सुरभि भी डाइनिंग टेबल से उठ कर जाने लगी तभी उसके घर में काम करने वाली मालती आकर डाइनिंग टेबल से सारे बर्तन उठा कर ले जाने लगी। सुरभि को वही रुकने को बोलकर सुरभि की मम्मी मालती से बात करने लगी।

 “आज मैं तुम्हारा हिसाब कर दूँगी, कल से तुम्हें काम पर आने की ज़रूरत नहीं है ।”

“लेकिन क्यों मैडम ?”

“क्योंकि तुम्हारा काम कल से कोई और करेगा।”

“ऐसा क्यों कर रही है मैडम ?”

“कोई है जिसे पैसों की बहुत ज़रूरत है।”

“मैडम, यह आप क्या बोल रही है ? आपको पता है कि मेरे पति की तबियत सही नहीं है इसलिए वो काम पर नहीं जा पा रहा। मेरे पैसे से ही घर का गुज़ारा होता है। मेरे बच्चों का पेट भर पाता है।आप काम से निकाल देंगी तो घर चलाना मुश्किल हो जाएगा। प्लीज़ मैडम…।”

“कुल कितना कमा लेती हो ?”

“मैडम, पाँच हज़ार।”

यह सुनते ही सुरभि बोली “आई ऐम सॉरी मम्मी, मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है आप मालती आन्टी को काम से मत निकालो, उन्हें मुझसे ज़्यादा पैसों की ज़रूरत है।अब मैं समझ गयी हूँ जो मेरे लिए सिर्फ़ पाँच हज़ार था वो किसी और के लिए बहुत ज़्यादा हो सकता है। यह सीख देने के लिए आपको थैंक यू मम्मी। अब आज के बाद मैं फ़िजूल खर्च नहीं करूँगी।”

यह कहते हुए सुरभि अपनी मम्मी के गले लग गयी।

कहानी से प्राप्त शिक्षा - पैसों की बचत करनी चाहिए और अनावश्यक खर्च नहीं करना चाहिए।


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