रहस्यमयी कुआँ

रहस्यमयी कुआँ

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सरपंच- कहाँ तक पहुँचे आप ?

अशोक-ये देखिए यहाँ आकर मेरी स्कूटी खराब हो गई है, यहाँ कोई सवारी नहीं मिलती क्या ?

सरपंच-पहाड़ी के अंदरूनी इलाके में कोई सवारी नहीं जाती, पहाड़ गिरने के डर से।

अशोक-तो अब ?

सरपंच-आप वहीं रुकिए, मैं भेजता हूँ किसी को।

अशोक-ठीक है।

सिस्टम मैसेज-अशोक एक गवर्मेंट टीचर है जिनकी पोस्टिंग उत्तराखंड के एक छोटे से गाँव मे हुई है।,बहुत ही ईमानदार और सख़्त इसीलिए ऐसी जगह पर ट्रांसफर कर दिया गया।

कुछ देर इंतजार के बाद एक लड़की पेड़ो के बीच से निकलती आती दिखती है

पायल-नमस्ते साब मैं पायल।

अशोक-तुम आई हो लेने ?D3Yपायल-जी चलिए स्कूल ज्यादा दूर नहीं है।

अशोक-एक बात बताओ स्कूल में बच्चे आते भी है।

पायल-हाँ साब, बस बेचारों को कोई ढंग का मास्टर ना मिलता।

अशोक-मतलब?

पायल-सरकारी टीचर हाजिरी लगा गायब हो जाते है, कोई देखने सुनने वाला तो है नहीं , बच्चे जान जोखिम में डाल कर आते है ।

अशोक-अब से ऐसा नहीं होगा।

पायल-जानतीहूँ ।

अशोक-अच्छा बहुत प्यार करती हो अपने गाँव से ?

पायल- हम ना पढ़ पाए पर चाहते है सब बच्चे पढ़ लिख ले इस गांव के।

अशोक-कितनी दूर है स्कूल

पायल-बस आ गया समझो

पायल-वहाँ रात में कीड़े मकोड़े और मच्छर जीना मुहाल कर देंगे आपका।

अशोक-चिन्ता मत करो।

पायल-पर साब वहाँ रात में रुकना..

अशोक-कहा ना ले चलो,मैं एक दिन भी खराब नहीं कर सकता।

सिस्टम मैसेज-पायल एक इमारत के पास आकर रुकती है,4 कमरों की टूटी फूटी सी इमारत

पायल-स्कूल आ गया साब।

अशोक-इसे तुम स्कूल कहते हो ?जी

अशोक-हम्म,चलो मैं कोई कमरा देख कर उसमें रुक जाता हूँ ।

अशोक-जाओ तुम घर जाओ।

पायल-पर मै यहीं रहतीहूँ ।

अशोक-यहाँ इस जंगल मे ?

पायल-शहरी लोगो के लिए ये जंगल है पर पहाड़ी लोगो के लिए ये घर ही है

अशोक-तो यहाँ कहाँ पर ? मतलब ?

पायल- वो कोने वाले कमरे में, आपको कोई जरूरत हो तो बताना।

पायल-पानी के लिए ये कुआँ है,

अशोक-रात भर के लिए पानी है मेरे पास।

अशोक-इस कुँए से ये कैसी आवाजें आ रही है।

पायल-पहाड़ी इलाके में सब कुछ गूंजता रहता है इसलिए।

अशोक-ठीक है।

सिस्टम मैसेज- अशोक एक कमरे में अपना सामान जमा लेते है। रात को लेटे हुए अचानक अशोक को कुछ सरसराने की आवाज आती है, वो साँप समझकर बाहर निकलते है।

बाहर चीखों की आवाज आ रही थी बच्चो औरतो आदमियों की मिली जुली चीखें

तभी बाहर दिखता है एक औरत का साया।

अशोक-कौन है बाहर ?

साया-मैं हूँ पायल

अशोक-तुम बाहर क्या कर रही हो ?

साया-आप भी आइए बाहर।

सिस्टम मैसेज-अशोक आवाज के आकर्षण में बंधा हुआ बाहर जाता है।

पायल-जानते है यहाँ तक आना कितना खतरनाक है बच्चो के लिए ?

अशोक-समझ सकताहूँ ।

पायल-मेरी बहन को बड़ा पागलपन था पढ़ने का।

अशोक-आ सकती है वो पढ़ने के लिए।

पायल-वो जिंदा नहीं है।

अशोक-ओह

साया-खराब मौसम में पढ़ने निकली थी,स्कूल आई तो मौसम के फेर में ऐसी फंसी की भूखी प्यासी ने इसी स्कूल में दम तोड़ दिया।

अशोक-ओह ऐसे में आना नहीं चाहिए था।

पायल-बताया ना, पागलपन था पढ़ने का

अशोक-फिर क्या हुआ ?

पायल-पहाड़ गिरने की वजह से हम ढूढने भी ना सके, शायद बच जाती

अशोक-उफ्फ!

अशोक-दुख हुआ, अब तुम सो जाओ

पायल-आपको बाहर नहीं आना चाहिए।

अशोक-कुछ आवाज सुनाई दी थी।

पायल-पहाड़ो में आती रहती है।

अशोक-तुमने गर्दन इतनी क्यो झुकाई है,दर्द हो जाएगा।एक तो यहाँ लाइट का भी ढंग से इंतजाम नहीं , कुछ दिख भी नहीं रहा सही से।

सिस्टम मैसेज-पायल अचानक सिसकी देकर रोने लगता है।

अशोक-अरे बहन की याद आई क्या?

साया-आप प्लीज् मेरे पास बैठिये मैं बहुत दुखीहूँ ।

सिस्टम मैसेज-अशोक आगे बढ़कर साये का चेहरा हाथों में लेते है,साया उनके गले से लिपट जाता है,धीरे धीरे कसाव बढ़ता गया,अशोक का दम घुटने लगा।

अशोक जोर लगाकर साये को धक्का देकर हाँफने लगता है

तभी अंदर से पायल भागते हुए आती है

पायल-क्या हुआ साब? आप नीचे क्यों गिरे हुए हो।

अशोक-तुम.. तुम तो अभी यहाँ पर.

पायल-मेरी बहन होगी साब।

अशोक- ये सब क्या हो रहा है यहाँ?

पायल-डरिये मत,वो किसी से कुछ नहीं कहती।

अशोक-मैं यहाँ नहीं रुकूँगा।

पायल-आप कहीं नहीं जा सकते।

सिस्टम मैसेज-अशोक हड़बड़ा कर सरपंच को फोन लगाते है ।

पायल दिखाई नहीं दे रही, वो फोन मिलाते हुए उसे ढूंढते है

सरपंच-माफ कीजियेगा अशोक जी आपको कष्ट उठाना पड़ रहा है,काफी देर से आपका फोन मिला रहा था।

अशोक-जल्दी से मेरा यहाँ से जाने का इंतजाम कीजिए, मैं हाथ जोड़ता हूँ आपके।

सरपंच-आप पहुँच गए क्या ? पर कैसे मैं तो किसी को भेजने का इंतजाम ही नहीं कर पाया।

अशोक-आपने नहीं भेजा ? फिर ये लड़की ?

सरपंच- लड़की ? मैं इतना नीच नहीं मास्टर जी की इस समय जंगल मे एक मर्द के पास लड़की भेजूं ।

अशोक-हेलो हेलो सरपंच जी मुझे बचाइए प्लीज्।

सिस्टम मैसेज-अशोक को दिखते है एक नहीं दो आदमकद औरतों के साये, कभी सीलन भरी दीवार पर कभी सामने खड़े झाड़ झंखाड़ पर, फिर साये बढ़ते चले गए

इधर से उधर दौड़ते चीखते साये।

फिर एक एक कर सारे साये कुँए में कूदने लगते है।

सुबह के उजाले के साथ पूरे गांव में खबर फैलती है शहर से आए सरकारी टीचर की लाश जंगल के बीच बने एक पुराने मकान में मिली।

रिपोर्टर-सरपंच जी ये खंडहर इमारत किसकी है ?

सरपंच-ये तो हमारी पीढ़ी से भी बहुत पुराना मकान है,मेरे बाप दादा बताते है डकैतों ने हमला किया था यहाँ, पूरे परिवार को चाकू से गोद डाला था।

और यहाँ इस कुँए में फेंक कर चले गए थे।

रिपोर्टर-ये सरकारी टीचर यहाँ कैसे पहुँच गए ?

सरपंच-ये तो ईश्वर ही जानता है साब।



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