2 मिनट की बात है

2 मिनट की बात है

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"लीजिये ये नाश्ता आपका, टिफ़िन टेबल पर रखा है, बोतल बैग में रख दी है," भागती दौड़ती मोनिका ने प्लेट रजत के हाथ में दी।


"दो मिनट बैठो तो यार साथ में!”


"अरे, जल्दी जल्दी काम निबटाना है मुझे, तुम्हारे साहबजादे उठ गए तो मुझे नहाने में 12 बज जाएंगे।"


"मोनू दो मिनट में क्या फर्क पड़ेगा?”


"आप नहीं समझोगे, सुबह सुबह एक एक मिनट का फर्क पड़ता है। अभी बिटिया रानी को उठाकर स्कूल के लिए तैयार करना है।”


रजत ने आगे कुछ कहना उचित नहीं समझा, उसने नाश्ता किया और बेटी को जगाते हुई मोनिका को देखते हुए बैग उठाकर निकल गया। शाम को रोहित के आने पर मोनिका ने दरवाजा खोला और खोलते ही तेजी से किचन की तरफ भागी।


"क्या हुआ?”


"कुछ नही, तेजस का दूध रखा था गर्म करने को।”


"अच्छा, ज़रा एक गिलास गर्म पानी देना।”


"देती हूं,” इतना कह मोनिका फिर किचन की तरफ निकल गई।


पानी का गिलास हाथ में पकड़ा वो फिर गायब थी।


"कहाँ हो मोनू?”


"इसने कपड़े गीले कर लिए हैं, वो बदल रही हूँ।”


थोड़ी देर मोनिका आती है, "बताइए क्या दूँ आपको?”


"बस 2 मिनट मेरे पास बैठो।”


"आपको तो हर समय मज़ाक सूझता है, इतना काम पड़ा है। ये छोटा शैतान कुछ नहीं करने देता, ऊपर से तुम्हारी बेटी भी काम फैलाती रहती है।”


"ठीक है तो तुम काम निपटा लो, मैं भी हाथ मुँह धो लूँ फिर साथ में खाना खाएंगे।”


लगभग एक घण्टे तक रजत हाथ-मुँह धोकर टीवी देखता हुआ बच्चों को संभाल रहा है और कनखियों से मोनिका को देख रहा था जो कभी फ्रिज से कुछ निकालती है, कभी किसी कपड़े को कहीं रखती है, कभी दही जमाती, कभी सुबह के लिए सब्जी काटती इधर से उधर फिरकनी सी घूम रही थी।


खाना लग कर तैयार था, रजत कुछ देर तक बैठा रहा और बोला, "तुम भी आ जाओ साथ में खाते हैं।”


"आप खा लो, मैं किचन समेटकर और सुबह की तैयारी कर चैन से खाऊँगी।”


रजत ने खाना खाया और सोने रूम में चला गया। रजत और मोनिका का बेडरूम अब मोनिका और बच्चों का कमरा बन चुका था, रजत अलग कमरे में सोता था।


रजत लेटा हुआ सोच रहा था कि मोनिका फ्री हो जाए तो कुछ देर उसके पास बैठूं। उसे बताना था आज ऑफिस में कितना टाइट शेड्यूल था, बॉस से भी अनबन हो गई। रास्ते में गाड़ी भी ठुक गई ऑटो के साथ। आज का दिन बड़ा बेकार था, बस कुछ देर मोनिका की गोद में सर रखकर लेट लूँ और उसे सब बता दूं तो सारा स्ट्रेस खत्म हो जाए।


सोचकर वो अचानक उठा और मोनिका के कमरे की तरफ बढ़ा।

कमरे में बेटे ने धमाचौकड़ी मचाई थी, बेटी सो चुकी थी।


"सुनो मोनिका कुछ बात करनी थी?”


"बोलो...”


"नहीं वो कुछ देर तुम्हारे पास लेटना था, कुछ बताना..."


"यार तुम देख तो रहे हो साढ़े दस बजे हैं और इसके सोने के कोई लक्षण नहीं दिख रहे। ये साढ़े 11-12 से पहले नहीं सोने वाला।"


"वो तो खेल रहा है, बस थोड़ी देर के लिए..."


"हद है यार, तुम्हे उसके अलावा कुछ और नहीं सूझता। मेरी हालत तो देखो? इस 2 साल के लड़के ने मेरी हालत खराब कर दी है।”


"उसके अलावा?? तुम गलत समझ रही हो, मैं तो सिर्फ 2 मिनट बातें..."


"तुम्हारे 2 मिनट मुझे पता हैं। अब प्लीज् आप सो जाओ, मैं भी थकी हूं, ये सो जाए तो मैं भी सोने वाली हूँ।"


रजत ने बेहद लाचारी भरी निगाह से मोनिका की तरफ देखा और कमरे से निकल गया। पूरे दिन ऑफिस में 10 तरह के लोगों से मिलना, 10 तरह के अनुभव, दिमाग और शरीर को निचोड़ कर रख देते हैं। वो बस कुछ हल्के पल चाहता था, जो उसे पूरे दिन के बोझ से उबार सकें।


बेटे के सोने के बाद मोनिका ने कमरे को ठीक किया और लेट गई और अचानक आँखों के सामने रजत का उदास चेहरा घूम गया। उफ्फ बस 2 मिनट की बात थी, पूरे दिन के काम और थकान की फ्रस्ट्रेशन में रजत को दो पल का समय ढंग से नहीं दे पाती।


उसने समय देखा 11 बजे थे, क्या करे? क्या अब रजत के पास जाना सही होगा? सो रहे होंगे और मैं भी तो थकी हूँ, मुझे भी सोना है।


फिर जैसे खुद से ही पूछा हो, "मोनिका अगर बेटा अब भी नहीं सोता तब भी तो तू जागती ना देर तक? जैसा कि ज्यादातर होता है, तो एक दिन रजत के लिए क्यों नहीं?”


यही सोचती और उधेड़बुन में चलती हुई कमरे के दरवाजे पर पहुँची। रजत दरवाजे की तरफ पीठ किए हुए मोबाइल में रजत और मोनिका की खुशनुमा तस्वीरें देख रहा था।


"ओहो मेरे पतीदेव!!!" मोनिका को ढेर सा लाड़ उमड़ पड़ा। उसने पीछे से जाकर रजत को बाहों में भर लिया। रजत चौंक कर मुड़ा और मोनिका को गले लगा लिया।


"बताइए डियर हसबैंड क्या बात थी?”


"अब कुछ बात नहीं, बस थोड़ी देर ऐसे ही लेटी रहो। पूरे दिन की थकान उतर जाएगी।”


"हम्म और तुम्हारे सुपुत्र उठे तो?"


"बस थोड़ी देर फिर चली जाना, 2 मिनट तो दे सकती हो?”


"अरे, पूरी लाइफ तुम्हारे नाम कर दी, तुम 2 मिनट की बात करते हो?”


"हाँ ये तो है,” इतना कह रजत ने कस कर मोनिका को गले लगाया और मोनिका भी इस 2 मिनट के लिए सब भूल गई।


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