rekha shishodia tomar

Drama

1.0  

rekha shishodia tomar

Drama

मेकओवर

मेकओवर

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"शीतल, याद है ना परसों मेरे दोस्त की पार्टी में जाना है"?

"हांजी, राहुल याद है, मैंने तो तैयारी भी शुरू कर दी है"।

"बिल्कुल कर दी होगी, कहीं जाना हो तो तुम पूरे जी जान से तैयारी में लग जाती हो। वैसे बताओ तो ज़रा क्या क्या तैयारी की है?"

"हम्म मैनीक्योर, पेडीक्योर, फेशियल, कलरिंग सब कुछ। ड्रेस भी रेडी है, देखना तुम पूरी पार्टी में तुम्हारी बीवी चमकेगी बस"।

"वो तो हमेशा ही चमकती हो डियर, तुम्हारे सामने तो मैं फीका लगता हूँ बिल्कुल। याद है पिछली बार वो मेहता क्या बोला था"?

"अरे छोड़ो कुछ लोगों की आदत होती है, जली भुनी बातें करने की"।

"अरे पर उसने सच बोला था यार, तुम्हे देखो और मुझे देखो ना कपड़े पहनने का ढंग, ना तैयार होने का। बस नहाए कंघी की, कपड़े पहने और चल दिये और तुम हमेशा टिप टॉप!"

इतना कह शीतल के गाल पर प्यार से चपत लगा राहुल बाथरूम में चला गया। शीतल सोच में पड़ गई, वो तो हमेशा खुद सजने सवरने और खुद के मेकओवर में ही लगी रही, क्या उसके पति को हक़ नहीं थोड़ा सा बदलने का? मेकओवर का हक तो उनका भी है।"

पर सुबह 7 बजे निकलकर रात को 7 बजे घर मे घुसने के बाद उनकी हिम्मत ही कहाँ रहती है कुछ करने की। और संडे! संडे तो पूरा घर गृहस्थी के काम में निकल जाता है। आज सिंक का पाइप ठीक होगा, आज नल की टोंटी बदलेगी, आज राशन लाना है, आज फलाने ढिकाने की फलां फलां फंक्शन के गिफ्ट लाने हैं, आज गाड़ी की सर्विसिंग करवानी है। उफ्फ! ये मर्द लोग कहाँ ध्यान दे पाते हैं अपने ऊपर? हम्म... मुझे ही कुछ करना होगा" शीतल ने मन में सोचा।

तभी राहुल बाथरूम से निकला, शीतल ने गौर से उसे देखा। ब्लैज हेड्स, वाइट हेड्स की भरमार है, चेहरा रूखा हुआ पड़ा है, हेयर स्टाइल की बैंड बजी है और दाढ़ी जंगल की तरह की कहीं कम कहीं ज्यादा उगी है। वो कुछ आदेश के स्वर में बोली "सुनो कल संडे है तो कोई एक्सट्रा वर्क नहीं।"

"पर देवी हफ्ते में एक दिन ही मिलता है, जरूरी कामों को निपटाने का।"

"तुमसे जरूरी कल कोई काम नहीं समझे"।

"पर क्यों"?

"कोई सवाल नही"

"ओके बॉस"

अगले दिन सुबह राहुल चाय की चुस्कियों के साथ अखबार पढ़ रहा था कि तभी बेल बजी, उसने दरवाजा खोला तो सामने एक लड़का यूनिफार्म में एक बैग लिए खड़ा था।

"आप कौन"?

"जी सुमित, रेनबो यूनिसेक्स स्पा एंड पार्लर से"।

तब तक शीतल बाहर निकल कर आई और बोली "जी सुमित जी, ये हैं राहुल जी आपके क्लाइंट, आज इन्हें बदल डालिये"।

"अरे ये हो क्या रहा है कोई बताएगा"?

"बस आप चुपचाप ये कपड़े बदलिए और आ जाइए।"

राहुल हैरान परेशान सा कपड़े ले चल दिया। वापस आया तो वो लड़का पूरे तामझाम के साथ तैयार था। करीब 3 घण्टे तक फुल बॉडी मसाज, फेशियल, स्टाइलिश हेयर स्टाइल और ट्रिम दाढ़ी के साथ एक अलग ही राहुल दिखाई दिया। राहुल को आज एक अलग ही अहसास हो रहा था मानो शरीर फूल सा हल्का हो गया हो और चेहरा खुल कर सांस ले रहा हो। सुमित के जाने के बाद राहुल ने शीतल को गले लगाते हुए कहा "वाओ शीतल तुमने तो मेरा संडे बना दिया यार, अब लगे हाथों एक ट्रेंडी से कपड़ों का सेट भी दिलवा दो ताकि तुम्हारी टक्कर का लगूं"!

"मेरी टक्कर के तो तुम हमेशा ही थे, बस आज कुछ स्पेशल करना था तुम्हारे लिए"।

"अब ये भी बता दो इन मिस्टर सुमित को मेरे मेकओवर के कितने दिए"?

"उसकी चिंता छोड़ो, वो एक्स्ट्रा सेविंग में से दिया है। वैसे भी आपको बता दूँ वो हर महीने नहीं आने वाला, आपका फेशियल हर महीने मैं खुद करूँगी फेशियल किट लाकर समझे"।

"समझ गया, अब चलो जरा मेरे कपड़ों की शॉपिंग हो जाए"!

"हो जाए"।

राहुल को खुश देख शीतल बहुत ही खुश थी। वो जानती थी कि राहुल के चेहरे पर ये चमक सिर्फ फेशियल की नहीं शीतल के प्यार और केयर की भी है।


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