रेत के तूफान में गुम हुए बच्चे
रेत के तूफान में गुम हुए बच्चे
जिन लोगों ने रेगिस्तान देखा नहीं होता है उनको उसको देखने का बहुत चाव होता है।
बच्चे जब पढ़ाई करते हैं और उसमें रेगिस्तान के बारे में पढ़ते हैं तो उनको वह देखने की बहुत इच्छा हो जाती है। ऐसे ही कभी-कभी रेगिस्तान के तूफान के अंदर अगर ध्यान ना रखा जाए तो रेत के तूफान में खो जाते हैं और पता ही नहीं लगता है कि कहां गए। इसीलिए जब भी ऐसी तूफान आने की संभावना होती है, तो वहां पर रेड अलर्ट जारी करते हैं ।
ताकि कोई तूफान की तरफ जाए ना मगर हादसे तो अचानक ही होते हैं। इसी तरह का हादसा स्कूल में पढ़ने वाले 2 बच्चे जो हॉस्टल में रहते थे । और उनके मित्रों के साथ हुआ।
क्योंकि राजस्थान में बहुत बड़ा रेगिस्तान है ।बड़े-बड़े रेत के टीले होते हैं।
उनके आस-पास के गांव में काफी लोग रहते हैं। ऐसे ही एक परिवार में दो बच्चे हॉस्टल में रहते थे।
पढ़ाई कर रहे थे। क्योंकि वह गांव में ऐसी सुविधा नहीं होती है कि बच्चों को अच्छी तरह पढ़ा सकें।
यह बच्चे अपने मित्रों को रेगिस्तान के रेत के टीले की राजस्थान की बहुत कहानियां सुनाया करते थे कि हम कैसे मिट्टी में खेलते हैं कैसे टीलों पर दौड़ते हैं ।
तो उन बच्चों को रेगिस्तान देखने की इच्छा हो आई और वे उन्होंने बच्चों से उनके साथ जाकर देखने की इच्छा प्रकट करी । एक बार छुट्टियों में वे लोग घर आए उनके साथ में उनके वे दोनों मित्र भी थे ।
उनके मित्रों को रणमे मिट्टी के बड़े-बड़े सुनहरी कलर के टीले देखने बहुत ही अच्छे लग रहे थे। वेरास्ते भर यही बातें कर रहे थे।
आहा कितना सुंदर लग रहा है ।
पीली पीली सुनहरी सुनहरी धूप की किरणें पड़ने से उसका कलर बड़ा सुंदर लग रहा था।
उनको आकर्षित कर रहा था ,
तो उन्होंने अपने दोस्त को बोला इस बार तो हमको रण को पास से देखना है।
इन टीलों के ऊपर खेलना है ।घर बनाना है ।
13,14 साल के बच्चे ही तो थे। सब आपस में प्लान बनाने लगे।
घर गए उन बच्चों के मां-बाप ने उनका बहुत अच्छा स्वागत किया।
बड़े अच्छे-अच्छे पकवान बनाएं ।
बच्चे बहुत खुश, दो-चार दिन के लिए आए थे। सोचे टाइम वेस्ट नहीं करते हैं।
थोड़ा घूम लेते हैं फिर वापस जाना है।
जिस दिन उन्होंने घूमने का प्लान बनाया।उसी दिन धूल का तूफान आने की संभावना बताई गई।
मगर उन लोगों को तो अपने घूमने से मतलब था।
तो उन्होंने उसका तूफान की संभावना का अनदेखा करा और चले गए । साथ में पानी खाना कुछ नहीं लेकर गए।और घर में बताकर कि हम आ रहे हैं थोड़ी देर में।
और वे तो रण के मिट्टी के टीलों के ऊपर चढ़ गए ।बहुत मस्ती करने लगे।
एकदम से बंटोलीया तूफान आया और मिट्टी की डामरिया भंवर के माफक घूमने लगी गोल गोल। बहुत जोर से।
अब बच्चे घबराए ,टीले पर खेल रहे थे।
कोई इधर दौड़ा कोई उधर दौड़ा ।
सब एक दूसरे से बिछड़ गए।
और मिट्टी के टीलों की मिट्टी उड़ गई।
पता नहीं एक जगह से दूसरी जगह कहां चली गई ।
और उन चारों बच्चों का कुछ पता नहीं लगा। वे उस धूल के तूफान में गुम हो गए। घरवाले रोते पीटते रह गए। और वे बच्चे रेत के ढेर में कहीं गुम हो गए बहुत ढूंढने पर भी नहीं मिले कुछ भी पता नहीं चला। अगर उन्होंने रेत के तूफान के अलर्ट को सुना होता अपने मां बाप को बोल कर गए होते तो शायद वे जाने नहीं देते और इतनी बड़ी दुर्घटना नहीं होती की एक साथ चार बच्चों का गुम हो जाना, नहीं मिलना बहुत दुखद घटना थी।और पुलिस ने भी बहुत ढूंढा बच्चों को मगर वह नहीं मिले।
रेगिस्तान के अंदर हुए हादसों से लिया हुआ कथानक।
