रेत घड़ी और मछुआरा
रेत घड़ी और मछुआरा


केरला में समुंद्र के किनारे कई मछुआरों की टोली रहती है, उनमे से एक था सुब्रमनियन !
प्यार से सब उसे सुब्बू बोलते थे, सुब्बू एक साधारण कद काठी का आदमी था सावला चेहरा आखे बड़ी बड़ी हल्की दाढ़ी मुछे आती थी !
बाल मीडियम और घुंघराले से थे शरीर पतला ही था क्युकी कई बार खाने पिने की दिक्कतों का सामना करना पड़ता था !
सुब्बू के चेहरे से गरीबी और दीनता साफ़ साफ़ दिखती थी, बहुत कम बात करने वाला सबकी सुनने वाला सीधा आदमी था !
वो भी दूसरे मछुआरों की तरह अनंत तक फैले समुद्र में मछली पकड़ने जाता और जो भी मिलता उसे वो अपने जीवन जीने के लिए जितना जरुरी हो उतना लेकर सारा बेसहारा लोगो को दे देता था !
शायद उसको औरो की तरह अमीर बनने की थोड़ी भी इच्छा नहीं थी ना कोई भविश्य की चिंता !
इसीलिए वो गरीब था, एक बार सुब्बू लगातार तीन दिनों तक कोई मछली नहीं पकड़ पाया, उसकी तबियत ज्यादा ख़राब थी !
तीन दिन बाद वो अथाह समुद्र में गया मछली पकड़ने, तीन बार जाल डाला सुब्बू ने पर बहुत कम मछलिया आई !
चौथी बार सुब्बू ने जाल फैका और सोचा जितनी भी मछली आये मैं उतने में ही आज का काम चला लूंगा !
सुब्बू के जाल में इस बार मछली के साथ साथ एक रेत घड़ी मिली, पूरी मछली 8- 10 kg होगी और उसके पास एक रेट घड़ी ...
ये सब लेकर वो अपने घर आ गया, उसका घर भी एक दम खाली था चार दिवारिया एक पुराना लकड़ी का गेट पुरे घर में एक खिड़की थी !
घर के नाम पर बस उसके पास चार दीवारी थी ये समझ लीजिये, क्युकी छत तो खपरैल की थी जो की कई जगह से टूटी थी !
घर में भी कुछ खास नहीं था, एक बड़ा लकड़ी का संदूक था जो सामानो को रखने के साथ साथ टेबल का भी काम करता था !
सुब्बू हर सामान लेकर वही रख देता था, घर में कपड़े रखने की कोई जगह नहीं थी बस बीचोबीच घर के रस्सिया बंधी थी जो कपडे टांगने का काम करती थी !
पूरे घर में मछली की बदबू आती थी वो भी आये क्यू न ये मछुआरे का घर था, आज भी घर आकर मछली की टोकरी और जाल घर के एक किनारे रखा और रेत घड़ी को उसी संदूक पर रख दिया !
रेत घड़ी को रखते ही वो जैसे ही मुड़ा तो उसकी नज़र उसके मछली पर पड़ी और उसने देखा कि सुब्बू मार्किट में है और उन मछलियों को बेच रहा है !
ये सब एक मिनट तक चलता रहा, उसके बाद अचानक सब गायब हो गया, अब वो अपने घर में था, और गेट के पास ही उसकी मछलिया पड़ी थी !
पर वो सब क्या था जो उसके साथ हुआ था ... वो बहुत परेशान हो गया ये सब देख के
थोड़ी देर बाद उसे एहसास हुआ की तीन दिन से वो बीमार था तो शायद कमजोरी के कारण ये सब हुआ हो !
ये सोचकर वो इस बात को भूलकर मछली बेचने बाजार चला गया, थोड़ी देर बाद सुब्बू को वही नज़ारा दिखा जो हूबहू घर में दिखा था !
पर ये सब सच था, सारे मछलियों को बेच के घर आया, उसके घर पर कोई बर्तन चूल्हा कुछ नहीं था ना कोई फॅमिली तो वो खाना बाहर ही खाता था !
आज भी बाहर से ही खाना खाकर आया था, घर आकर उसने थोड़ा आराम किया फिर उसका ध्यान उस रेत घड़ी पर गया उस घड़ी का प्रयोग क्या है उसे नहीं पता था !
सुब्बू ने उसे उठाया और पलट कर देखने लगा, उस घड़ी की रेत ऊपर से निचे की ओर गिरने लगी, और सुब्बू को फिर से कुछ और दिखा !
सुब्बू ने देखा की उसने कपडे नहीं पहने है अभी अभी नहा कर आया है और कपड़े पहन रहा है, एक मिनट तक यही सब दीखता रहा !
उसके बाद फिर सब नार्मल हो गया, सुब्बू को कुछ समझ नहीं आया ये सब क्या है, सुब्बू अपना थोड़ा काम निपटाकर नहाने चला गया !
जब सुब्बू नहा कर आया तो उसने देखा की वो वही कपड़े पहन रहा था जो उसने एक घंटे पहले देखा था !
अब उसको धीरे धीरे सब समझ आने लगा !
ये रेत घड़ी आम नहीं थी ये रेत घड़ी सामने वाले का भविष्य बता सकती थी, रेत घड़ी की रेट ऊपर से निचे गिरने में एक मिनट लगाती थी और तब तक सामने वाले का एक घंटे बाद का भविस्य पता चल जाता था !
अब सुब्बू को रेत घड़ी की करामात तो पता थी पर उसकी जरूरत क्या थी क्यों थी ये सब नहीं पता था सुब्बू सोच रहा था कि वो इस घड़ी का क्या करे !
वो अपने हाथो में रेत घड़ी को लिए सोच ही रहा था कि बाहर से आवाज आई ...अरे मालती का लड़का छत से गिर गया !
ये सुनते ही सुब्बू रेत घड़ी को संदूक पर रखकर घर से बहार भागा पर वही खड़ा रह गया उसने देखा की दो लोग बात करते आ रहे थे कि मालती का लड़का छत पर से गिर कर भी बच गया !
अचानक से वो दोनों आदमी गायब हो गए और मालती अपने बच्चे को गोद में लेकर भागती दिखी, शायद सुब्बू ने रेत घड़ी को पलटकर रख दिया था !
सुब्बू को पता चल गया था कि मालती का बेटा ठीक हो जायेगा, उसने मालती के बच्चे को अस्पताल ले जाने में मदद की और मालती को बताया की थोड़ी ही देर में उसका बेटा ठीक हो जायेगा !
खून बहुत निकल गया था इसलिए किसी को उम्मीद नहीं थी, पर सुब्बू के कहने के हिसाब से ही मालती का बेटा बच गया !
अब सुब्बू पर आस पड़ोस के सभी लोग विस्वास करने लगे की वो भला आदमी है तो उसका कहा सच होता है !
कुछ लोग ये बात मानते थे कुछ लोग इस बात को बस इत्तेफाक मानते थे !
एक दिन लक्समी भागती हुई सुब्बू के घर आई, और रोते हुए बोली - सुब्बू भाई... मेरी गाय सुबह से घर नहीं आई कुछ तो करो बताओ न कब आएगी कहा है !
सुब्बू ने कहा मैं कोई ज्योतिष नहीं हु मुझे क्या पता पर वो सहायता मांगती रही, सुब्बू उठा और उस रेत घड़ी को पलट कर रख दिया, और लक्समी की तरफ मुड़ा !
उसने देखा लक्समी अपने घर में अपनी गाये को चारा खिला रही है, एक मिनट बाद सुब्बू अपने घर में था, उसने लक्समी को बोला की तुम घर जाओ एक घंटे के अंदर तुम्हारी गाये वापस आ जाएगी !
लक्समी का मन शांत हो गया था, वो खुसी खुसी अपने घर चली आई, सुब्बू का कहा सच हुआ लक्समी की गाय एक घंटे से पहले वापस आ गई !
अब सुब्बू बहुत प्रसिद्ध होने लगा सब उसकी सहायता लेने आते और वो सबकी सहायता भी करता !
एक दिन उसके घर उस गाँव का मुखिया उससे सहायता मांगने आया !
उसका बेटा कई दिनों से बीमार था, कितने इलाज करवाए मुखिया ने पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ था !
इसलिए वो अब सुब्बू के पास आया था कि शायद सुब्बू मुखिया के बेटे को बचा ले, सुब्बू ने मुखिया की सारी बातें सुनी फिर कहा मुखिया जी इसमें मैं क्या कर सकता हु आपके बेटे को तो डॉक्टर ही बचाएगा !
मुखिया सुब्बू के पास गिड़गिड़ाता रहा की बस ये बता दो कि मेरा बेटा कब तक ठीक हो जायेगा !
अब सुब्बू करता भी क्या उसने रेत घड़ी को पलट दिया और मुखिया को देखने लगा !
उसने देखा कि मुखिया अस्पताल में है और अपने बेटे से लिपट कर रो रहा है, और मुखिया का बेटा मर चूका था !
एक मिनट बाद सुब्बू अपने घर में था, उसकी आखो में आंसू थे, मुखिया बोला क्या हुआ सुब्बू ....!
सुब्बू ने रूंधते गले से कहा - मुखिया जी आपका बेटा एक घंटे में मर जायेगा !
ये सुनते ही मुखिया का गुस्सा सातवे आसमान पर चला गया और गुस्से में उसने सुब्बू की पिटाई करवा दी !
मुखिया सुब्बू को गालिया देता रहा और मुखिया के आदमी सुब्बू को अपने लाठियों से पिटाई करते रहे !
सुब्बू को अधमरा करके मुखिया अस्पताल की तरफ चल दिया, और सुब्बू इतनी गालिया और पिटाई खाकर मौत के आगोश में जाने लगा तभी सुब्बू अपने संदूक से टकराया और सुब्बू की रेत घड़ी संदूक से निचे गिरी !
इधर रेत घड़ी गिर कर चकनाचूर हो गई, उधर अस्पताल में मुखिया का बेटा मर चूका था !
और सुब्बू ने तो संदूक से टकराते ही अपनी जान गँवा दी थी।
अब ना सुब्बू था ना उसकी रेत घड़ी।