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Arun Gode

Tragedy

4  

Arun Gode

Tragedy

रेल्वे अपघात

रेल्वे अपघात

6 mins
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          तेलंगना राज्यसे ,एक उर्जावान युवक अपना भविष्य चमकाने के लिए, पडोसी राज्य महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर आया था. कुछ छोटे-मोटे काम-धंदों में अपनी किसमत अजमा रहा था. कुछं समय बाद, पैसा इक्कठा करने पर अपनी किसमत रियल एस्टेट में अजमाने लगा था. धीरे-धीरे व्यवसय का तजुरुबा होने पर खुद ही कुछ सरकारी, अर्धसरकारी और निजी काम के ठेके लेने लगा था. इस तरह वह रियल एस्टेट में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गया था. उसने खुद का एक ट्रक और जे.सी पी भी खरिदी थी. नागपुर संभाग में जहाँ –कहाँ काम मिलता वहाँ जाकर काम कर लेता था. उसकी पहचान एक तेलगु परिवार से हो गई थी. जो मूल के तेलंगना के थे. उनके नाम से पता चल रहा था कि वे तेलंगना के किसान बिरादरी के थे. उस परिवार में एक लडकी थी. युवक अक्सर उस परिवार में काम के सिलसिले में जाता-आता था.शायद दोनों को पहिली नजर का प्रेम्र-रोग लग चुका था. दोनों में धीरे-धीरे दोस्ती बढने लगी थी.लडकी की माँ इन सब हरकतों को खुले आँख से देख और परख रही थी. शायद उसे भी जीस तरह का दामात अपने लाडली को चाहिए था.वैसा उसने उस युवक में देखा होगा !. युवक और लडकी के पिता का व्यवसाय एकही होने के कारण उस परिवार को इस युवक के पेशे से कोई इतराज नहीं था. लडकी के मां-बाप शायद उसे अपना दामाद स्वीकार करने के मनस्थिति में थे.

        एक दिन लडकी के पिता ने युवक से कहा, "बेटे ,आप अपना परिवार क्यों नहीं बसा लेते हो !". युवक ने कहा "ठेकेदारों को कौन लडकी देता है".उस पर लडकी के पिता ने कहा,"मैं तो फिर आज तक कुँवारा ही होना चाहिए था ?". युवक बोला "आपके ससुर बहुत दिलदार और समझदार थे. इस्लिए आपाका भाग्य खुल गया था. ये बात सुनकर होनेवाले सास-ससुर ने कहा "हम भी आपका भाग्य बनाना चाहते हैं". युवक ने मुसकुराते हुये कहा, "नेकी और पूछ पूछ , मुझे कोई इतराज नहीं है". इस तरह युवक का परिवार बस गया था. उन्हे दो लडके और एक क्न्यारत्न नसीब हुई थी.बच्चे धीरे-धीरे बडे होने लगे थे. किसमत ने युवक के ऊपर जो सास-ससुर की छत्र-छया थी, उसे ऊठाने का सोच लिया था. एस तरह युवक आधारहीन हो चुका था.मानों पति-पत्नी के ऊपर आसमान टूट पड़ा था.वो दोनों इस हादसे से वे बाहर निकलना चाहते थे.उन्होने अपने मन को समझाया था. होनी को कौन टाल सकता है?. उनके सास-ससुर की एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो चुकी थी. इसलिए उस युवक को परिवार चलाने के लिए ज्यादातर बाहर रहना पडता था. मातोश्री बच्चों का ध्यन रख रही थी.लडकी सुंदर और पढने में तेज थी.लेकिन लडके पढने में कुछ खास नहीं थे.

         खुद ही युवक ठेकेदार होने के कारन. उसने एक अविकसित गृहनिर्माण सोसायटी में एक मकान बनाने के लिए जमीन खरीदी थी. लेकिन महान प्रोजेक्ट के कारण सभी नागपुर पच्छिम की सभी गृहनिर्मान संसाथायें अडचन में फस गई थी. शायद उसे इस बात कि पक्की खबर लग गई थी कि कुछ गृह निर्मान संसाथायें इस महान प्रोजेक्ट से छुटने वाली है.उस में उसके सोसायटी भी है. इस कारण उसके परिवार में खुशी की लहर चली थी. जब उसे काम में मंदी दिखने लगी,तब उसने उस जंगल में अपना आशियाना बनाने का सोचा था. बाद में उसे हकिकत में बदल दिया था. उनकी पत्नि इन कठिन परिस्थितीयों का सामाना करते हुयें बच्चों का भविष्य सवारने में लगी थी . दोनों लडको को पढने में कोई रुचि नहीं थी. वे धीरे- धीरे गलत संगत में पड चुके थे. मां-बाप ने सोचा कि बडे होके अपने जिम्मेदारी को समझेगें और अपने पिता का व्यवसाय संभाल लेगें !. 

          उधर लडकी का पढना जारी था. उस के जीवन में एक लडका आ चुका था.जिसकी संस्कृति उनके संस्कृति से अलग थी. लेकिन दोनों का धर्म एक ही था. लडका और लडकी यहीं के संस्कृति में पैदा और ढले थे. इसलिए कोई बात नहीं थी. दोनों की दोस्ती धीरे-धीरे इश्क में बदल चुकी थी. वह अक्सर उसे मिलने उनके घर आया-जाया करता था. लडकी के पिता भी उसे अपने पुत्र समान ही व्यवहार करते थे.लडके और लडकी के परिवारवाले इस रिश्ते से खुश थे. इस दौरान वहाँ आजु-बाजु की ग्रुहनिर्माण संस्थायें काफी विकसित हो चुकी थी. इन सोसायटियों में आने-जाने के लिए रस्ते भी उपलब्ध हुयें थे.लेकिन उस परिवार का भाग्य साथ नहीं दे रहा था. उनके सोसायटी में से एक डी.पी रोड की योजना थी. इसलिए उस सोसायटी को मान्यता नहीं मिल रही थी.आसमान से पटके और खजुर में लटके जैसी स्थिति परिवार की हो चुकी थी.

           ये परिवार सबसे पुराना होने के कारन इस क्षेत्र के सभी लोग उन्हे जानते थे. कुछ परिवारों के साथ उस परिवार के संबंध भी बन चुके थे. उन्होने अपने लडकी की शादी उसी लडके से करने की सोच लिया था. शादी में सभी अगल- बगल के पडोसियों को बुलाया था. बडे धूम -धाम से शादी की गई थी. लडकी की जिंदगी सभंल चुकी थी. इसलिए मां-बाप खुश थे. लडकी भी कॉफी खुश थी. लेकिन ये खुशि ज्यादा दिन तक वे मना नहीं सके. उनके दोनों कुपुत्र कॉफी बिगड़ चुके थे. उन्हे धंदे में लगाने के प्रयास में कॉफी आर्थीक नुकसान होने लगा था. लेकिन दोनों पुत्र इस बात से गंभीर नहीं थे. वे लगन से धंदा कर नहीं रहे थे. वे बाप की लुटिया डुबाने लगे थे. समाज में अपने पिता की इज्जत मिट्टी में मिला रहे थे.वे अपने गलत आदतों के कारण धंदे को संभाल नही पा रहे थे.पिता की पगडी व्यवसाय में उछाल रहे थे. कमाई को मिट्टी में मिला रहे थे. धीरे-धीरे उनकी साक कम हो रही थी. धंदा बैठ चुका था. कर्जा सर पर चढ चुका था.लेकिन परिवार का मुखियां इस मुशकिल से बाहार आने का भरसक प्रयास कर रहा था.लेकिन लडकों के कारण सफलता हाथ नहीं लग रही. मुखियां हसते-खिलते दिखने का प्रयास कर रहा था. लेकिन वो अंदर से पुरी तरह से टुट चुका था.शयद इन नालायक पुत्रों की जगह उसे पुत्रीयां ही होती तो अच्छा होता !.

      मुखिया दिन-रात कडी मेहनत कर रहा था. कडी मेहनत के कारण शरिर छिन्न- भिन्न हो रहा था.परेशानी के कारण शरिर ढलते जा रहा था. वो मानसिक तनाव से ग्रसित था. इक दिन रात के समय वो रेल्वे पटरी पर कटे हुये पडे थे. पत्नी परेशान थी कि उसके पति अभी तक क्यों नहीं लौटे? छान-बीन जारी थी. पास के किसी झोपडवासी ने कोई आदमी रेल से कटा हुआ रेल्वे ट्राक पर पडा हुआ है, ऐसी खबर सुबह फैलाई थी. उसे देखने गये लोगोंने उसकी शिनाख्त कर ली थी. कोई कह रहा था कि मुखिया ने तंग आकर आत्महत्या कर ली है.कोई कह रहा था.हमेशा सोच में डुबे होने के कारन पटरी पार करते समय उन्हे कुछ आनेवाले रेल का पता नहीं चला होगा !. शायद यह सच्चाई भी हो सकती है.

             अब उस परिवार पर बडा संकट आ चुका था. लेकिन लडके अपने गलत कामों के शिखर पर पहुंच चुके थे. वे कई बार जेल जा चुके थे. उन्हे बचाने वाला कोई नहीं था. माताने उन्हे रास्ता दिखाने का भरसक प्रयास किया लेकिन वह उस में कामयाब नहीं हो सकी थी. आखिर माता ने अपने पति की आखरी निशानी भी बेचने की सोची थी.उस मकान का सौदा भी हुआ था. कुछ अग्रिम राशि भी मिल चुकी थी. रजेस्ट्री के समय बचा हुआ पैसे का भुगतान होने था. कहते हैं, गरिबी में गीला आटा. उसका मकान तय डी.पी. रोड में आ गया था. इसलिए रजेस्ट्री हो नहीं सकी. कुछ वारदातों में दोनों बच्चे बुरी तरह से घायल हो गये थे. बाद में उनकी भी असमय मृत्यु हो गई थी. मातोश्री अभी अपने लडकी के साथ रह रही है. जो परिवार लडके के इंतजार में लडकी की भ्रूण हत्या करते हैं. उन्हे इस कहाणी से सबक सीख लेना चाहिए !.



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