राजकुमारी जोगन बनने की यात्रा
राजकुमारी जोगन बनने की यात्रा
मन को शिव को अर्पण कर दो,
शिव के भक्त बनो...
राजपत, सुख सैबी
दूसरा नाम शिव है।
शिव के बिना भोगना पाप है,
ऐसी गोरी माँ अमर नायिका
भगवान शिव के अलावा और कौन नायक हो सकता है जो जोगी की भूमिका निभाकर भूतों का कल्याण कर सके?
ऐसी पवित्र छवि का रास्ता कहाँ से, दूसरे से न जुड़ो,
कुछ तो खास होगा इस तस्वीर में,
न तो राजकुमारी राजपाट और न ही तपस्वी सांसारिक हो जाते हैं,
गोरमाता के हृदय में राग है,
शिव के उपासक बनो,
यह पवनप्रीत अमर हो गया जिसने यह कथा सुनी
कबूतर का एक जोड़ा भी अमर हो गया।
पवन ने प्रीत को सिखाई पूरी प्रेम कहानी, प्रेमियों का अधूरा दोहा आज पूरा हुआ
हिमवान की बेटी बनीं, हठ करो, फिर बनो शिव की उपासक, नहीं तो खुद को कुर्बान कर दो...
शिव पार्वती एक दूसरे से अलग नहीं हैं
एक ही आत्मा के दो शरीर हैं, ऐसे अमर स्वर्गलोक में सबको किसी की प्रतीक्षा करने या किसी के लिए तपस्या करने की आवश्यकता नहीं है,
तपस्या कहना आसान है,
पालन करना मुश्किल है, किसी के प्यार में नन बनना आसान नहीं है, और न ही किसी के प्यार में बेपरवाह होना, बरसों की आस लगाना।
यह पुनर्मिलन का एक आसान सा है।
किसी के प्यार के लिए रोने का मजा ही अलग है।
राजकुमारी को वीरान कर देने वाली भक्ति और पवनप्रीत के संगम मीरा के लिए भी मोमी जहर पचाना आसान नहीं,
कान्हा के नाम के उत्साह को पचाने के लिए, जो नहीं मिलता है, लेकिन दिल में एक विश्वास को बरकरार रखने के लिए, ऐसी स्वर्गीय छवि में खुद को विसर्जित करने के लिए दिव्य चरित्रों को सिखाता है ...
भक्ति त्याग संगम पावन प्रतिभा में ही होता है।