एक आवाज़

एक आवाज़

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सुन लो हमें भारतवासी हम भी यहाँ रहा करते थे।

देश हमारा महफूज रहे, इस लिए हम अपना खून बहाया करते थे। हमारा भी कोई परिवार हुआ करता था पर ए देश हमारा परिवार है, हम ठंडी गरमी सहकर भी मुस्कुराया करते थे। दिल मेें वो जस्बा कायम था, माँ की रक्षा का वचन जो लिया था ए वतन के लिए मर मीटेंगे हम।

हम भी भारतभूमि के लाल थे पर हमारा परिवार आप लोगों को साथ रहता है, वो हमारी याद मैं शौक मना रहा है। हम उनको आपके हवाले छोड़ कर बोर्डर देश रात दिन दुश्मनों से लड़ा करते थे।

हम भी अपने परिवार को फर्ज के लिये छोड़ दिया पर आपने तो देश का हुरिया ही बदल दिया। हम याद करके रो रहे हैं, हम भी कैसे लोग के लिए शहीद हुए, जिन्होंने एक दिन की देशभक्ति दिखा के तिंरगे और हमारे बलिदान का मज़ाक बनाकर रख दिया।

हमारे मरने का शोक न मनावो आप, आप जवाबदार नागरिक बन जाए,आप जो जिंदा फौजी भाई है, उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलो, पाकिस्तान तो क्या पाकिस्तान का बाप भी भारत का कुछ नहीं बिगाड़ सकता। ए बात मन में गांठ बांधके रख दो एकता में ताकत होती है, देश का हर एक नागरिक वफ़दार होगा तो कोई दहशत गर्दी करने की कोई हिम्मत नहीं करेगा।

"हम चले अपनी यादें देकर

रोना मत हमारी यादों में, बूढी मां पुछे तो ए वर्दी देना,

पत्नी की मांग का सिंदूर मिटाकर बोलना शहीद की पत्नी हो आप, हम सब आपके साथ है, अपना परिवार आपको सोप चले ताकी मां भारती हमारी महफूज रहे, हमारा आखरी नमस्कार याद रखना !"

हमारा फिर से सलाम आपको !


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