Shaimee Oza lafz

Others

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सपनों को मिली पंखे...

सपनों को मिली पंखे...

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याद रखें, आप जो कुछ भी करते हैं, उसमें "सपने देखना ठीक है," क्योंकि सपने सच होते हैं ...


     सपने सभी देखते है,हमारे यहाँ एक कहावत बहुत मशहूर है,"जो सपने देखते हैं उन्के ही तो सपने सच होते है,हम एसी ही सपनों की दुनिया मैं जीने वाली एक युवती की को मिलते है,जिसका नाम है,अवंतिका जो अपने सपनों को सच करने मैं लगी हुई थी,उसके यही पागलपन की वजह से सब उसे पागल बुला रहे थे,वो लडकी खुद को कैसे सफल बनाया जाये,उसकी बाते खुद से किया करती थी, सब लोग उसकी बातें सुनकर भी अनसुना कर देते थे।बार बार मिल रही निष्फलताने उसे तोडने की जगह ज्यादा मजबूत किया था।उसकी हिंमत तूटने की बजा बढ रही थी।ए सिलसिला तीनसाल तक चला....अवंतिका कब कोलेज के लास्ट यर मैं भी आ गई पता ही न चला.


   शादी के लिए रिश्ते आने लगे,गीताश्री ने अपनी बेटी को प्यार से समजाते हुए कहा "अवंतिका अब छोडो बचपना....देखो तुम बच्ची थी तबतक ए सब तेरी मनमानीयाँ चली पर अब तु बडी हो गई है,कल लडके वालो को पता चलेगा तो हमारी क्या नाक रहजायेगी तुमे प्यार से समझा रही हुँ सुधर जावो...वरना...."


अवंतिकाने हँसते हुए कहा...."अरे....मम्मी वरना...क्या...पुरी बात तो बोलो में भी जानु आपकी कलाकारी।


"तू कभी नहीं सुधरेगी तु रुक आज में तुमे सुधारती हुँ" गीताश्री पुरे घर में झाडु लेकर भाग रही थी...और अवंतिका मम्मी से खुद को बचाने के लिए भाग रही थी,ए माँ बेटी की चहल पहल पुरे मौहल्ले में मशहूर थी सब ए शरु होता तब मजा लेते तो कोई गीताश्री को ताना जरूर कसता "अवि" अभी बच्ची है....वो तो ठीक है पर आप तो बडी है क्योंकि समझदारी की उम्मीद बडो से ही तो रखी जाती हैं."देखते ही देखते साल बित गया.


अवि ने बडी बिजनेस वुमन बनने का सपना सजाया था,उसको पुरा करने मैं लगी हुई थी...शुरुआत 25 रुपये की चीज बेचने से कि थी,गीताश्री और रमाकांत को अपनी बेटी के ए काम से शर्म आ रही थी,

उन्होंने अपनी बेटी के साथ अपने संम्बंध कम कर दिये, तो उसकी बिरादरी वाले तरह तरह की बाते बनाने लगे,अवंतिका को इनसब बाते कहाँ लागु हो रही थी वो तो अपने बिजनैस मैं केसे तरक्की की जाये बस वही उसका जुनुन बन गया।


रमाकांत ने कहाँ बेटी ' "अवि" हम तेरे शत्रु नहीं है, तेरी उम्र बित रही हैं,कोन तुमे बिह्यायेगा...ए फिल्मों डायलॉग की दुनिया से बहार आ...ए क्या बचपना हैं तुम बीस की हो गई हो...'


प्लीज सब अपना अपना काम करे और मुझे भी करने दे..."अवंतिकाने अपने परिवार के सामने अपनी बात रखी...."


रमाकांतने अपनी बेटी कि एक बात न सुनी उसने अपनी बैटी की शादी जबरजस्ती सै बदोडा के नकुश से कर दी,अवंतिकाने पहली रात ही अपने पति को कह दिया था, की ए शादी मेरी मर्जी के खिलाफ हुई है"


नकुशने जो सपने सजाये थे,पहली रात के वो चुर चुर हो गए...


पर वो कारण जानने के लिए बडा उत्सुक था,उसे पुछे बीन रहा न गया.


अवंतिका मैं जान सकता हूं कि इस शादी मैं आपकी मर्जी क्यों नहीं है,आप किसी और को चाहती थी,


अवंतिका मन मैं बतियाते बोल उठी की" ये भी मेरे पापा कि तरह बहुत सवाल कर रहा है, एक बार कह देती हुँ,फिर जो होगा वो देखा जायेगा..."


"ओय....अवंतिका मैं आपको कुछ पुछ रहा हुँ आप क्या सोच में पड गई।"नकुश बहुत शांत था,उसकी बोलने की रीत अवंतिका को भा गई,

उसने अपनी बात पति के समक्ष रखते हुए कहाँ की"मे सपनो की दुनिया मैं जीनै वाली लडकी हुँ मुझे चुलेचौके मैं कोई दिलचस्पी न है।


नकुल ने कहाँ तो...।

"

अवंतिका:अरे...मेरी बात एसे मत काँटे मुझे पुरी बाते बोलने तो दिजिये...


नकुश ने मन में कहा "अब नकुश तेरी वाट लगने वाली है सावधान....।”


अवंतिका खुद की बात पुरी करते हूए बोली,"की मेरा सपना बिजनेस वुमन बनने का है,मैं उसके लिए कठोर परिश्रम क्या कर रही थी...और मैरे पापाने जबरजस्ती आपके साथ मेरी शादी कर दी।

नकुशने पत्नी की खुशी का मान रखते हुए मंज़ुरी दे दी

अवंतिकाने अपने काम कि शरूआत कर ही दी,पति के साथ सहयोग से धीरे धीरे सफलता मिल रही थी।

आज अवंतिका की खुशी का कोई ठिकाना न था।"अवंतिका के सपने को मानो पंख न मिले थे,इतनी खुश अवंतिका हुई थी।"




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