प्यार का अंजाम
प्यार का अंजाम
क्या ज़माना था,
हम तुम्हें दुआ मैं माँगा करते थे,
तुम हम पर हँसा करते थे,
तुम्हारी हँसी से दिन खुशनुमा होता था।
मन मंदिर या देवता तुमको माना था,
तुम हम पर पागलों का धब्बा दे गए,
प्यार हमारा सच्चा था,
तुमको हम साबित न कर पाए।
तुम मंज़िल,तु जिंदगी का सुना संगीत,
तुम्हारे नापा़क इरादे को हम प्यार समझ बैठे,
हम तुम्हें पागलों की तरह ढूंढ़ते रहे,
तुम हमारे प्यार पैं हँसते रहै।
संमदर को भी हम तेरा पैगाम देते रहे,
तुम हमको दुनिया सें हमारी पहचान
करा गए पल भऱ मैं
वाह प्यार करना तो कोई आपसे सीखे जना़ब।
क्या कारवा था हमारा जो इतनी बड़ी सजा दे गए
हँसते हँसते हमको दर्द दे गए पलभर मैं,
प्यार भी अजीब ब़ला है पहले तरसाता है,
बाद मैं चोट दे कर रुला जाता है।