प्यार और परिवार
प्यार और परिवार
मीरा के मन में सागर की लहरें हुलेरें भर रहीं थी, अक्सर मीरा और प्रतीक इन्हीं लहरों के किनारे अपने जीवन की समस्याओं को एक दूसरे से साझा किया करते थे।
समुंद्र की लहरों में पैर डूबा चट्टान पर बैठी हुई मीरा मन ही मन सोच रही थी यह लहरें साक्षी हैं, हमारे प्यार और विश्वास की पर क्या समाज हमें एक होने देगा ?
तभी प्रतीक पीछे से आ चौका देता है
मीरा अरे आज तुम जल्दी आ गए ?
प्रतीक हां मैंने सोचा कि तुम्हें सरप्राइस देता हूँ।
मीरा कैसा सरप्राइस??प्रतीक आज हमारे प्यार के पूरे 3 वर्ष पूरे हो चुके हैं,और लगभग 1 वर्ष से परिवार वालों को भी यह मालूम है।
मीरा हाँ पर वह राजी तो नहीं है।
प्रतीक राजी हो जाएंगे मीरा कैसे ? एक धर्म के होते हुए भी हमारी जाति।
प्रतीक छोड़ो ना ये सब बातें हम तो प्रेमी हैं,और प्रेम सागर के पानी सा निर्मल और किनारे की इन चटटानो सा दृढ़ होना चाहिय। मीरा खाली बातें करते हो,यह सोचों घर वालों को कैसे समझाएं ?
प्रतीकमेरे जीजा वा जीजी इसी माह को 10 तारीख को अमेरिका से आ रहे है, घर मे पार्टी है, उन्होने तुम्हे भी पर्टी मे बुलाया है।
मीरापार्टी किस बात की ? ये तो मुझे भी नही पता ? शायद उनके अाने की मीरा मतलब सरप्राइज
अाखिर मीरा का इंतजार खत्म हुआ और आज उसे बन ठन के प्रतीक के घर जाना था। वह सुबह से प्रतीक को फोन मिलाने का प्रयास कर रही थी, पर फोन बंद आ रहा था। कभी उसका मन भयभीत हो उठता तो कभी वह सोचती की वह वयस्त होगा।
इन सभी कशमकश से गुजरती वह प्रतीक के घर पहूँच जाती है,अभी टेक्सी का बिल दे ही रही थी, की उसकी नजर सामने लगे वेलकम बोर्ड पर पड़ती है। जिस पर लिखा था *प्रतीक इंगैजड विथ सोनिया* पढ़कर मीरा शुन्य हो गई टेक्सी वाले की अवाज उसकी बरसों की तंद्रा को भंग कर दिया खुद को सभांलती हुई कहती है भाईसाहब जुहूबीच ले चलो। समुद्रं के किनारे चट्टान पर लहरों में पैर डुबा बैठ जाती है,मीरा की आंखों में मानों समुद्र का खारा जल लहरों से हो हृदय में समा गया हो और आँसू बन बरबस बरसने लगता है। अनायास ही मन में सवाल उठता है ? क्या यही प्यार है, और नोटपैड निकाल लिखने लगती है नई कहानी।
