Anshu sharma

Tragedy

5.0  

Anshu sharma

Tragedy

बंद लिफाफा

बंद लिफाफा

2 mins
243


हैलो !

सुहाना,

आज ना जाने क्यूँ तुम्हारे साथ बिताए हर पल बहुत याद आये। बचपन साथ बीता हमारा। बिना बात किये रह नहीं पाते थे एक दूसरे के बिना। शायद तुम भी नहीं भूल पाईं होगी।क्योकि अच्छी और बुरी यादे हमसे जुडी होती है भूल नहीं सकते।और हमारी तो ढेरों यादो का पिटारा है जो मैं हमेंशा पास रखुँगी।हम कितने खुश थे दोनो जब ये सुना था की एक शहर में हमारे पति नौकरी करते हैं और हमारे दोनों के पति भी दोस्त बन गये थे। नहीं भी बनते तो ये वादा किया था की हम दोनों की दोस्ती नहीं टूटेगी।

अब कहाँ गया वादा ? तुम बाद में आई उस शहर में, पहले मैं आई थी। तुम्हारी हर जरूरत को पूरा किया अपना काम समझकर। तुम्हारे कुछ कहने से पहले मैं समझ जाती थी और तुम भी मुझे। फिर तुम अजनबी जैसी क्यूँ हो गयी ? अमीर नये दोस्त तुम्हें मिले और तुम मुझे नजरअंदाज करने लगी। कहीं ना कहीं उन सबके सामने ना मिलने के बहाने बनाने लगी। मैं कितना रोई जब तुमने अनदेखा किया मुझे। कितना समझाया तुम्हें की बचपन की दोस्ती को क्यूँ भूलना चाह रही हो। तुम सुनना ही नहीं चाहती थी और तुम जब अपनी मम्मी से फोन पर कह रही थी सब सुना था मैंने .... की "सिया बचपन की सहेली थी।

अब क्यूँ बढ़ानी दोस्ती ? जब नये दोस्त नहीं थे, नया शहर था, अंजान रास्ते, कहीं जाना हो और तुम्हें घर ढूँढने में, नयी जगह मेरी बहुत जरूरत थी। नये दोस्त आजकल की तरह फैशनेबल,अमीर, बड़े बड़े लोगों के साथ सम्पर्क है। जरूरत पर काम आयेगें। ऐसे लोगो से स्टेटस बढ़ता है और अपनी मम्मी से कहा- समय भी कहाँ है सबके लिए आजकल। जो वर्तमान में काम आये वही दोस्त। जो सिया मिडिल क्लास होकर नहीं मदद कर सकती। 

मैंने तुम्हें उस समय कितना दोस्ती का अर्थ याद दिलाया। रोती घर आई पर तुम्हारा दिल नहीं पिघला। तुम जैसे दोस्त ही दोस्ती का नाम खराब करते हैं। दोस्ती के मायने नहीं जानते। जिनके लिए मतलब निकालना और दूर हो जाना आसान होता है।

आज ये पत्र लिख रही हूँ ...बहुत कुछ लिखने का मन है पर तुम कभी नहीं समझ पाओगी। पता नहीं ये पत्र भेजूंगीं भी या नहीं। ये अगर भेजूंगी भी तो पढ़ोगी भी नहीं, फाड़ दोगी। तुमसे मिल कर एक सबक मिला जो किताबें नहीं सीखा पाई, वो तुमने सीखा दिया। मैं मिडियम क्लास ही ठीक हूँ। मुझे मेरे दोस्त बाहरी अमीर नहीं दिल के अमीर चाहिए जिनके पास बैठकर मैं सुख दुख बता सकूँ सुन सकूँ। दिखावटी महलों से अपनी कुटिया भली।

तुम्हारी पुरानी सहेली

रिया।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy