जिनके पास बैठकर मैं सुख दुख बता सकूँ सुन सकूँ। दिखावटी महलों से अपनी कुटिया भली। जिनके पास बैठकर मैं सुख दुख बता सकूँ सुन सकूँ। दिखावटी महलों से अपनी कुटिया भली।
कभी-कभी बालक का व्यक्तित्व ही बदल देती हैं और उसके भविष्य की एक सुंदर नीव तैयार कर देती कभी-कभी बालक का व्यक्तित्व ही बदल देती हैं और उसके भविष्य की एक सुंदर नीव तैयार ...
कभी - कभी शरीर में आये बदलाव भी हमे कातिल बना देते हैं .... इसलिये इन्हें नज़रअन्दाज नही कभी - कभी शरीर में आये बदलाव भी हमे कातिल बना देते हैं .... इसलिये इन्हें नज़रअन्...