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Sudha paharia

Inspirational

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Sudha paharia

Inspirational

सीख

सीख

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अभिनव अपने मम्मी पापा का इकलौता बेटा और थोड़ा सा जिद्दी तथा एकाकी स्वभाव का बच्चा था। जल्द ही किसी की सहायता करना उसके स्वभाव में नहीं था।एक बार अभिनव निकट के शहर में अपने मामा जी के बेटे की सगाई में शामिल होने के लिए पापा के साथ मोटरसाइकिल पर गया।लौटते समय शाम हो गई।

तभी अचानक बहुत जोरों की बारिश होने लगी यह है बे मौसम की बरसात थी इसलिए अभिनव के पापा घर से रेनकोट वगैरह कुछ भी नहीं लाए थे। सड़क पर एक किनारे कुछ देर रुके रहे बारिश तेज होते देखकर उन्होंने वापस लौटने का सोचा लेकिन उसी तरफ से कुछ लोगों को लौटते हुए देखा उनसे पूछने पर पता चला की आगे एक बड़ा पेड़ गिर गया है जिससे रास्ता पूरी तरह बंद हो गया है।अब वापस भी नहीं लौट सकते थे इसलिए आगे बढ़ने के सिवाय और कोई उपाय नहीं था। बारिश भी थोड़ा कम हो गई थी अतः नरेश अपने बेटे अभिनव के साथ मोटरसाइकिल पर बैठकर आगे बढ़े। कुछ दूर चलने के पश्चात बारिश पुनः तेज हो गई।यह दिन उनके लिए बेहद परेशानी भरा था।क्योंकि सड़कों पर अंधेरा हो गया तथा मोटरसाइकिल की हेड लाइट पानी में भीगने के कारण बंद हो गई।अब तो चारों ओर अंधेरा सुनसान सड़क और गाड़ी की हेडलाइट भी बंद अभिनव को बहुत डर लग रहा था। थोड़ा आगे चलने पर एक और परेशानी उनका रास्ता देख रही थी।सड़क किनारे एक बैल गाड़ी खड़ी थी जो नरेश को लाइट ना होने के कारण नजर नहीं आई।

उनकी मोटरसाइकिल उससे जाकर टकरा गई। नरेश तथा मोटरसाइकिल नीचे गिर गयी।अभिनव को उन्होंने हाथ लगा कर रोका जिससे गिरते-गिरते भी उन्होंने अभिनव को गिरने से बचा लिया किसी तरह नरेश ने उठकर मोटरसाइकिल सीधी की। उनके पैरों में भी हल्की चोट आई थी। उसे नजरअंदाज करके उन्होंने मोटरसाइकिल स्टार्ट की पर वह भी बंद हो गई।अब तो सचमुच नरेश को बहुत घबराहट होने लगी।अभिनव भी रोने लगा अब क्या होगा पापा। नरेश ने उसे समझाते हुए कहा बेटा भगवान किसी ना किसी को हमारी सहायता के लिए अवश्य भेजेगे।थोड़ी देर खड़े रहने के बाद अचानक उन्हें एक ट्रक आता हुआ दिखाई दिया उन्होंने हाथ बढ़ा कर ट्रक को रोकने की कोशिश की

ड्राइवर भला मानुष था।अतः उसने ट्रक रोका और उतर कर नरेश की परेशानी पूछी।फिर वह मोटरसाइकिल को उठाकर ट्रक के हेड लाइट के सामने लाया ट्रक से टूल बॉक्स निकालकर उसमें 10:15 मिनट में मोटरसाइकिल को चलने लायक बना दिया।हेडलाइट भी मंदी जलने लगी। ड्राइवर ने नरेश से कहा अब आप वाहेगुरु का नाम लेकर धीरे धीरे मोटरसाइकिल ले जाइए।

मैंने इतना सुधार दिया है कि आप अपने घर तक पहुंच जाएंगे।नरेश ने उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद दिया।उन्होंने ट्रक से एक बरसाती का टुकड़ा निकाल कर दिया और कहा बच्चे के सिर पर बांध दो भीगने से थोड़ा बच जाएगा। नरेश जी मैं पुनः उसका धन्यवाद किया और धीरे-धीरे मोटरसाइकिल चलाते हुए घर तक पहुंच गए। घर आने के बाद भी अभिनव आज की घटना से बहुत भयभीत था। उसे कपड़े बदल कर गर्म दूध पिला कर नरेश जी ने अपने साथ सुला लिया।और उसे समझाने लगे कि बेटा यदि आप किसी भी परेशानी में पड़े व्यक्ति की सहायता करते हो तो जब कभी आप पर कोई परेशानी आती है तो ईश्वर आपकी सहायता के लिए किसी ना किसी को अवश्य भेज देता है।आज की घटना से अभिनव के बाल मन पर भी यह बात अमिट रूप से बैठ गई।उसके पश्चात अभिनव का व्यक्तित्व ही बदल गया।

अब वह हमेशा घर अथवा क्लास में किसी बच्चे को परेशानी होने पर यथासंभव उनकी सहायता करता। कभी-कभी दोस्तों को साइकिल पर लिफ्ट भी दे देता।पढ़ने में होशियार था तोजरूरत पड़ने पर अपने सहपाठी बच्चों की पढ़ाई में भी सहायता कर देता था। इस तरह बरसात की रात में अभिनव के साथ हुई इस घटना ने बालक अभिनव के व्यक्तित्व को ही बदल दिया तथा प्रतिवर्ष शाला मे स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बेस्ट हेल्पिंग स्टूडेंट का अवार्ड अभिनव को प्राप्त हुआ।उसकी कक्षा के अधिकांश बच्चों ने सहायता करने वाले बच्चे के नाम पर उसका नाम लिखा। जिससे वह अपनी कक्षा का बेस्ट हेल्पिंग स्टूडेंट अवार्ड पाने में सफल हुआ।

 इस तरह बाल सीख अर्थात बालक के आसपास घटित घटनाएं कभी-कभी बालक का व्यक्तित्व ही बदल देती हैं और उसके भविष्य की एक सुंदर नीव तैयार कर देती हैं।


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