कभी - कभी शरीर में आये बदलाव भी हमे कातिल बना देते हैं .... इसलिये इन्हें नज़रअन्दाज नही कभी - कभी शरीर में आये बदलाव भी हमे कातिल बना देते हैं .... इसलिये इन्हें नज़रअन्...
दिन भर मन बेचैनी से उस जादुई आवाज के लिये तड़पता रहा दिन भर मन बेचैनी से उस जादुई आवाज के लिये तड़पता रहा
लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनु.: आ. चारुमति रामदास लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनु.: आ. चारुमति रामदास