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Ruchi Singh

Abstract Inspirational

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Ruchi Singh

Abstract Inspirational

पत्नी हूं तुम्हारी निर्जीव नही

पत्नी हूं तुम्हारी निर्जीव नही

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राहुल व नेहा की शादी बड़े धूमधाम से पूरी रीति-रिवाजों के साथ हुई थी। राहुल एक बिजनेसमैन था। उसके माता-पिता का देहांत हो गया था। एक बड़ी बहन थी जो विदेश में रहती थी शादी कराने के लिए एक महीना पहले भारत आ गई और शादी के कुछ ही दिनों बाद परदेस अपने घर चली गई। 

 नेहा 12th पास थी। नेहा के मायके में उसके माता पिता के देहांत के बाद चाचा चाची ने उसको एक बोझ समझकर पाला था। शादी करने के बाद वो अपनी जिम्मेदारी से बरी हो गए। शादी के बाद वह नेहा से बिल्कुल भी मतलब नहीं रखते थे।

नेहा की जिंदगी में शुरू में तो सब सही था। पर कुछ दिनों बाद राहुल कि शराब पीने की गंदी आदत का पता चला। जब शराब पीकर आए तब छोटी-छोटी बात को लेकर नेहा पर हाथ उठा दे। कभी कोई समान ना मिलने पर या कभी यूं ही गुस्से में आकर।

नेहा कुछ भी नहीं बोलती थी। बिन मां -बाप के बच्ची बिचारी सहमी- सहमी रहती थी। मायके में भी कभी-कभी चाची द्वारा कुछ तिरस्कार मिलता था और शादी के बाद भी जीवन साथी द्वारा उसे यह दुख सहना पड़ रहा था । पर उसके गलत के खिलाफ आवाज ना उठाने से धीमे-धीमे राहुल शेर हो गया। वह आए दिन छोटी-छोटी बातों को लेकर उसके ऊपर हाथ उठा देता। अक्सर ही नेहा के शरीर पर पिटाई के लाल नीले निशान रहते व रो- रो के आंखें सूजी रहती थी। लेकिन नेहा जाए तो कहां जाए। उस अभागी नादान ने इसी को अपनी किस्मत समझ लिया। मायके का कोई उसको सहारा नहीं था।और ज्यादा पढ़ी-लिखी भी नहीं थी।

राहुल को जब शराब का नशा उतरे तो नेहा की ऐसी दयनीय हालत देख अगले दिन वह अपनी गलती के लिए माफी मांगे ....रोए भी.... और नेहा उसे माफ कर दे। शुरू में तो नेहा ने एकाध बार उसका विरोध करना चाहा.... पर हिम्मत नहीं जुटा पाई। उसने अपनी किस्मत से समझौता कर लिया था।

 मारने के बाद राहुल पछताता था।अपनी गलती का 

 पश्चाताप करने के लिए वह नेहा को को खुश करने के लिए अगले दिन खूब अच्छे-अच्छे गिफ्ट लेकर आए नेहा को खुश करने की कोशिश करें। एक-दो दिन में सब नॉर्मल हो जाए। ऐसे ही दिन साल बीतते गए । इसी दौरान नेहा दो प्यारे -प्यारे बच्चों की मां भी बन गई। नेहा ने सोचा शायद अब राहुल सुधर जाएगा। पर राहुल के व्यवहार में बदलाव नहीं आया।

नेहा अब कुछ सालों में राहुल को अच्छी तरह से समझने लगी थी। वह सब काम सही समय पर करती। सब चीजें सही जगह पर रखें। पर इंसान है कभी छोटी मोटी भूल हो जाती। और राहुल उसी बात को लेकर झगड़ा शुरू कर दे।

राहुल की संगत अच्छी नहीं थी। अपने दोस्तों के साथ साथ ड्रिंक करे और वह ज्यादा पी ले। उसके बाद घर में ऐसा बखेड़ा खड़ा होता था। और ड्रिंक करने के बाद वह अपना आपा खो देता था।

धीरे-धीरे बच्चे बड़े होने लगे। जवान होती बेटी शालू अब सब समझने लगी थी और सुरभि भी मां की मनोदशा अच्छे से समझने लगे थी। जब रात में उनके घर में मारपीट हो तो लोग- लज्जा से बेटियों को शर्म आने लगी थी। जल्दी-जल्दी अपने घर के खिड़की दरवाजे बंद करने लगती थी जिससे आसपास लोगों को पता ना लगे।

 उनको अपने पापा से प्यार तो बहुत था पर उनकी यह हरकत उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं थी। अबकी बार दोनों बेटियों ने फैसला किया यदि पापा अबकी ऐसा करेंगे तो हम दोनों मिलकर उसका विरोध करेंगे और उन्होंने ऐसा ही किया।

आज घंटी बजी और राहुल फिर ड्रिंक करके आया था। शालू ने दरवाजा खुला वह देखते ही पहचान गई है कि आज पापा कुछ बखेड़ा खड़ा करेंगे। और ऐसा ही हुआ। राहुल के गुस्सा करने पर आज शालू उसके आगे खड़ी हो गई और जवाब देने लगी कि आप मम्मी को नहीं मार सकते। राहुल ने गुस्से में बड़ी-बड़ी आंखें लाल करके आव देखा ना ताव आज अपनी बेटियों पर भी हाथ उठाने को बढ़ा और उसने शालू को एक झापड़ मार ही दिया।

शालू आंखों में आंसू लिए अपनी मां को गुस्से से देख रही थी और जोर- जोर से रो ही रही थी। जैसे मानो उसकी आंखें बोल रही हूं मां जो तुमने आज तक सहा। आज से वही मेरे लिए भी शुरुआत हो रही है। नेहा को आज अंदर से बहुत ही बुरा लगा। ग्लानि हुई । आज दो जवान होती बेटियों की मां नेहा में ना जाने कहां से इतनी हिम्मत आ गई। उसने अपनी बेटियों पर हाथ उठता देख जाकर राहुल का हाथ जोर से पकड़ झटक दिया। 

फिर गुस्से से बोला "मैं तुम्हारी पत्नी हूं कोई निर्जीव वस्तु नहीं। जो तुम मुझे मार सकते हो। मैंने अपना भाग समझकर सब सह लिया। मैंने सोचा कि यहीं मेरी किस्मत है पर यह मेरी बहुत बड़ी गलती थी। उसी से तुम्हारी आज यह हिम्मत हुई कि तुम मेरी बेटी भी हाथ उठा रहे हो। मैं एक मां हूं अपनी बेटियों के लिए यह मुझे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं। आज मैं तुम्हें ऐसा नहीं करने दूंगी।"

नेहा गुस्से से आज चंडी का रूप धारण कर पास में पड़ा डंडे को उठा ली। नेहा का यह रूप देख राहुल सकपका गया और उसके पैरों पर गिर पड़ा उसे अपनी गलती के लिए माफी मांगने लगा आज उसका सारा नशा उतर चुका था। 

नेहा गुस्से में दोबारा बोली कि मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूंगी। अब तो मैंने फैसला कर लिया है। मैं अपनी बेटियों को लेकर दिल्ली में लिए हुए फ्लैट में जाकर रहूंगी। पर तुम्हारे साथ रहना मुझे मंजूर नहीं। नेहा के मुंह से निकली इतनी बड़ी बात सुनते ही राहुल बिल्कुल हड़बड़ा गया उसका नशा का़फूर हो गया और वह गिड़गिड़ाने लगा "मुझे माफ कर दो ....मुझे माफ कर दो। आगे से ऐसा नहीं होगा।"राहुल रोकर, गिड़गिड़ाकर माफी मांगने पर तथा बेटियों के कहने पर बड़े दिल की नेहा ने उसे अंतिम चेतावनी देते हुए बोला "यह आज आखिरी दिन होना चाहिए। घर में इसके बाद जरा भी ऐसा हुआ तो हम तीनों तुमको छोड़कर चले जाएंगे।" राहुल ने अपनी गलती के लिए माफी मांग दोबारा ऐसा कभी ना होने का वचन दिया। इसके बाद वह कमरे से चला गया।

आज नेहा और उसकी बेटी दोनों बहुत खुश थी। उन्होंने अपनी मां का यह रूप देख आज बहुत ही खुशी थी। जो नेहा को कई साल पहले करना था उसने आज कर दिया। और अपनी नारी शक्ति का परिचय दिया।

अत्याचार को सहना व विरोध न करना दोनों गलत है। अपने व परिवार के स्वाभिमान की रक्षा भी हमारा कर्त्तव्य है। ऐसा न करने से अत्याचारी का दुस्साहस बढ़ता जाता है व सहने वाले के आत्मविश्वास में कमी होती जाती है।


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