पश्चाताप
पश्चाताप
जल्दी जल्दी में मेरा बटुआ घर ही छूट गया और मैं सीधे ऑफिस पहुंच गया। आम दिन की तरह दिनचर्या चल रही थी मै भी अपनी जगह जा काम में व्यस्त हो गया कोई खास वजह नहीं थी की यहां वहां बात की जा सके तो मै किसी बात पर ध्यान भी नहीं दे रहा था।
काम भी कुछ ज्यादा ही था। किसी की सिसकिया की आवाज ने सबको चौंका दिया.. सबने देखा तो वो नीलम थी दो दिन पहले ही छुट्टी से लौटी थी। शादी थी उसकी और आज सिसक रही है बहुत काम होने के बावजूद मेरी इंसानियत ने मुझे मजबूर किया की पहले उसके दुख का कारण पूछूं।इसलिए मै उसकी तरफ बड़ने लगा कुछ और लोग भी जा रहे उस ओर पर किसी को भी कोई सहानुभूति या कोई संवेदना नहीं थी बस एक लड़की के पास जा रहे हैं पता नहीं क्या ऐसी बात पता चल जाए कि इनका सारा दिन इसी चर्चा में निकल जाय यही उनका मकसद था।
सब एक साथ पूछने लगे क्या हुआ नीलम। कुछ नहीं बस ऐसे ही मां की याद आ गई थी। ओह ये बात है कह कर सब अपनी अपनी जगह चल पड़े परंतु मेरे मन ने इस बात को सच नहीं माना जगह जगह नील के निशान जिसे छिपाने की भरपूर कोशिश की गई थी गवाही दे रहे थे कि सबकुछ ठीक नहीं है। मैने कहा नीलम वो चौंक कर बोली जी सर। बेटा आज कुछ ज्यादा काम है मेरे केबिन में आ सकती हो कुछ हाथ बटा दोगी तो मुझे भी थोड़ी राहत होगी। आती हूं सर कहकर उसने सहमति दे दी। मै अपने कैबिन में पहुंचा ही था कि पीछे पीछे वो भी पहुंच गई।
उसे चाय और बिस्किट दे मैंने कहा पहले चाय पीते हैं फिर करते हैं बाकी काम।ठीक है सर ख कर उसने सर हिला दिया। चाय पीते पीते उससे सवाल किया मैंने अभी शादी हुई है सब ठीक है। ये सवाल पूछते ही उसके चेहरे पर कई भाव आए और गए।
फिर आंख से आंसू टपकने लगे । उसने कहना शुरू किया मेरे पति और सास को समान कम लगा और उन्होंने मुझे मायके से कुछ नकद पैसे लाने की बात की पर मैंने मना कर दिया तो मुझे रोज मारने लगे सास बात बात पर ताने देती है और हाथ उठा देती है। आज तो पति और सास दोनो ने बहुत मारा और बिना पैसे लिए घर पर ना आने को कहा है।. ऐसे कैसे मै तैश में आ गया।
चलो थाने रिपोर्ट लिखाओ वो डर गई नहीं नहीं सर मेरे माता पिता गरीब हैं कहां से लायेंगे इतना पैसा और फिर रोज कौन जाएगा पुलिस स्टेशन। कुछ नहीं होगा चलो और मै उसके साथ पुलिस स्टेशन जा कर दहेज उत्पीड़न की शिकायत लिखवा डाली और दिन में पुलिस घर पहुंच भी गई।तुरन्त सास का फोन आ गया तेरी इतनी हिम्मत की तू हमारी शिकायत करे वो तो अच्छा है पुलिस इंस्पेक्टर मेरे बेटे का दोस्त है अब कभी कदम मत रखना हमारे घर पर।
वो कहने लगी नहीं नहीं मम्मी जी मैंने कुछ नहीं किया मुझे यहां कोई जबरदस्ती ले कर आए हैं। मुझे माफ़ कर दो मम्मी आगे से ऐसा नहीं होगा। मै हैरान ही था की नीलम मेरे पास आकर जोर जोर से कहने लगी आप क्या चाहते हैं मेरा घर ना बसे।
मेरे माता पिता मर जाएं। आप मुझे माफ करें । मैं इतना सुन हक्का बक्का रह गया । उसके दुख को देख मैंने जागरूक नागरिक का फर्ज निभाया, मेरे भी एक बेटी है। इतना सुनने के बाद समझ नहीं आया की मेरा तो बेवकूफ बन गया बैठे बिठाए कई इल्जाम लग गए और कारण भी मैं खुद ही था मै ही तो गया था उसे पूछने वो तो मदद नहीं मांग रही थी। मैं पश्चाताप कर रहा था और सोच रहा था ये तो यूं ही गया जैसे आ बैल मुझे मार।