"प्रथम कदम"
"प्रथम कदम"
भगवान वेद व्यास ने भगवान की कृपा से अठारह पुराण, महाभारत, वेद पुराण लिखे। उन्होंने चारों वेदों की पुनर्रचना भी की। यह कहानी भागवत पुराण, स्कंदपुराण और कल्कि पुराण पर आधारित है।
एक छोटा शहर। उस नगर में यश शर्मा नाम का एक व्यक्ति रहता है, जो भगवान विष्णु और कृष्ण का भक्त है।
यश शर्मा के घर आज खुशी का मौका है...
यश शर्मा अपनी पत्नी सुमति और तीन बेटों के साथ दो मंजिला पांच कमरे के मकान में रहते हैं।
********** संध्या का समय है। गोधूलि का समय है।यश शर्मा बंद कमरे के बाहर बेचैन हैं। उसी समय उस बंद कमरे से एक नवजात शिशु के रोने की आवाज आती है. यह सुनकर यश शर्मा के मुख पर स्माइल आ जाती हैं
लेकिन उन्हें अपनी पत्नी सुमति की चिंता होती है।
तभी दाईं कमरे से बाहर आती है और यश शर्मा को बताती है कि बेटा पैदा हुआ है। दोनों स्वस्थ हैं। लेकिन सुमति थोड़ी कमजोर है। मैंने उसे कुछ दवा दी। अब वह सो रही है। बच्चा स्वस्थ है। वह गोल-मटोल है और मुस्कुरा रहा है। लेकिन इसका रंग थोड़ा पीला है..समय के साथ, यह पीलापन ठीक होने पर गायब हो जाएगा। एक या दो घंटे के बाद आप अंदर जा सकते हैं।''
यह सुनकर यश शर्मा खुश हो गए और उन्होंने दाई को इनाम दिया। इसकी जानकारी यश शर्मा के पड़ोसी चरण मित्र को हो गई। तुरंत वह दोस्त यश शर्मा को बधाई देने आ गया।
यश शर्मा की छोटी बहन यश के तीन बेटों की देखभाल करती है। वह अपने भाई को बधाई देती है
वह दिन वैशाख शुक्ल का बारहवां दिन है।
यश शर्मा के चौथे बच्चे का आज छठा दिन है।
बुआ ने बच्चे का नाम "प्रथम" रखा।
तभी यश शर्मा को एक दिव्य दृष्टि मिलती है, वे देखते हैं कि भगवान शिव और माता पार्वती बच्चे को आशीर्वाद दे रहे हैं। यश शर्मा भगवान शिव के भक्त हैं..और भगवान की कृपा से वह भगवान विष्णु के परम भक्त बन जाते हैं..इसी कारण लोग यश शर्मा को विष्णु यश शर्मा के नाम से जानते हैं। विष्णु यश शर्मा और माता सुमति को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ा...
'एक दिन विष्णु यश शर्मा के सपने में भगवान विष्णु आते हैं...और वे स्वयं माता सुमति के पुत्र के रूप में जन्म लेंगे... ऐसा कहते हैं.' .. ...........
जिस प्रकार सूर्य की किरणों से अंधकार नष्ट हो जाता है.. उसी प्रकार भगवान विष्णु के दसवें अवतार 'प्रथम' के चरण से धीरे-धीरे बुरी गतिविधियों और बुरे तत्वों को नष्ट कर देते हैं
और बड़े होकर हमें गंदगी से निकाल कर सही दिशा में ले जायेंगे।
आततायियों का विनाश कर देंगे और पृथ्वी पर शांति को कायम करेंगे।
जैसे वराह भगवान ने पृथ्वी को बचाया था वैसे पृथ्वी के निर्दोष मानवों के लिए काम करेंगे।
यह एक काल्पनिक कहानी है
