VIPIN KUMAR TYAGI

Inspirational

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VIPIN KUMAR TYAGI

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परोपकार

परोपकार

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इस कहानी को कहने का अर्थ यह है कि हमें पता होना चाहिए की परोपकार क्या होता है और कैसे किया जाता है

एक बार एक बढ़ई एक घर में कार्य कर रहा था, उसने एक कील ठोकी और दूसरी ओर उसने नहीं देखा उसके दूसरी ओर एक छिपकली बैठी थी वह कील उस छिपकली के पैर में ठुक गई और वह घूमने फिरने लायक नहीं रह गई एक जगह पर ही चिपक गई उसके पास अब जिंदा रहने की कोई गुंजाइश शेष नहीं रह गई थी दूसरी छिपकली ने देखा कि अब खाने के लिए वह क्या करेगी उसने उसे खाना लाकर देना शुरू किया वह उसे वह सब लाकर देने लगी जो उसे जिंदा रखने के लिए जरूरी था इस प्रकार से वह छिपकली जिंदा रहने लगी दिन बीतते गए और यह कार्यक्रम इसी प्रकार चलता गया अचानक वही बढ़ई फिर उसी घर में कार्य करने आया उसने देखा कि एक छिपकली के पैर में कील लग गई थी वह वही चिपक कर रह गई थी लेकिन वह फिर भी जिंदा थी, यह उसके लिए आश्चर्यजनक था उसने सोचा कि यह कील उसे तब लगी होगी जब वह पिछली बार कार्य करने आया था उसे अपनी गलती का एहसास हुआ उसने सोचा कि उसे दूसरी ओर भी देखना चाहिए था, लेकिन उसने देखा नहीं यह उसकी बड़ी गलती थी फिर भी यह छिपकली कैसे जिंदा रही यह वह सोचने लगा तभी उसने देखा कि एक दूसरी छिपकली उसे अपने मुंह से भोजन खिलाने आई, उसने उसे प्यार से भोजन खिलाया और चली गई इस घटना से उसने उसके जिंदा रहने का राज जाना उसने जाना की जानवरों में भी एक दूसरे की चिंता होती हैं तभी तो दूसरी छिपकली उसे जिंदा रखने का इतना प्रयास कर रही है उसने अपने खाने की व्यवस्था तो की ही बल्कि उस छिपकली की भी व्यवस्था की तथा उसे खाना खिलाकर जिंदा रखा

उसने सोचा की क्या मनुष्य भी ऐसा ही करते है हम जब समाज में देखते है कि कोई अपाहिज हो जाता हैं या असशक्त हो जाता है या उसका कमाने का श्रोत खत्म हो जाता है तो क्या समाज में हम उसकी सहायता उसी प्रकार से करते है जैसे दूसरी छिपकली ने कीक्या हम बिना किसी स्वार्थ के किसी की सहायता करतें है यदि हां तो कितना अच्छा है लेकिन समाज में हम देखते हैं कि इसका उलटा भी होता है हम देखते है कि लोग केवल तभी किसी की सहायता करते है जब किसी मतलब की जरूरत होती है बिना मतलब सहायता करने वाले कम ही होते हैं अतः समाज को इस कहानी से सीख लेनी चाहिए कि हमें भी जरूरत मंदो को बिना स्वार्थ के सहायता करनी चाहिए इसके लिए हमे केवल उसकी जरूरत देखनी चाहिए जब जानवर बिना किसी स्वार्थ के एक दूसरे की सहायता कर सकते है तो मनुष्य क्यों नहीं कर सकते है हमें भी समाज में जरूरतमंदों की सहायता समय पर करनी चाहिए वह भी निस्वार्थ।हमें इस कहानी से या सीख भी मिलती है कि हम एक दूसरे की सहायता करके उन्हें लंबे समय तक जिंदा रख सकते है उन्हें सहायता कर सकते है एक दूसरे के काम आना ही सामाजिकता है इसे ही समाज कहते है इस कहानी से हमें यह सीखना चाहिए कि समाज क्या है और कैसे समाज बनता है



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