बचपन की सीख
बचपन की सीख
बचपन बड़ा हो अनूठा होता है बचपन अक्सर बचपन ही रहता है। बचपन की घटना कभी कभी हमें हमेशा के लिए सीख दे जाती है। ऐसी ही एक घटना का हम यहां जिक्र कर रहे है जो इस प्रकार से है। एक गांव में रामदीन का परिवार रहता था उनके दो बेटे राम और श्याम थे उनकी माता रामप्यारी थी पति पत्नी अपने बच्चों से प्यार करते थे राम बड़ा ही नटखट था श्याम बड़ा ही शांत स्वभाव का था दोनों मिलकर उठा पटक करते रहते थे। उनकी मां इनका ध्यान रखती थी, लेकिन वह प्रतिदिन कुछ न कुछ कर ही बैठते थे। राम अक्सर चोट खा लेता था इसलिए उसकी मां उसका ज्यादा ध्यान रखती थी। उसे जिस कार्य के लिए मना किया जाता वह अक्सर उसकी कार्य को करना चाहता था। मां जब भी रोटी बनाती वह उसे तंग करता था वह हर चीज को छूने का प्रयास करता था। एक दिन उनकी मां थोड़ी देर के लिए तवा अंगीठी पर रखकर कही गई, तो दोनों ने उसे छेड़ने का प्रयास किया राम ने तवे को इधर उधर किया तो तवा उसके पैर पर गिर गया उससे उसके हाथ पैर दोनों बुरी तरह जल गए। वह चिल्लाया मां दौड़ी दौड़ी चली आई उसने उसकी हालत देखी उसे बड़ा दुख हुआ लेकिन वह क्या कर सकती थी उसने उसे डॉक्टर को दिखाया डॉक्टर ने उसे दवा दी थोड़े दिन बाद वह ठीक हो गया। लेकिन इस घटना से उसे सीख मिल गई कि तवे को छूने से हाथ जल जाता है अब वह बड़ा होने लगा लेकिन वह तवे या अन्य गर्म चीज के पास जाने से डरने लगा, उसे पता चल गया कि इससे हाथ जल जाता है। बड़े होने के बाद भी उसे वह घटना याद रहती थी इसलिए कहा जाता है कि बचपन की सीख हमेशा याद रहती है।