Kunda Shamkuwar

Abstract Drama

4.5  

Kunda Shamkuwar

Abstract Drama

प्रोफेशनल लाइफ

प्रोफेशनल लाइफ

4 mins
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कल ऑफीस में अपने सीनियर के फ़ोन पर आए मैसेज को देखकर फ़ाइल में लिखते हुए उसके हाथ कुछ देर के लिए रुक गए। उसने झट से मैसेज देखा। मैसेज में कोई डॉक्यूमेंट अटैच्ड था। थोड़ी देर में देखती हुँ कहते हुए वह झट झट फ़ाइल में नोटिंग करती रही। काम पूरा होने पर फ़ाइल को साइड में रखकर पानी के घूँट लेते हुए वह मैसेज में अटैच्ड डॉक्यूमेंट पढ़ने लगी।केस की नज़ाकत समझते हुए वह झट से अपने सारे ऑब्जरवेशन्स एक पेपर पर लिखने लगी।

थोड़ा रुक कर उसने दोबारा उन पॉइंट्स को पढ़ना शुरू किया। पेपर को रखकर वह कंप्यूटर पर उन सारे पॉइंट्स को टाइप करने लगी।

इण्टरकॉम की आवाज से उसके हाथ रुक गए। एक कलीग चाय के लिए पूछ रहा था। क्योंकि काम ज्यादा था तो उसने मना कर दिया और फिर से टाइप करने लगी। 

टाइप होने के बाद प्रिंट कमांड दिया। हुश, चलो, ये इम्पोर्टेन्ट काम भी हो गया। अभी सर नही है... कल उनको दे दूँगी कहते हुए उसने पेपर को अलमारी में रख दिया।

प्यून एक नोट ले कर आया। देखा तो उसमें किसी कमिटी की मीटिंग के बारें में इनफार्मेशन थी... उसे एज ए स्पेशल इन्वायटी बुलाया गया था... उसको वंडर लगा की काम तो उसके डिपार्टमेंट का है लेकिन चेयरपर्सन किसी और को बनाया गया है। सारा खेल उसकी समझ में आ गया... 

क्योंकि जिन्हे चेयरपर्सन बनाया गया उनको शायद उसके चेयरपर्सनशिप में मेंबर बनने से प्रॉब्लम था या फिर किसी असहजता के कारणों से सीनियर को ये फैसला लेना पड़ा। कारण जो भी हो... उसे लगा जैसे किसी ने उसके प्रोफेशनल स्किल्स, हार्डवर्क और एक्सपेरिएंस को एकदम नकार दिया है। 

एक पल लगा कि जाकर अपने सिनिअर से बात करें कि यह सब क्या हो रहा है? क्यों हो रहा है? लेकिन फिर कुछ सोचकर वह रुक गयी।

शाम को घर मे भी सारे काम वह अनमनी होकर करती रही...उसे लगा कि ऐसे तो काम नही चलेगा। अपनी बात तो कहनी होगी।

खाना खाने के बाद उसने व्हाट्सप्प मैसेज देखा। उसके लिए सर का मैसेज था। उनको अर्जेंटली कोई डेटा चाहिए था। उसने गूगल ड्राइव में सेव की हुयी शीट शेयर किया। रिप्लाई में सर का ओके वाला जवाब आया। वही थम्स अप वाला इमोजी....

अभी वह अपनी बात मैसेज में तो कह ही सकती है... इस विचार के आते उसने झट से एक मैसेज लिखा और सेंड कर दिया। उनका रिस्पांस आया वही अपनी बात को सही साबित करने के घिसेपिटे तर्क के साथ।

लेकिन उसने झट से उस तर्क से ज्यादा स्ट्रॉन्ग पॉइंट लिखकर रिप्लाई किया।उनका वैसे ही कुछ फीका से जवाब आया। बेटी की आवाज से वह चौंक गयी। बेटी को होमवर्क मे कोई प्रॉब्लम था। कुछ टॉपिक समझ नही आ रहा था... कुछ ही मिनटों में उसने बेटी को मैथ्स के प्रॉब्लम को समझा दिया। घर के इस प्रॉब्लम का सलूशन तो निकल गया लेकिन ऑफिस के प्रॉब्लम का क्या?

सर को जवाब देना ही था। उसने फिर अपनी बात लिख डाली। सर का फिर मैसेज आया... विल डिसकस धिस ऑन टुमारो मॉर्निंग...

बात ख़त्म हो गयी। उसने सोच लिया अब इस बारें में कोई बात नही करनी है..न आज और न टुमारो मॉर्निंग में भी...

यह कोई अंत नही है.. बल्कि शुरुआत है... क्योंकि वह जानती है कि जो प्रोफेशनल स्किल्स और नॉलेज उसके पास है...उन्हें प्रूव करने के मौके तो रोज़ ही आते रहते है और आज जो सीनियर है वह भी इस चीज़ को जानते है....

प्लैंनिंग और एग्जेक्युशन में उसको महारत हासिल थी। कल ऑफीस में होनेवाली उस मीटिंग में उसके लिए ही ज्यादा काम था... 

एक बार उसने झट से व्हाट्सअप में मीटिंग वाला वह मैसेज पढ़ लिया। सब कुछ उसके टिप्स पर था।

कल सुबह की तैयारी के लिए सोने से पहले रोज़ की तरह वह सब्जी काटने में  जुट गयी... देखा,पति महोदय पानी लेने किचन में आये। हँसते हुए कहने लगे, "आज लगता है चाकू बहुत जोर से चल रहा है। बाहर तक चाकू की आवाज़ आ रही है। क्यों इस गोभी के फूल पर इतने जोर से चाकू चला रही हो? कत्ल ही करना है तो बंदा हाज़िर है...चाकू नही बस तुम्हारे नज़रों के तीर ही काफ़ी होंगे...

अरे, नही ...ऐसा नही है कहते हुए वह  हाथों से गोभी तोड़ने लगी और अनायास ही पति की हँसी में शामिल हो गयी...उस हँसी ने ऑफिस वाले उस मसलें को और डिफरेंस ऑफ ओपिनियन की बात को लाइट कर दिया...

ऑफिस में जो होगा वह कल देखा जाएगा... इसी सोच के साथ वह सोने के लिए चली गयी...


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