प्रिय डायरीडयूटी और मातृत्व
प्रिय डायरीडयूटी और मातृत्व


एक महिला के लिए मातृत्व से बढ़कर कोई दूसरा सुख नहीं होता। एक स्त्री के जीवन का सबसे बड़ा कर्तव्य है मां बनना।
लेकिन कोरोना काल में स्त्री के जीवन के एक और पहलू को देखा जहां स्त्री अपने व्यक्तिगत कर्तव्य से ऊपर उठकर मानवता की रक्षा के लिए एक योद्धा बन जाती है, कोरोना वॉरियर बन जाती है।
28 साल की मैरी अगयेइवा अगयापोंग की मौत हो गई। वे नॉर्थ वेस्ट लंदन के लयूटन डंसटेबल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में नर्स थीं। वो प्रेग्नेंट थी, लेकिन अपनी ड्यूटी पर डटी रहीं। 7 अप्रैल को उनको कोरोना पॉजिटिव पाये जाने पर भर्ती कराया गया था ।12 अप्रैल, रविवार को उनकी मौत हो गई। हालांकि उनकी बच्ची को बचा लिया गया।
बंगाल के जलपाईगुड़ी में कार्यरत डॉ अबिअस्मिता घोष 7 महा की गर्भवती हैं, लेकिन इस संकट के समय बाइक से घूम कर 24 घंटे प्रवासी मजदूरों और उनके परिवार की जांच कर रही हैं।
चेन्नई की विनोथिनी प्राइवेट अस्पताल में नर्स हैं। वे 8 माह की गर्भवती हैं लेकिन जब प्रशासन ने उन्हें रोगियों के इलाज में लगी टीम में शामिल किया तो वह अपनी ड्यूटी से पीछे नहीं हटीं। वे तिरुचिरा से रामनाथपुरम ढाई सौ किलोमीटर दूर पहुंच गईं।
सूरत की सफाई कर्मी नैना डिलीवरी करीब होने पर भी रोज 6 घंटे ड्यूटी पर रहती हैं और ड्यूटी के दौरान लोगों से लॉकडाउन का पालन करने को भी कहती हैं।
फंडा यह है कि ऐसा नहीं है कि इन महिलाओं में मातृत्व की कदर नहीं। बस इन महिलाओं ने मानवता की सेवा को अपनी व्यक्तिगत कर्तव्य से बड़ा माना ।सच है मानवता की सेवा से बढ़कर ना कोई डयूटी है ना कोई कर्तव्य।