लॉक डाउन की बातचीत -01
लॉक डाउन की बातचीत -01
"हम्म हैल्लो…, मनीष ने ऊंघते हुए मोबाइल को कान में लगाकर कहा।
"सो रहा है का रे", नयन ने सवाल किया?
"हाँ, सुत गए थे", मनीष ने फिर जवाब दिया।
"अभी तक सुतल है, 9 बज गया, उधर से साकेत की आवाज आई?
अरे, तू भी लाइन में है", मनीष ने फिर पूछा?
"हाँ, भाई। और बताओ, का चल रहा है ई लॉक डाउन में", साकेत फिर पूछा?
"अरे, का होगा, रूम में सुत रहे हैं, खा रहे हैं… लैब जाना है नहीं…, मनीष का जवाब आया।
तेरा ही ठीक है बे, सुतल रहो घर में, मेरा तो कोई ठिकाना नहीं है, कब बुला ले", नयन ने मनीष की बात काटते हुए बोला।
"अरे, ई लोक डाउन में कैसा ड्यूटी? सब न बंद होगा", साकेत का सवाल था?
"अरे नहीं, सारा डिपार्टमेंट थोड़े न बंद है। हमलोग का रेलवे में कुछ डिपार्टमेंट बंद नहीं कर सकता। हमलोग को रोटेशन में बुलाता है। अल्टरनेट मोड में", नयन ने जवाब देते हुए बोला।
हाँ, सही है, मनीष बोला फिर कुछ देर बाद बोला – और साकेत बाबू, उधर लॉक डाउन कैसा है?
"अरे, सब बंद कर दिया भाई, का बताएं", साकेत बोला।
"लेकिन जानते हो भाई, ई लॉक डाउन से कुछ नया चीज सीखने भी मिल रहा है…"
…जैसे, साकेत ने नयन की बात काटते हुए पूछा?
"जैसे, अमेरिका अब सुपर पावर नहीं रहा। आज केवल अमेरिका में 1400 से ज्यादा लोग मरा है कोरोना से… पूरा वर्ल्ड का इकोनॉमी ध्वस्त हो गया। यूरोप बरबाद हो गया, अब अमेरिका का नंबर है," नयन दोनों को बता रहा था।
तभी मनीष बोला -"अरे, चीन बिना हथियार के पूरा दुनिया को झुका दिया। हमको तो लगता है कि कहीं ये बायो वॉर तो नहीं है?"
साकेत – "हो भी सकता है बे।"
फिर नयन बोला – "पता नहीं बे, लेकिन सिचुएशन बहुत खराब है। भारत में अभी कम्युनिटी लेवल पर नहीं आया है, लेकिन जिस दिन आ गया न, संभालना मुश्किल हो जाएगा। जब इटली, अमेरिका और यूरोप बर्बाद हो गया तो हमलोग का क्या होगा भाई?
अरे, नहीं रे, देखो। ये जरूरी नहीं कि जो लोग ज्यादा पढ़ लिख गया है, वे लोग ज्यादा दिमाग वाला हो गया। आज सब पढ़ा लिखा लोग है लेकिन कॉमन सेंस नहीं है। यूरोप और अमेरिका क्या गलती किया? सबसे बड़ा गलती ये कि उनको लगा कि उनको कुछ नहीं हो सकता। इसलिए स्टार्टिंग में ही ढीलाई दे दिया। रिजल्ट? कोरोना कम्युनिटी लेवल तक पहुंच गया। अब सिचुएशन अनकंट्रोल हो गया है। हमारे यहाँ भी कुछ बहुत पढ़ा लिखा एडुकैटेड लोग वही सोच के साथ जी रहा था और पूरा पार्टी किया। ‘हमको नहीं होगा, हमको हो नहीं’ वाला सोच सबको मारेगा बता रहे हैं", मनीष ने समझाते हुए कहा।
"सही बात है भाई। लेकिन अभी भी कुछ लोग को नहीं समझ आ रहा है। इन लोग को समझ नहीं आ रहा है कि जब सब जगह मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च बंद हो गया है तो फिर बाहर भीड़ लगाने का क्या मतलब है? घर में रहने में क्या दिक्कत है? घर में रह के पूजा, नमाज, प्रेयर नहीं हो सकता क्या? इनको कोई बताये कि उनका भगवान अभी धरती
पर मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च छोड़कर हॉस्पिटल में ड्यूटी कर रहा है। लेकिन इनको तो डॉक्टर, नर्स और बाकी को भी पत्थर मारना है", साकेत बोलता जा रहा था।
"सही बोला बे, असली वायरस तो खुद साला आदमी है, जो खुद मरने के लिए तैयार है", नयन बोला।
"साला, आदमी खुद आदमी का दुश्मन है। कितना खेलोगे बे नेचर से? नेचर को जीतना चाहते हो, उसको जिसने तुमको बनाया? ऐसा चोट देगा न कि पुरखों तक याद रहेगा। डाइनासोर भी कभी वैसा ही होता होगा, आज उसका केवल जीवाश्म बचा है", मनीष ने बात पूरा किया।
तभी साकेत बोला," घिना दिया है भाई सब यहाँ।" तभी वो मोबाइल को थोड़ा दूर रखकर ऊँची आवाज में बोला –"‘हाँ, आ रहे हैं। रुको", थोड़ा मनीष और नयन से बात कर रहे हैं। उधर से कुछ आवाज आई जो नयन और मनीष को सुनाई नहीं दी। फिर साकेत बोला, "रुको यार थोड़ा सा, आ रहे हैं। बस पाँच मिनट रुको।" फिर मोबाइल को नजदीक रखते हुए बोला, हाँ भाई! कहाँ थे?
नयन – "घिना दिया सब आदमी लोग।"
तभी मनीष बीच में टोका –" भाभीजी थी का बे?"
"हाँ, हेल्प करने बोल रही थी। लगता है सब्जी बना रही है, साकेत ने जवाब दिया।
सही है बेटा! घर में खाना बनाओ और खाओ। घर में रह के इतना भी नहीं करेगा? खाना खाली लेडीज़ बनाएगी क्या? " सबको हेल्प करना चाहिए, नयन बोला।
"हम्म! बात तो सही है। अब सब मर्द को पता चल रहा है कि घर में रहना कितना मुश्किल है। उनको लगता था कि रोज घर पर रहकर काम करना बहुत आसान होता है। अरे, हम तो यही सोच रहे हैं कि उन जानवरों को कैसा लगता होगा जो पिंजरे में कैद रहता होगा? सही में आदमी आदमी को ही बर्बाद करेगा और एक दिन इसका भी खाली जीवाश्म बचेगा, मनीष बोला।
सही बोला बे, घर का काम सबको मिलकर ही करना चाहिए। और भाई जानवर को सब शोपिस समझ लिया है। सबको पिंजरे में, तो कहीं जू में बन्द कर के रख दिया है। हमलोग को समझना होगा बे कि सबको आजादी अच्छा लगता है, चाहे वो आदमी हो या जानवर। अब अपना बच्चा लोग को भी सिखाना शुरू कर दो बे, अभी भी टाइम है। मेरा तो अभी शादी भी नहीं हुआ है (हा…हा…हा…)।" साकेत के लिए स्पेशल है।
साकेत – "हाँ बाबू! निक्कू को सिखाना ही होगा। हम तो उसको ये भी बताएंगे कि जितना अच्छा से पढ़ेगा, उतना आगे बढ़ेगा।"
एक लाइन में बोलो कि जितना ज्यादा स्कूल उतना कम अस्पताल, मनीष बोला। तभी वह मोबाइल दूर करते हुए बोला – क्या? हो गया? ठीक है चल रहे हैं रुको। फिर मोबाइल के पास आकर बोला – "ठीक है बे, अभी रखते हैं। जा रहे हैं बाजार सब्जी और दूध लेना है। तुमलोग की भाभी बुला रही है साथ में जाने के लिए। घर पर रहो, सेफ रहो, स्वस्थ रहो। चलो ठीक है फिर।
ओके भाई, चलो हम भी रखते हैं। अब थोड़ा नहा लेते हैं, गर्मी बढ़ गया है धनबाद में। टाइम भी बहुत हो गया है। चलो ठीक है बाय।"
साकेत – "हाँ, ठीक है। हम भी थोड़ा सब्जी काट देते हैं, बबली को थोड़ा हेल्प हो जाएगा। बाय।"
मनीष – "ओके, बाय।"
सकता