परिणति
परिणति
कितनी खुश थी स्नेह अजय का प्यार पाकर और होती भी क्यों ना,अजय था ही ऐसा। दोनों में दिन रात का अंतर था। अजय जमींदार घराने का वारिस और वो एक ड्राइवर की बेटी। किसी को उन दोनों का रिश्ता पसंद नहीं था लेकिन स्नेह को तो अजय के ठाठ बाठ बहुत पसंद थे, इसलिए स्नेह अजय के साथ चुपचाप घर से भाग गई। कितने सपने देखे थे उसने पर ये क्या पता था कि उन सपनों की परिणति इन बदनाम गलियों में होगी जहां अजय उसे बेच गया था।