Ravi Ranjan Goswami

Drama Inspirational

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Ravi Ranjan Goswami

Drama Inspirational

परीक्षा का परिणाम

परीक्षा का परिणाम

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उस दिन राजू का नौवीं क्लास का परीक्षा का परिणाम मिला था। उसके पापा ऑफिस से आ गये थे और बैठक में बैठे थे ।राजू अंदर अपने कमरे में था। राजू की घबड़ाहट बढ़ गयी थी। वह उनके सामने नहीं पड़ना चाहता था। उसे डर था कि वो परीक्षा का रिजल्ट पूछेंगे। उसके केवल 80 % नंबर आये थे। गनीमत थी उसके स्कूल में पेरेन्ट्स -टीचर एसोसियन सक्रीय नहीं थी। दूसरे एक स्कूल के छात्र ने उसे बताया था। उसमें परीक्षा का रिपोर्ट कार्ड माता या पिता को दिया जाता था। तब तो उसकी और बेइज्जती होती जब पापा स्कूल से ही उसके कान पकड़ कर घर लाते उसे, जहाँ फिर उसके साथ तालिबानी तरीके का व्यवहार किया जाता। सोचकर उसकी कंपकपी छूट गयी। उसके छोटे भाई टोनी के सातवीं की परीक्षा में 95 %नंबर आये थे। ये और मुसीबत थी। बराबर के नंबर आते तो एक दूसरे का सहारा बनते। ऊपर से पापा के आते ही वह दुष्ट अपना रिपोर्ट कार्ड लेकर पापा के पास पहुंच गया था। 

फिर मम्मी भी कहाँ मानने वाली हैं। आधा घंटे बुरा भला कह चुकी हैं। फिर भी चाय के साथ शिकायत लेकर पहुँचने वाली होंगीं। ताना मारेंगी,"आपके बड़े बेटे ने कमाल किया है। सिर्फ 80 % नंबरों से पास हुआ है। अभी पापा की आवाज आएगी , "राजू इधर आओ।"

वह अपने कमरे में खड़ा था। ये सब सोचकर उसका सर भन्ना गया। उसे चक्कर सा आया और वह जमीन पर बैठ गया। फिर उसे कंपकपी सी लगी। तभी पापा की आवाज आयी, "राजू अपना रिपोर्ट कार्ड तो दिखाओ भाई। "

मरता क्या न करता राजू उठा और रिपोर्टकार्ड लेकर पापा के सामने जाकर खड़ा हो गया।

पापा ने रिपोर्ट कार्ड देखा और हँसते हुए कहा, "आजकल के नंबर मुझे समझ नहीं आते। मेरे तो इतने नंबर कभी नहीं आये। "

कोशिश करो की आगे और अच्छा परिणाम आये लेकिन याद रखों नंबर सबकुछ नहीं होते। न कोई परीक्षा अंतिम होती है।

राजू खुश और आश्चर्य चकित था।

दरअसल परीक्षा और परीक्षा परिणाम के तनाव से छात्रों की मनःस्थिति पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए। कुछ दिनों पूर्व स्कूल की तरफ से ई -मेल और पत्राचार से विद्यार्थियों के अभिभावकों की काउंसिलिंग कर दी गयी थी।


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