पढ़े लिखें गवाँर
पढ़े लिखें गवाँर
मेरी एक महिला मित्र वर्षा है जो मेरे साथ ही काम करती है अभी कुछ माह पहले ही वर्षा गर्भवती हुयी थी उसकी शादी एक बड़े घर में हुयी थी ससुर डॉक्टर है सास गृहिणी भैय्या भाभी डॉक्टर पति इंजीनियर। सब अच्छे पड़े लिखे लोग। इस परिवार की गिनती भी शहर के सभ्य लोगो में ही होती है। पर उनका व्यव्हार जब मुझे पता पड़ा तो मुझे लगा सब पड़े लिखे गवार है। और हद तो तब हो गयी जब वर्षा ने बताया की गर्भावस्था में भी उसका कोई ख्याल नहीं रखता। पति भी कुछ नहीं बोलते। उसकी हालत इतनी ख़राब होने के बावजूद वो काम पर आती थी ताकि उसे यहाँ थोड़ा आराम मिल जाये। पैर सूजे हुए, आँखों के नीचे काले घेरे, वजन भी कुछ खास नहीं बड़ा था उसका। उसकी हालत देख कर तरस आता था मुझे उस पर। उसने बड़ी मुश्किल से समय काटा। एक प्यारी सी बिटिया को जनम दिया। जब वो जल्दी ऑफिस आई तो पता पड़ा सास उसकी पूरी सैलरी भी ले लेती है, उसे अपने खर्च के लिए अपनी माँ से पैसे लेने पड़ते है। मुझे बहुत दुःख हुआ की अब भी हमारे देश में ऐसे पड़े लिखे गंवार लोग मौजूद है जो इंसान को सिर्फ पैसा कमाने या काम करवाने की मशीन समझते है। क्या काम की ऐसी पढ़ाई जो आप अपनों का ही ख्याल न रख सको। मैंने वर्षा से कहा भी के वो कुछ बोले और ऐसे लोगो के यहाँ कैसे शादी कर दी। तब उसने बताया उन्होंने शादी ही ये देखकर की के लड़की अच्छे कमाती है। उसकी जेठानी इसीलिए घर से अलग हो गयी। पर यहाँ तो वर्षा के पति भी उसका साथ नहीं देते । क्या कहना चाहिए समाज के इस अभिजात्य वर्ग के लोगो को। कहा तो हम चाँद पर पहुँच गए है पर कुछ लोग अब भी वही है या यूं कहूँ की और नीचे गिरते जा रहे हैं।