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Anita Koiri

Romance

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Anita Koiri

Romance

प्रेम या रोटी की तलाश

प्रेम या रोटी की तलाश

1 min
202

रीना : रोटी आपको पसंद हैं?

रमेश : हां, बहुत पसंद हैं।

रीना : मुझे भी पसंद हैं, लेकिन कैसी रोटी?

रमेश : कैसी रोटी, मतलब?

रीना : गोल, टेढ़ी, मोटी, पतली, मैदे वाली, आंटें वाली, अपने घर की, दूसरों के घर की ... आखिर कौन सी?

रमेश : रोटियों की इतनी किस्में होती हैं, मुझे पता ही नहीं था।

रीना : ये मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं था।

रमेश : ठीक है , बताता हूं। मुझे अपने मम्मी की हाथ की बनी रोटी बहुत पसंद हैं और मैं अपने हाथों की बनी रोटी को भी पसंद करता हूं।

रीना : तुम , साॅरी, आप रोटी बना लेते हो?

रमेश : खाना आता है, तो बनाना कैसे नहीं आएगा?

रीना : मुझे जान कर अच्छा लगा।

रमेश : मगर, अब तुम्हारी हाथों की बनी गोल, टेढ़ी, मोटी, पतली, मैदे की, आंटें की रोटी....सब ट्राई करना चाहता हूं, और मौका मिलें तो, तुम्हें अपनी बनी रोटी भी खिलाऊंगा।

रीना : मैं तो रोटी नहीं बना पाती, और ये सब मैंने आपको इसलिए कहा ताकि आप मुझसे शादी करने से मना कर दे।

रमेश : तुम्हें रोटी बनाना नहीं आता, कोई बात नहीं। तुम बातें बनाना मैं रोटी बनाऊंगा। अगर तुम्हारी इच्छा हो तो?

रीना : ठीक है।



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