"प्रेम तरु "
"प्रेम तरु "
गर्मी की छुट्टियों में जब भी अनु के परिवार के सदस्य अपनी स्नेहिल इकलौती मौसी जी के घर जाते तो वहां समीर भैया अतिरिक्त उत्साह से सबका स्वागत करते और अक्सर सभी भाई-बहनों को सिनेमा दिखाने और घुमाने फिराने लेकर जाते। अनु को डॉक्टर भैया का यह स्नेह से भरा व्यवहार बहुत अच्छा लगता। खाना खाने के बाद छत पर लगभग रोज ही रात में फिल्मी गानों की अंताक्षरी खेलते हुए उनके द्वारा गाए हुए रोमांटिक गीत अनु के मन पर जादू सा कर देते।
छत पर आकर वह लगभग रोज शाम को, ठीक पांच बजते ही, ग्राउंड फ्लोर से बड़ी-बड़ी बाल्टियां भरकर पानी लाते और अनु के साथ फर्श पर पानी का छिड़काव करवाने , सबके बिस्तर बिछवाने में मदद करते।
यदा-कदा अनु के गालों पर हल्की सी स्नेहसिक्त चपत लगाकर कहते- मोटो! मेरे गुलगुले! क्यूटी...
भोली मुस्कान फेंक कर अनु खिलखिला पड़ती।
इस बार बारहवीं कक्षा के बोर्ड के एग्जाम थे। अनु ने टॉप करने का प्रण कर लिया था ।
वापस आने के बाद मौसी जी के घर बिताए गए दिन उसे खूब याद आते।
गर्ल्स-हॉस्टल में अब उसके पास डॉक्टर भैया की चिट्ठियां आने लगीं, जिनमें यदा-कदा लिखा होता-
*तुम लक्ष्मी हो अनु! जिस घर में जाओगी, स्वर्ग बना दोगी।
*तुम "हिमालय की गोद" पिक्चर की हीरोइन फुलवा (माला सिन्हा)जैसी लगती हो और मैं हीरोनुमा डाॅक्टर (मनोज कुमार)
*तुम बहुत प्यारी हो।
*वहाँ बस अपनी पढ़ाई में ध्यान लगाओ, लड़कों से दूर रहना।
*कोई समस्या हो, तो मुझे बताना।
किशोरावस्था का यह आकर्षण बहन-भाइयों के बीच कुछ ज्यादा गंभीर रूप ले लेगा , उसने यह कभी नहीं सोचा था।
साल यूं ही बीतते चले गए।
इस बार समीर भैया अचानक ही अनु से मिलकर भावुक हो गए थे। जाति, धर्म, रिश्ते से परे होकर , प्यार को परवान चढ़ा कर, अपने और अनु के संबंधों में पावन अटूट घनिष्ठता सुनिश्चित करना उनके लिये एक गंभीर मुद्दा बन चुकी थी। अनु के परिवार में खलबली सी मच गई। संस्कारों के खिलाफ दी गई प्रतिक्रिया ने धीरे-धीरे दो प्यारे परिवारों के संबंधों को नजर लगा दी थी।
प्यार भरे दिल दरक चुके थे, दूरियां अनचाहे ही हावी हो गई थीं।
विवाह बंधन मे बंधकर समीर अपनी दुनिया में सिमट गए थे। अनु ने भी खुद को पवित्र प्रेम के अहसास तले, शांति और चुप्पी के दायरे में कैद कर लिया था।
समीर की बेटी सुगंधा और पुष्पा का बेटा बसंत चहल पहल मचाकर सभी के दिलों को लुभाने में कसर नहीं छोड़ते।
आज दोनों ही अपने-अपने परिवारों में सुखी हैं, लेकिन दिल की जमीन पर "पहले प्यार" का नन्हा अंकुर छतनार प्रेम तरु बनकर अब भी चतुर्दिक अपनी खुशबू बिखेर रहा है।